Sheetala Ashtami 2023: बसोड़ा पूजन कब है? सही तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व जानें

Sheetala Ashtami 2023: बसोड़ा को शीतला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. आमतौर पर यह होली के आठ दिनों के बाद आती है लेकिन कई लोग इसे होली के बाद पहले सोमवार या शुक्रवार को मनाते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 13, 2023 11:09 AM

Sheetala Ashtami 2023: बासोड़ा (Basoda) पूजा देवी शीतला को समर्पित है यह पर्व होली के बाद कृष्ण पक्ष अष्टमी को मनाई जाती है. बसोड़ा को शीतला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. आमतौर पर यह होली के आठ दिनों के बाद आती है लेकिन कई लोग इसे होली के बाद पहले सोमवार या शुक्रवार को मनाते हैं. शीतला अष्टमी गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में सबसे अधिक लोकप्रिय तौर पर मनाई जाती है. जानें इस बार बसोड़ा 2023, शीतला अष्टमी ((Sheetala Ashtami 2023), शीतला सप्तमी 2023 (Sheetala Saptami 2023) की तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि क्या है. इस दिन को लेकर प्रचलित मान्यताएं और महत्व भी जानें.

शीतला अष्टमी 2023, शीतला सप्तमी 2023, तारीख, शुभ मुहूर्त (Sheetala Ashtami basoda 2023 date, shubh muhurat)

शीतला अष्टमी बुधवार, मार्च 15, 2023 को

शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त – 06:31 सुबह से 06:29 शाम तक

अवधि – 11 घंटे 58 मिनट

शीतला सप्तमी मंगलवार, मार्च 14, 2023 को

अष्टमी तिथि प्रारंभ – 14 मार्च 2023 को रात्रि 08:22 बजे

अष्टमी तिथि समाप्त – 15 मार्च 2023 को शाम 06:45 बजे

होली के बाद और चैत्र नवरात्रि से पहले आने वाली चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन शीतला माता की पूजा करने का विधान है. मां के इस स्वरुप को बासी भोजन का भोग लगाने की पुरानी परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि, शीतला माता को बासी भोजन अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों का कल्याण करती हैं. वहीं हिन्दू धर्म में इस बासी भोजन को बासौड़ा के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि चैत्र माह की अष्टमी तिथि को शीतला माता की पूजा करने से वे प्रसन्न होती हैं और बच्चों की रोगों से रक्षा करती हैं.

शीतला अष्टमी पूजा विधि (Sheetala Ashtami Puja Vidhi)

  • शीतला अष्टमी से एक दिन पहले ही सप्तमी के दिन चूरमा, कच्चा और पक्का खाना, मीठा भात, खाजा, नमक पारे, बेसन की पकौड़ी आदि शुद्धता के साथ बना कर रख लें.

  • बनी हुई सारी चीजें अगले दिन यानी शीतला अष्टमी की पूजा में रखनी है.

  • बसोड़े के दिन यानी शीतला अष्टमी के दिन ठंडे पानी से नहाएं और साफ वस्त्र धारण करें.

  • अब एक कड़वारे भरें. कड़वारे में रबड़ी, चावल, पुए,पकौड़े और कच्चा पक्का खाना रखें.

  • अब एक दूसरी थाली में काजल, रोली,चावल, मौली, हल्दी, होली वाले बड़गुल्लों की एक माला व एक रूपए का सिक्का रख लें.

  • बिना नमक का आंटा गूथकर उससे एक दीपक बनाएं और उसमें रूई की बाती घी में डुबोकर लगाएं.

  • यह दीपक बिना जलाए ही माता शीतला को चढ़ाया जाता है.

  • पूजा की थाली पर कंडवारो से तथा घर के सभी सदस्यों को रोली और हल्दी से टिका लगाएं.

  • इसके बाद मंदिर में जाकर पूजा करें या शीतला माता घर हो तो सबसे पहले माता को स्नान कराएं.

  • स्नान के बाद रोली और हल्दी से शीतला माता का टीका करें.

  • माता शीतला को काजल, मेहंदी, लच्छा और वस्त्र अर्पित करें.

  • तीन कंडवारे का समान अर्पित करें.

  • बड़ी माता बोदरी और अचपडे के लिए माता शीतला को बड़गुल्ले अर्पित करें.

  • आटे का दीपक बिना जलाए माता के सामने रखें.

  • माता को भोग की चीजें अर्पित करें और जल चढ़ाएं और जो जल बहे, उसमें से थोड़ा सा जल लोटे में डाल लें. इसके बाद यह जल घर में छिड़क दें. इससे घर की शुद्धि होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

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बसोड‍़ा या शीतला अष्टमी का महत्व

बसोड‍़ा या शीतला अष्टमी के दिना मान्यता के अनुसार खाना पकाने के लिए आग नहीं जलाते हैं. इसलिए ज्यादातर लोग शीतला अष्टमी के लिए एक दिन पहले खाना बनाते हैं और बासी खाना खाते हैं. ऐसा माना जाता है कि देवी शीतला चेचक, खसरा आदि बीमारियों के प्रकोप को दूर करती हैं.

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