World Diabetes Day 2021: डायबिटीज से सबसे ज्यादा खतरा आंखों को , ऐसे रखें ख्याल

World Diabetes Day 2021, Diabetes eyes care: डायबिटिज के मरीजों को आंखों से जुड़ी ज्यादातर समस्या होती है. शुरुआत में इस रोग में आंखों की रोशनी पर बहुत ज्यादा फर्क देखने को नहीं मिलता लेकिन जैसे जैसे डायबिटीज का लेवल बढ़ने लगता है तो आंखों की समस्या लाइलाज हो जाती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2021 5:02 PM

World Diabetes Day 2021, Diabetes eyes care: डायबिटिज के मरीजों को आंखों से जुड़ी ज्यादातर समस्या होती है. शुरुआत में इस रोग में आंखों की रोशनी पर बहुत ज्यादा फर्क देखने को नहीं मिलता लेकिन जैसे जैसे डायबिटीज का लेवल बढ़ने लगता है तो आंखों की समस्या लाइलाज हो जाती है. दरअसल खून में शूगर लेवल बढ़ने से आंखों के ऊतकों को काफी नुकसान पहुंचता है. इससे धुंधला दिखना या धीरे धीरे दिखाई देना बंद हो जाता है. तो आइए जानते हैं कि डायबिटीज रोगियों को आंखों की किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. और इससे बचाव के लिए क्या करना चाहिए .

डायबिटीज से आंखों में कौन से रोग होते हैं?

डायबिटीज के कारण होने वाली आंखों की समस्याों में सबसे आम है डायबिटिक रैटिनोपैथी(diabetic retinopathy). डायबिटिक रैटिनोपैथी में शरीर के दूसरे अंगों के अलावा आंखों के पर्दों पर भी असर होता है. आंखों से जुड़े इस रोग का खतरा और तब बढ़ जाता है जब डायबिटीज के साथ साथ हाई ब्लड प्रेशर जैसे दूसरे रोग भी हों. वहीं, डायबिटिक मैक्युलर इडिमा( diabetic macular edema) भी आंखों का रोग है जो डायबिटीज के मरीजों में होती है. इसमें धीरे धीरे नजर आना कम होने लगता है. डायबिटिक मोतियाबिंद भी आंखों को बुरी तरह प्रभावित करता है. शूगर लेवल हाई रहने से आंखों के लेंस में सूजन होती है. जिससे लेंस में मौजूद एंजाइम ग्लूकोज सोर्बिटोल में बदलता है और लेंस में जमा हो जाता है जिससे रोगी को दिखना बंद हो सकता है. इसके अलावा डायबिटीज के मरीजों में ग्लूकोमा( glaucoma) का खतरा दोगुना होता है.

कैसे रखें आंखों का ख्याल?

डायबिटिक रोगियों को आंखों का विशेष ख्याल रखने की सलाह दी जाती है. आंखों के नियमित रुप से जांच के साथ साथ ब्लड शुगर को भी कंट्रॉल में रखना होता है. खानपान का पूरा ख्याल रखना भी जरुरी होता है. साथ ही धुम्रपान से भी बचने की सलाह दी जाती है. इसके साथ ही खून की नसों में होने वाले बदलाव का पता लगाने के लिए एंजियोग्राफी और ओसीटी भी कराने की सलाह दी जाती है. आंखों में खून भरने या खिंचाव से पर्दा फटने पर एकमात्र उपाय सर्जरी होती है.

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