Science News: क्यों बदलता है पानी का आकार? 30 साल पुराने रहस्य को वैज्ञानिकों ने सुलझाया

Science News: आपने कभी सोचा है कि पानी की बूंदों के अंदर क्या हो रहा है. पानी का आकार क्यों बदलता है. क्यों यह कुछ तापमानों पर जम जाता है और वाष्पित होता है. बर्मिंघम विश्वविद्यालय और सैपिएन्जा यूनिवर्सिटी डि रोमा के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे ही रिचर्स में जल संपत्ति का खुलासा किया है.

By Samir Kumar | September 9, 2022 9:53 PM

Science News: पानी हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है. यही वजह है कि हमें बताया जाता है कि जल ही जीवन है. आपने कभी सोचा है कि पानी की बूंदों के अंदर क्या हो रहा है. पानी का आकार क्यों बदलता है. क्यों यह कुछ तापमानों पर जम जाता है और वाष्पित होता है. बर्मिंघम विश्वविद्यालय और सैपिएन्जा यूनिवर्सिटी डि रोमा के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे ही रिचर्स में जल संपत्ति का खुलासा किया है, जिसे पहली बार तीन दशक पहले प्रस्तावित किया गया था.

वैज्ञानिकों ने 30 साल पुराने रहस्य को सुलझाया

शोधकर्ताओं के अनुसार, यह यूनीक वॉटर पापर्टी दो अलग-अलग तरल पदार्थों में बदल सकता है, जिसे फेज ट्रांजिशन कहा जाता है. हालांकि, यह बेहद ठंडे तापमान पर होता है. लेकिन, क्या पानी कम तापमान पर ठोस होकर बर्फ में बदल जाता है? शोधकर्ताओं के अनुसार, हां, यह सही है और ऐसा होता है. लगभग 30 वर्षों से वैज्ञानिकों को चकित करने वाले सिद्धांत की पुष्टि करने में यही सबसे बड़ी चुनौती बनी रही. उन्होंने कहा कि पानी के अंदर छिपे हुए रासायनिक क्रियाएं होती हैं, जिसका कारण अभी भी मालूम नहीं हैं. अभी भी लिक्विड-लिक्विड ट्रांजिशन के बारे में अज्ञात हैं.

1992 में पानी में शुरू किया गया था ये शोध

अध्ययन के परिणाम, नेचर फिजिक्स पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं. जिसमें कहा गया है कि तरल पानी की एक मुख्य विशेषता ठंडा होने पर इसके थर्मोडायनामिक प्रतिक्रिया कार्यों का विषम व्यवहार है, सबसे प्रसिद्ध परिवेश के दबाव में अधिकतम घनत्व है. फ्रांसेस्को साइकोर्टिनो, जो अब सैपिएन्जा यूनिवर्सिटी डि रोमा में प्रोफेसर हैं और अध्ययन के सह-लेखक थे, मूल टीम का हिस्सा थे. जिसने 1992 में पानी में लिक्विड- लिक्विड ट्रांजिशन के विचार का प्रस्ताव रखा था. उन्‍होंने कहा कि इस काम में हम पहली बार, नेटवर्क उलझाव विचारों के आधार पर लिक्विड-लिक्विड ट्रांजिशन का एक दृश्य प्रस्तावित करते हैं. मुझे यकीन है कि यह काम टोपोलॉजिकल कॉन्‍सेप्‍ट के आधार पर नोवल सैद्धांतिक मॉडलिंग को प्रेरित करेगा.

शोधकर्ताओं ने कोलाइडल मॉडल का किया उपयोग

बर्मिंघम विश्वविद्यालय के अनुसार, शोधकर्ताओं ने अपने अनुकरण में पानी के एक कोलाइडल मॉडल का उपयोग किया और फिर पानी के दो व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले आणविक मॉडल का उपयोग किया. कोलाइड ऐसे कण होते हैं जो पानी के एक अणु से हजार गुना बड़े हो सकते हैं. पेपर के प्रमुख लेखक डॉ. द्वैपायन चक्रवर्ती ने एक बयान में कहा कि पानी का यह कोलाइडल मॉडल आणविक पानी में एक आवर्धक कांच प्रदान करता है और हमें दो तरल पदार्थों की कहानी से संबंधित पानी के रहस्यों को जानने में सक्षम बनाता है.

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