कोरोना से उबरने के बाद लोगों मे दिखाई देता है मायोकार्डिटिस का लक्षण, यंगस्टर्स को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ अशोक सेठ ने एक इंटरव्यू मे बताया है कि दिल की बीमारी वाले लोग कोरोना महामारी के संक्रमण से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे लोगों के हार्ट को संक्रमण से बाकी लोगों की तुलना में ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है.

By Prabhat Khabar Print Desk | April 7, 2021 9:33 AM

नई दिल्ली : कोरोना महामारी के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से पूरे देश में विशेष टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है, ताकि लोगों को वायरस के संक्रमण से बचाया जा सके. सरकार की ओर से टीकाकरण अभियान शुरू करने के बाद से देश में दिल के मरीजों को वायरस से संक्रमित होने का मामला तेजी से बढ़ता दिखाई दे रहा है. खासकर, देश के युवाओं में मायोकार्डिटिस के लक्षण ज्यादा दिखाई दे रहे हैं, जो अपने आप में चिंता का विषय है. आइए, जानते हैं कि हार्ट स्पेशलिस्ट इसे लेकर क्या सुझाव दे रहे हैं…

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ अशोक सेठ ने एक इंटरव्यू में बताया है कि दिल की बीमारी वाले लोग कोरोना महामारी के संक्रमण से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे लोगों के हार्ट को संक्रमण से बाकी लोगों की तुलना में ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है. डॉ सेठ के अनुसार, देश में कोरोना वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू हो गया है. शायद यही कारण हो सकता है कि लोगों में कार्डियक के मरीज कम दिखाई दे रहे हैं और उन्हें गंभीर बीमारियां नहीं हो सकती हैं, लेकिन अभी की स्थिति में उनकी भागीदारी की सटीक नेचर पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी.

उन्होंने कहा कि कोविड संक्रमण से उबरने के बाद लोगों में मायोकार्डिटिस के लक्षण दिखाई दिए हैं. मायोकार्डिटिस एक आम सूजन है, जो दिल की मांसपेशियों को कमजोर करता है और दिल के पंपिंग फंक्शन को प्रभावित करता है. इसलिए पोस्ट कोविड-19 के गंभीर मामलों में कार्डियक भागीदारी दिखाई देती है. इसके साथ ही, दूसरे रोगियों में भी इसका नुकसान देखा गया है. इसमें ब्लड क्लाटिंग से दिल का दौरा पड़ता है और दिल का स्ट्रोक भी होता है.

उन्होंने कहा कि पोस्ट कोविड के बाद युवा लोगों में कार्डियक प्रॉब्लेम्स ज्यादा दिखे हैं. इसमें उनका दिल तेज या अनियमित दर से धड़कना शुरू कर देता है. हालांकि, कोविड की दूसरी लहर में इन प्रभावों को पर नहीं देखा गया है.

उन्होंने आगे कहा कि हमें मामले मिल रहे हैं, लेकिन यह पिछली बार की तरह इसमें दिल की भागीदारी का एक भी केस अब तक नहीं है. इसके पीछे का कारण उन्होंने बताया कि ऐसा इसलिए भी हो सकता है, क्योंकि लोग बड़े पैमाने पर इस समय होम क्वारंटीन में है और बीमार होने पर ही अस्पताल आते हैं. उन्होंने कहा कि हमें आने वाले हफ्तों में ऐसे रोगियों में आफ्टर-इफेक्ट्स के सटीक पैटर्न को देखना होगा, जो कोविड-19 से उबर चुके हैं, क्योंकि प्रभाव का असर दिखने में काफी समय लगता है.

उन्होंने सुझाव दिया है कि कोविड-19 से रिकवर होने वाले सभी लोगों को कम से कम इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम या ईसीजी और एक इकोकार्डियोग्राम (ईसीएचओ) किया जाना चाहिए. खासकर ईसीएचओ, क्योंकि इनमें से कुछ लोगों का दिल कमजोर होता है. इसके लिए उन्होंने सलाह दी है कि रिकवरी के चार सप्ताह बाद एक ईसीएचओ और रिकवरी के तीन महीने बाद हृदय के स्वास्थ्य की जांच करना आवश्यक है.

Posted by : Vishwat Sen

Next Article

Exit mobile version