Corona Second Wave : भारत में कोरोना की दूसरी लहर के पीछे की वजह है ये ? शोधकर्ता पहुंचे विदर्भ, एक्सपर्ट्स ने जताई चिंता

B.1.617, Coronavirus Variant, Vidarbha : देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Second Wave) का तांडव जारी है. पिछले 24 घंटे में 3 लाख 16 हजार के करीब मामले सामने आने से चिंता और बढ गई है. इन सबके बीच अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक देश में बढ़ते मामलों का कारण माने जा रहे कोविड वैरिएंट B.1.617 के बारे में जानकारी जुटाने का प्रसाय कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 22, 2021 9:14 AM
  • पिछले 24 घंटे में 3 लाख 16 हजार के करीब मामले सामने आये

  • कोविड वैरिएंट B.1.617 के बारे में जानकारी जुटाने में लगे शोधकर्ता

  • शोधकर्ता पहुंचे विदर्भ, एक्सपर्ट्स ने जताई चिंता

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Second Wave) का तांडव जारी है. पिछले 24 घंटे में 3 लाख 16 हजार के करीब मामले सामने आने से चिंता और बढ गई है. इन सबके बीच अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक देश में बढ़ते मामलों का कारण माने जा रहे कोविड वैरिएंट B.1.617 के बारे में जानकारी जुटाने का प्रसाय कर रहे हैं.

बताया जा रहा है कि यह वैरिएंट अमरावती में मिला और फरवरी में इसी की वजह से आसपास के जिलों में संक्रमण के मामले बढ़ते चले गये. हालांकि अभी इस बात को पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है. इस बात की पुष्टि करने के लिए और भी शोध की जरूरत है. फिलहाल वैज्ञानिक इस वैरिएंट के बारे में जानकारी जुटाने में लगे हुए हैं और वे विदर्भ का रुख कर रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं को ऐसी आशंका है कि यह भारत में पैदा हुआ वैरिएंट है. यही वजह है कि रिसर्च और मीडिया हाउस अब विदर्भ पर अपना ध्यान केंद्रीत कर रहे हैं. इस दौरान कई लोगों नए ‘भारतीय वैरिएंट’ की जानकारी जुटाते हुए नागपुर पहुंचे.

संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नितिन शिंदे ने इस संबंध में जानकारी साझा की और कहा कि यह ब्रिटेन या अफ्रीका या ब्राजील के वैरिएंट की तुलना में अलग है. इसके बारे में इस लहर की शुरुआत में चर्चा हो चुकी है. वे कहते हैं कि ब्रिटेन सहित कई देशों ने भारत पर ट्रेवल बैन लगाने का काम किया है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि वायरस का यह खास वैरिएंट B.1.617 तेजी से प्रसार कर रहा है. इसके अलावा वे अमरावती में कोरोना के संक्रमण के प्रसार के लिए इसी वैरिएंट को जिम्मेदार मानते हैं. हालांकि, इस मामले में अभी और रिसर्च की जरूरत है.

रिपोर्ट्स में ईग्लोल इनीशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इंफ्लुएंजा डेटा का हवाला दिया गया है और कहा जा रहा है कि B.1.617 पहली बार दिसंबर 2020 में एकत्र हुए सैंपल्स में पाया गया था. इधर विदर्भ के यवतमाल जिले के उमरखेड़ के डॉक्टर अतुल गवांडे जो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की कोविड-19 कंट्रोल एडवाइजरी टीम के सदस्य हैं. उन्होंने भी वायरस के इस वैरिएंट को लेकर खासी चिंता जाहिर की है.

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अतुल गवांडे ने पाया है कि यह वैरिएंट पूरे परिवार को अपना शिकार बनाने का काम कर रहा है. खासतौर से ऐसा विदर्भ में नजर आ रहा है. वे कहते हैं कि इसका मतलब यह है कि यह वायरस विशेष रूप से ज्यादा संक्रामक है. हालांकि, यह घातक है या नहीं, इसके बारे में स्टडी करने की जरूरत है. वहीं वायरोलॉजी शोधकर्ता ग्रेस रॉबर्ट्स की शुरुआती स्टडी से ये बात सामने आई है कि यह वैरिएंट पिछले वाले रूप से 20 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है.

हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि मामलों में बढ़त के तार B.1.617 से नहीं जुड़े हैं. वहीं, एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसा डेटा की कमी की वजह से हो सकता है और कई जानकार वायरस सीक्वेंसिंग पर जोर दे रहे हैं.

Posted BY : Amitabh Kumar

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