वैक्सीन नहीं लेनेवाले साथियों की तुलना में वैक्सीन की दोनों खुराक लेनेवाले स्वास्थ्य कर्मी में जोखिम कम : अध्ययन

Christian Medical College, Study, Healthcare workers : नयी दिल्ली : तमिलनाडु के वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज ने एक अध्ययन में खुलासा किया है कि वैक्सीन लेने के बाद हेल्थकेयर वर्कर्स वैक्सीन नहीं लेनेवाले अपने साथियों की तुलना में कम जोखिम का सामना करते हैं. क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) ने यह निष्कर्ष फ्रंटलाइन वर्कर को दी गयी वैक्सीन के आधार पर दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 11, 2021 5:13 PM

नयी दिल्ली : तमिलनाडु के वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज ने एक अध्ययन में खुलासा किया है कि वैक्सीन लेने के बाद हेल्थकेयर वर्कर्स वैक्सीन नहीं लेनेवाले अपने साथियों की तुलना में कम जोखिम का सामना करते हैं. क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) ने यह निष्कर्ष फ्रंटलाइन वर्कर को दी गयी वैक्सीन के आधार पर दिया है.

बताया जाता है कि यह निष्कर्ष 10 हजार से अधिक हेल्थकेयर वर्कर्स पर किये गये अध्ययन पर आधारित है. सीएमसी के मुताबिक, 10,600 हेल्थकेयर वर्कर्स को वैकसीन देने के बाद शोधकर्ताओं ने देखा कि इनमें से 8991 स्वास्थ्य कर्मियों को 21 जनवरी से 30 अप्रैल के बीच वैक्सीन की खुराक दी गयी थी. इनमें से 94.3 फीसदी स्वास्थ्य कर्मियों को कोविशील्ड दी गयी थी.

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अध्ययन में सामने आया है कि कोविशील्ड की दोनों खुराक लेने के बाद 65 फीसदी कोरोना संक्रमित नहीं हुए. वहीं, 77 फीसदी को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी. 92 फीसदी लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी और 94 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों को आईसीयू जाने की जरूरत नहीं पड़ी.

अध्ययन के मुताबिक, वैक्सीन की दोनों खुराक लेनेवाले 679 स्वास्थ्यकर्मी यानी 9.6 फीसदी 47 दिनों के बाद संक्रमित हुए. वहीं, 33 स्वास्थकर्मी कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के दो सप्ताह के अंदर कोरोना संक्रमित हुए. हालांकि, कुछ स्वास्थ्यकर्मियों में वैक्सीन की कमी और दो खुराक के बीच अंतर के दिशा-निर्देशों के कारण उन्हें दोनों खुराक नहीं मिली है.

साथ ही अध्ययन में कहा गया है कि हेल्थकेयर वर्कर्स में कोरोना महामारी की शुरुआत में कोविड-19 के कारण मौतें देखी गयी थीं, जिन्हें कोई और भी बीमारी थी और उन्हें वैक्सीन की खुराक नहीं दी गयी थी. अध्ययन में भारत में दी जा रही कोविशील्ड और कोवैक्सीन की प्रभावकारिता का निर्धारण नहीं किया जा सका है. बताया गया है कि हेल्थकेयर वर्कर्स की संख्या कम होने के कारण अलग विश्लेषण संभव नहीं था.

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