Vidur Niti: गलत काम को बढ़ावा देने वालों का कुछ नहीं जाता, भुगतना करने वाले को ही पड़ता है

विदुर नीति में बताया गया है कि अच्छे काम को बढ़ावा देने वाले व्यक्ति की कभी हानि नहीं होती, यह सफलता का मूल मंत्र है.

By Pratishtha Pawar | October 23, 2025 9:47 AM

Vidur Niti: महात्मा विदुर ने अपने नीति ग्रंथ विदुर नीति में जीवन, आचरण और न्याय से जुड़ी कई गहरी बातें कही हैं. उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने महाभारत काल में थे. उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब कोई व्यक्ति गलत कार्य करता है, तो उसके परिणाम से कोई और नहीं, बल्कि वही व्यक्ति प्रभावित होता है. भले ही कई लोग उस गलत काम में शामिल दिखें या उससे आनंद लें, लेकिन दोष का भागीदार केवल करने वाला ही बनता है.

Vidur Niti: विदुर नीति श्लोक इन हिन्दी

एकः पापानि कुर्वन्ति फलं भुञ्जन्ति महाजनाः।
भोक्तारो विस्त्रमुच्यन्ते कर्ता दोषेण लिप्यते॥

अर्थ- मनुष्य अकेला पाप करता है और बहुत से लोग उससे आनंद लेते हैं. मौज उड़ाने वाले तो छूट जाते हैं, लेकिन उसका कर्ता ही दोष का भागी होता है.

इसका अर्थ है कि जब कोई व्यक्ति गलत या अधार्मिक कार्य करता है, तो भले ही उसके आस-पास के लोग उस कर्म का मज़ा लें या उसका समर्थन करें, लेकिन पाप का फल केवल उसी को भुगतना पड़ता है जिसने वह कार्य किया है.

व्यक्ति को विनाश की ओर धकेलती है ये आदतें

विदुर नीति हमें यह सिखाती है कि किसी भी गलत काम में शामिल होना या उसे बढ़ावा देना, दोनों ही विनाश की ओर ले जाते हैं. लेकिन मुख्य दोष उसी का होता है जो उसे करता है. समाज में कई बार देखा जाता है कि कुछ लोग किसी की गलती पर हँसते हैं या उसका मज़ाक बनाते हैं, लेकिन असल में दंड उसी व्यक्ति को मिलता है जिसने वह काम किया.

यह नीति हमें अपने कर्मों के प्रति सजग रहने का संदेश देती है. विदुर कहते हैं – कर्म वही करो जो न्यायपूर्ण हो और धर्म के मार्ग पर हो, क्योंकि किसी के प्रलोभन या समर्थन में आकर किए गए पाप के परिणाम से कोई नहीं बच सकता.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.