International Yoga Day 2022: आज है अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, जानें योग के प्रकार

International Yoga Day 2022, Types of Yoga: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को दुनिया भर में मनाया जाता है. ठीक-ठीक कहना तो मुश्किल है कि योग के प्रकार कितने हैं, लेकिन हम यहां आमतौर पर चर्चा में आने वाले प्रकारों के बारे में बता रहे हैं

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 21, 2022 8:58 AM

International Yoga Day 2022: विश्व में 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) मनाया जा रहा है. इस साल 8वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा. पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून, 2015 को दुनिया भर में मनाया गया था. भारत में इस दिवस को मनाने की पूरी जिम्मेदारी भारत सरकार के आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) मंत्रालय की है.

योग के प्रकार

ठीक-ठीक कहना तो मुश्किल है कि योग के प्रकार कितने हैं, लेकिन हम यहां आमतौर पर चर्चा में आने वाले प्रकारों के बारे में बता रहे हैं :

1. राज योग

योग की सबसे अंतिम अवस्था समाधि को ही राजयोग कहा गया है. इसे सभी योगों का राजा माना गया है, क्योंकि इसमें सभी प्रकार के योगों की कोई-न-कोई खासियत जरूर है. इसमें रोजमर्रा की जिंदगी से कुछ समय निकालकर आत्म-निरीक्षण किया जाता है. यह ऐसी साधना है, जिसे हर कोई कर सकता है. महर्षि पतंजलि ने इसका नाम अष्टांग योग रखा है और योग सूत्र में इसका विस्तार से उल्लेख किया है. उन्होंने इसके आठ प्रकार बताए हैं, जो इस प्रकार हैं:

  • यम (शपथ लेना)

  • नियम (आत्म अनुशासन)

  • आसन (मुद्रा)

  • प्राणायाम (श्वास नियंत्रण)

  • प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण)

  • धारणा (एकाग्रता)

  • ध्यान (मेडिटेशन)

  • समाधि (बंधनों से मुक्ति या परमात्मा से मिलन)

2. ज्ञान योग

ज्ञान योग को बुद्धि का मार्ग माना गया है. यह ज्ञान और स्वयं से परिचय करने का जरिया है. इसके जरिए मन के अंधकार यानी अज्ञान को दूर किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि आत्मा की शुद्धि ज्ञान योग से ही होती है. चिंतन करते हुए शुद्ध स्वरूप को प्राप्त कर लेना ही ज्ञान योग कहलाता है. साथ ही योग के ग्रंथों का अध्ययन कर बुद्धि का विकास किया जाता है. ज्ञान योग को सबसे कठिन माना गया है. अंत में इतना ही कहा जा सकता है कि स्वयं में लुप्त अपार संभावनाओं की खोज कर ब्रह्म में लीन हो जाना है ज्ञान योग कहलाता है.

3. कर्म योग

श्रीकृष्ण ने भी गीता में कहा है ‘योग: कर्मसु कौशलम्’ यानी कुशलतापूर्वक काम करना ही योग है. कर्म योग का सिद्धांत है कि हम वर्तमान में जो कुछ भी अनुभव करते हैं, वो हमारे पूर्व कर्मों पर आधारित होता है. कर्म योग के जरिए मनुष्य किसी मोह-माया में फंसे बिना सांसारिक कार्य करता जाता है और अंत में परमेश्वर में लीन हो जाता है. गृहस्थ लोगों के लिए यह योग सबसे उपयुक्त माना गया है.

4. भक्ति योग

भक्ति का अर्थ दिव्य प्रेम और योग का अर्थ जुड़ना है. ईश्वर, सृष्टि, प्राणियों, पशु-पक्षियों आदि के प्रति प्रेम, समर्पण भाव और निष्ठा को ही भक्ति योग माना गया है. भक्ति योग किसी भी उम्र, धर्म, राष्ट्र, निर्धन व अमीर व्यक्ति कर सकता है. हर कोई किसी न किसी को अपना ईश्वर मानकर उसकी पूजा करता है, बस उसी पूजा को भक्ति योग कहा गया है. यह भक्ति निस्वार्थ भाव से की जाती है, ताकि हम अपने उद्देश्य को सुरक्षित हासिल कर सके.

5. हठ योग

यह प्राचीन भारतीय साधना पद्धति है. हठ में ह का अर्थ हकार यानी दाई नासिका स्वर, जिसे पिंगला नाड़ी कहते हैं. वहीं, ठ का अर्थ ठकार यानी बाई नासिका स्वर, जिसे इड़ा नाड़ी कहते हैं, जबकि योग दोनों को जोड़ने का काम करता है. हठ योग के जरिए इन दोनों नाड़ियों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनि हठ योग किया करते थे. इन दिनों हठ योग का प्रचलन काफी बढ़ गया है. इसे करने से मस्तिष्क को शांति मिलती है और स्वास्थ्य बेहतर होता है.

6. कुंडलिनी/लय योग

योग के अनुसार मानव शरीर में सात चक्र होते हैं. जब ध्यान के माध्यम से कुंडलिनी को जागृत किया जाता है, तो शक्ति जागृत होकर मस्तिष्क की ओर जाती है. इस दौरान वह सभी सातों चक्रों को क्रियाशील करती है. इस प्रक्रिया को ही कुंडलिनी/लय योग कहा जाता है. इसमें मनुष्य बाहर के बंधनों से मुक्त होकर भीतर पैदा होने वाले शब्दों को सुनने का प्रयास करता है, जिसे नाद कहा जाता है. इस प्रकार के अभ्यास से मन की चंचलता खत्म होती है और एकाग्रता बढ़ती है.

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