महिलाओं को मालूम होनी चाहिए उनसे जुड़ी ये पांच गंभीर बीमारियों के बारे में

five women diseases serious illnesses related to them महिलाएं घर से बाहर तक की जिम्मेदारी निभाती है. सुबह से रात तक विभिन्न रूप में हमारी सेवा करने वाली इन महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर भी विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है. गुरुवार को International Day of Action for Women Health मनाया गया. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं महिलाओं से संबंधित कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में जो उनमें आम है.

By SumitKumar Verma | May 29, 2020 11:13 AM

five women diseases serious illnesses related to them महिलाएं घर से बाहर तक की जिम्मेदारी निभाती है. सुबह से रात तक विभिन्न रूप में हमारी सेवा करने वाली इन महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर भी विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है. गुरुवार को International Day of Action for Women Health मनाया गया. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं महिलाओं से संबंधित कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में जो उनमें आम है.

इंटरनेशनल विमेंस हेल्थ डे का उद्देश्य

अंतरराष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य दिवस उद्देश्य महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना है.

महिलाओं से जुड़ी पांच बीमारियां

फाइब्रोमायल्जिया : यह एक ऐसी बीमारी है जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा पायी जाती है. इस बीमारी में मुख्य रूप से मांसपेशियों और हड्डियों में काफी दर्द रहता है और थकान भी महसूस होता है. इसके अलावा मस्तिष्क और नींद से संबंधित भी कई समस्याएं भी उत्पन्न होने लगती हैं.

शुरूआत में लगता है कि यह काम-काज और भागदौड़ के कारण हो रहा है लेकिन, लगातार दर्द रहना, नींद पूरा करने के बाद भी थकान महसूस करना, इसके लक्षण है. इस बीमारी का वैसे तो कोई इलाज संभव नहीं है, लेकिन तनाव मुक्त होकर या व्यायाम करके इसे दूर भगाया जा सकता है.

एंडोमीट्रियोसिस : यह बीमारी भी महिलाओं को ही होती है. करीब 90 प्रतिशत महिलाओं को इसकी जानकारी भी नहीं होती है. इस बीमारी में आमतौर पर गर्भाशय के आस-पास की कोशिकाएं शरीर के दूसरे भागों में भी फैल जाती हैं. ये अंडाशय, फ़ैलोपियन ट्यूब, यूरीनरी ब्लैडर में समेत अन्य जगहों पर भी फैल सकता है. हालांकि, विशेषज्ञों की मानें तो जिन महिलाओं को मेनोपॉज़ हो चुका होता है उनमें यह बीमारी होने की आशंका नहीं होती है. इस बीमारी के कारण महिलाओं के मां बनने की क्षमता भी कम हो जाती है.

इस बीमारी के दौरान अनियमित पीरियड्स शुरू होना, ज़्यादा ब्लीडिंग होना, स्तनों में सूजन और यूरिन इंफेक्शन, पेट के निचले हिस्से में दर्द समेत थकान, चिड़चिड़ापन और कमज़ोरी आदि की संभावनाएं बढ़ जाती है.

विटामिन-डी की कमी होना: देश भर में करीब 70 प्रतिशत महिलाओं में विटामिन-डी की कमी होती है. घरों में पूरा दिन गुजारने वाली महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखी गयी है. बाहर जाकर कामकाज करने वाली महिलाओं में यह समस्या घरेलू महिलाओं की तुलना में कम देखी जाती है. विशेषज्ञों की मानें तो धूप से बचने वाली महिलाएं या जिनके शरीर में विटामीन डी का सबसे बड़ा सोर्स धूप नहीं लग पाता उन्हें ही इस समस्या से जूझना पड़ता है.

इसकी कमी से शरीर का अचानक से वजन बढ़ने लगता है, माहवारी अनियमित हो जाती है, चेहरे पर किल-मुंहासे निकलने लगते हैं, साथ ही साथ बाल झड़ने की समस्या भी आम हो जाती है. इसके अलावा कुछ महिलाओं में मधुमेह, उच्च, रक्तचाप, हृदय रोग और बांझपन का खतरा भी बढ़ सकता है.

स्तन कैंसर : यह बीमारी ज्यादातर महिलाएं लक्षण से ही समझ जाती हैं. इस बीमारी में महिलाओं के स्तन के आकार में बदलाव होने लगता है और उसमें गांठ और दर्द महसूस होना, खून आना, लाल हो जाना आदि इसके लक्षण होते हैं. इससे बचने के लिए मोटापे से बचना होगा और योग करें.

आपको बता दें कि इसका खतरा सबसे ज्यादा उन्हें होता है जिनके घर में पहले भी ऐसा हो चुका है. इसके अलावा बढ़ती उम्र में बच्चे होने और बच्चे नहीं होने से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. विशेषज्ञ इससे बचने के लिए स्तनपान करवाने की सलाह और परिवार जल्द पूरा करने की भी सलाह देते हैं.

एनीमिया (खून की कमी होना) : यह बीमारी महिला-पुरुष दोनों में हो सकती है. लेकिन, ज्यादातर इसे महिलाओं में ही पाया गया है. दरअसल, इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है महिलाओं का ज्यादा व्यस्त होना है. इसके कारण महिलाएं अपने सेहत पर ध्यान नहीं दे पाती और जरूरी पोषक तत्व भी नहीं ले पाती. शुरू से ही परंपरा चली आ रही, महिलाएं पति के खाने के बाद ही उनका बचा भोजन खाती हैं, ऐसे में जरूरी पोषक तत्व उन्हें नहीं मिल पाता या सुबह पूरा घर का काम निपटा कर पूजा-पाठ कर के बचा खाना खाने बैठती है. यह आदत बिल्कुल गलत है क्योंकि इन्हीं कारणों से उनके सेहत पर असर पड़ता है और शरीर में खून की कमी हो जाती है, जो बाद में एनीमिया का रूप ले लेती है.

कई बार इसके कारण मां और बच्चे दोनों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते है. भोजन सही समय पर नहीं करने के कारण या उसमें विटामिन, मिनरल की कमी के कारण महिलाओं के शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और बच्चा अस्वस्थ्य होता है, कुपोषण का भी शिकार हो सकता है. आपको बता दें कि महिलाओं में 12 ग्राम हीमोग्लोबिन की मात्रा होनी चाहिए, जबकि पुरुषों में 13.5 ग्राम. गर्भावस्था के दौरान खून की कमी होने से बच्चे का वजन कम हो सकता है और कभी-कभी मौत की भी संभावना बढ़ जाती है.

Posted By :Sumit Kumar Verma

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