Buddha Purnima 2023 Date: कब है बुद्ध पूर्णिमा? जानें सही डेट, पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और इतिहास

Buddha Purnima 2023: बुद्ध का जन्म एक राजकुमार सिद्धार्थ गौतम के रूप में, 563 ईसा पूर्व में पूर्णिमा के दिन हुआ था. इसलिए, उनकी जयंती के दिन को बुद्ध पूर्णिमा या वैसाखी बुद्ध पूर्णिमा या वेसाक के रूप में भी जाना जाता है. इस बार बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लग रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 3, 2023 9:44 PM

Buddha Purnima 2023 Date: इस वर्ष भगवान बुद्ध की 2585वीं जयंती है. चूंकि बुद्ध पूर्णिमा की तिथि एशियाई चंद्र-सौर कैलेंडर पर आधारित है, इसलिए बुद्ध पूर्णिमा की तारीख हर साल अलग-अलग होती है. हालांकि यह आमतौर पर हिंदी महीने में वैशाख पूर्णिमा के दिन पड़ता है, पश्चिमी ग्रेगोरियन कैलेंडर में तारीख अलग-अलग होती है. इस साल बुद्ध पूर्णिमा 5 मई, शुक्रवार को है. इसी दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लग रहा है जो उपछाया चंद्र ग्रहण है. आगे पढ़ें बुद्ध पूर्णिमा 2023 की सही तारीख, वैशाख पूर्णिमा (vaishakh purnima 2023 date) पूजा का शुभ मूहर्त, शुभ योग समेत पूरी डिटेल.

बुद्ध पूर्णिमा 2023, वैशाख पूर्णिमा डेट, समय, शुभ योग

वैशाख मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 4 मई, गुरुवार, रात्रि 11:44 मिनट से

वैशाख मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 मई, शुक्रवार, रात्रि 11:03 मिनट पर

उदयातिथि को मानते हुए बुद्ध पूर्णिमा 5 मई शुक्रवार को मनाया जा रहा है.

वैशाख पूर्णिमा पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 11:51 बजे से दोपहर 12: 45 मिनट तक है.

बद्ध पूर्णिमा 2023 पर बन रहा शुभ संयोग

बुद्ध पूर्णमा पर चंद्र ग्रहण और सिद्धि योग के साथ भद्रा भी रहेगा. इस दिन सिद्धि योग सूर्योदय 9:17 मिनट तक है.

स्वाति नक्षत्र :सुबह से रात 9:40 तक रहेगा.

भद्राकाल: सुबह 5:38 मिनट से 11:27 मिनटतक. चूंकि इस भद्रा का वास पाताल है, इसलिए इसका दुष्प्रभाव धरती पर नहीं पड़ेगा.

बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास

दुनिया भर के बौद्ध और हिंदू गौतम बुद्ध के जन्म को बुद्ध जयंती के रूप में मनाते हैं. बुद्ध का जन्म एक राजकुमार सिद्धार्थ गौतम के रूप में, 563 ईसा पूर्व में पूर्णिमा के दिन हुआ था. इनकी जन्म स्थली लुंबिनी (आधुनिक नेपाल में एक क्षेत्र) है. इसलिए, उनकी जयंती के दिन को बुद्ध पूर्णिमा या वैसाखी बुद्ध पूर्णिमा या वेसाक के रूप में भी जाना जाता है.

बुद्ध जयंती पर इन देशों में मनाते हैं उत्सव

श्रीलंका, म्यांमार, कंबोडिया, जावा, इंडोनेशिया, तिब्बत, मंगोलिया, बुद्ध जयंती के विशेष दिन को एक उत्सव के ‘वेसाक’ के रूप में मनाते हैं.

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

बुद्ध जयंती बौद्ध धर्म के लोग बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं. गौतम बुद्ध एक अभूतपूर्व व्यक्ति थे – एक दार्शनिक, आध्यात्मिक मार्गदर्शक, धार्मिक नेता, ध्यानी, जिन्होंने बोधगया में बोधि (बरगद) के पेड़ के नीचे 49 दिनों तक निरंतर ध्यान के बाद ज्ञान प्राप्त किया; और ‘पीड़ा’ को समाप्त करने के रहस्य को उजागर किया. उन्होंने कहा, समाधान चार आर्य सत्यों में निहित है. गौतम ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था. उन्होंने 45 वर्षों तक ‘धर्म’, अहिंसा, सद्भाव, दया, ‘निर्वाण’ के मार्ग का उपदेश दिया. बौद्ध धर्म भगवान बुद्ध की शिक्षाओं पर आधारित है, जो ‘सुत्त’ नामक संकलन है.

शाही परिवार में पैदा होने के बाद भी विलासी जीवन त्याग दिया

एक शाही परिवार में पैदा होने के बावजूद, उन्होंने विलासी जीवन को त्याग दिया और 30 साल की उम्र में घर छोड़ दिया, तपस्या कर जीवन व्यतीत किया, उस सत्य की तलाश में जो पीड़ा (दुख) से मुक्त करता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार बुद्ध को नौवां विष्णु अवतार (पुनर्जन्म) माना जाता है.

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दुनिया भर के बौद्ध समुदाय, मठ इस दिन प्रार्थना करते हैं

बुद्ध पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व है. दुनिया भर के बौद्ध समुदाय, मठ प्रार्थना करते हैं, मंत्रोच्चार करते हैं, ध्यान करते हैं, उपवास करते हैं, उनके उपदेशों पर चर्चा करते हैं और उनकी शिक्षाओं को संजोते हैं. बुद्ध जयंती पर पवित्र गंगा में डुबकी लगाने की परंपरा भी है.

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