ओटीटी की बढ़ती लोकप्रियता क्या बनेंगी सिनेमाघरों के लिए चुनौती… पढ़े खास रिपोर्ट

growing popularity of OTT platforms a challenge for theaters read special report bud : बीते साल लॉक डाउन ने देशभर के सिनेमाघरों में ताले डाल दिए थे. छोटे परदे पर शोज का प्रसारण रुक गया था लेकिन ओवर द टॉप यानी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स दर्शकों का खूब मनोरंजन कर अपना खूब दमखम दिखाया.

By कोरी | February 19, 2021 8:57 PM

बीते साल लॉक डाउन ने देशभर के सिनेमाघरों में ताले डाल दिए थे. छोटे परदे पर शोज का प्रसारण रुक गया था लेकिन ओवर द टॉप यानी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स दर्शकों का खूब मनोरंजन कर अपना खूब दमखम दिखाया. बीते एक साल में ओटीटी ना सिर्फ मनोरजंन का अहम ज़रिया बनकर उभरा है बल्कि ऐसी भी चर्चा शुरू हो गयी है कि ओटीटी ही एंटरटेनमेंट का भविष्य है. थिएटर्स के लिए चुनौती नहीं बल्कि सिरदर्द ये मनोरंजन का नया माध्यम बनने वाला है. एक रिपोर्ट…

ओटीटी की बादशाहत रहेगी बरकरार !

हाल ही में आई एक खबर के मुताबिक, ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स को साल 2020 में सबसे ज्यादा दर्शक और सब्सक्राइबर भारत में ही मिले. नेटफ्लिक्स ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि भारत में लोगों ने सबसे ज्यादा फिल्में देखी हैं इसके साथ ही नॉन फिक्शन, बच्चों के प्रोग्राम्स और कोरियन ड्रामा के डब वर्जन भी खूब देखे गए हैं. ऑल्ट बालाजी ने नचिकेता पन्तवादिया ने बीते साल लॉक डाउन के बाद दावा किया कि उनका बिजनेस ग्रोथ 60 प्रतिशत तक बढ़ गया था. बीते साल लगभग हर ओटीटी प्लेटफार्म में दर्शकों का इजाफा हुआ था.

गौरतलब है कि ओटीटी 2014 में ही भारत में दस्तक दे चुका था. 2019 यानी लॉकडाउन से पहले तक सब्सक्रिप्शन के ज़रिए कमाई 1200 करोड़ रुपये थी जबकि हालिया एक रिसर्च में दावा किया गया है साल 2024 तक यह कमाई 7400 करोड़ आंकड़े को पार कर जाएगी मतलब साफ है कि आने वाला वक़्त ओटीटी के नाम होने वाला है.

आंकड़ों की मानें तो भारत में किसी फिल्म की रिलीज होने पर 250 करोड़ तक टिकट बेचीं जाती हैं जबकि डिजिटल प्लेटफार्म में नेटफ्लिक्स, अमेज़न और हॉटस्टार सिर्फ इन तीन के पास ही 35 से 40 करोड़ दर्शकों का सब्सक्रिप्शन है. इसके अलावा भी कई पॉपुलर ओटीटी प्लेटफार्म हैं और आए दिन इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो रही जिससे ये साफ है कि ओटीटी के दर्शक सिनेमाघरों के दर्शकों के बराबर हो जायेगे.

अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी साफ शब्दों में कहते हैं कि ओटीटी की खासियत यही है कि यहां सेंसरशिप नहीं है. सेंसरशिप आने से चीज़ें वैसी नहीं रह जाएंगी हालांकि टीवी और फिल्मों के अभिनेता सुशांत सिंह की अपनी दलील है. वे कहते हैं कि क्रिएटिविटी अपना रास्ता ढूंढ ही लेती है. ईरानी सिनेमा से बेहतर औऱ क्या उदाहरण हो सकता है.

एक साल पुरानी ओटीटी की आदत है थिएटर्स का जादू दशकों पुराना

बीता साल हिंदी इंडस्ट्री के लिए बहुत बुरा साल रहा है. कई हज़ार करोड़ का घाटा हुआ. ट्रेड विश्लेषक कोमल नाहटा बताते हैं कि ओटीटी फ़िल्म इंडस्ट्री के लिए 2020 में वरदान साबित हुआ था. अगर ओटीटी नहीं होता तो फिल्मों की रिलीज नहीं हो पाती थी और बॉलीवुड का कई हजार करोड़ का घाटा और बढ़ जाता था. थिएटर नहीं थे इसलिए ओटीटी विकल्प बना था लेकिन जिस तरह से चीज़ें नार्मल हो रही हैं. दर्शक थिएटर की ओर रुख करेंगे ही. ये बात निर्माता निर्देशक और एक्टर्स भी जानते हैं.

अक्षय कुमार की फ़िल्म सूर्यवंशी और रणवीर सिंह की 83 सिर्फ थिएयर में रिलीज के लिए लगभग एक साल से इंतज़ार कर रही है. उन फिल्मों को ओटीटी पर रिलीज कर निर्माता आराम से करोड़ों कमा सकते हैं लेकिन थियेटर का एक जादू है. यही वजह है कि करोड़ों रुपये का ब्याज वह अपनी फिल्म के लिए दे रहे हैं ताकि फ़िल्म थिएयर में ही रिलीज हो. ईद पर राधे रिलीज हो रही है सलमान खान की शर्ट फटते देख जब सिनेमाघर तालियों से गूंज उठेंगे.

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सिनेमा के प्रति वो दीवानगी आप घर पर मोबाइल या टीवी पर उसी फ़िल्म को देखते हुए महसूस नहीं कर पाएंगे. ओटीटी की आदत एक साल पुरानी है और थिएटर्स में फिल्में देखने की लत दशकों पुराना. जिस तरह से आए द दिन किसी बड़े स्टार की फ़िल्म की रिलीज तारीख तय हो रही है. लग रहा है कि थिएटर का जादू एक बार फिर दर्शकों के सिर चढ़कर बोलेगा. आज अमिताभ बच्चन की फ़िल्म झुंड की रिलीज़ तारीख 18 जून की घोषणा हुई और अक्षय कुमार की बेल बॉटम भी तय हो गयी है कि 28 मई. यशराज पहले ही साल भर की अपनी फिल्मों की रिलीज तारीख घोषित कर चुका है.

अभिनेत्री माधुरी दीक्षित साफ तौर पर कहती हैं कि ओटीटी थियेटर की जगह नहीं ले सकता है. ओटीटी के अपने दर्शक हैं और थिएटर के अपने दर्शक. जिस तरह से टीवी का कंटेंट अलग होता है उसी तरह वेब का कंटेंट भी फिल्मों से अलग होगा. वेब सीरीज थिएटर में रिलीज नहीं हो सकती हैं और फिल्मों के लिए कल भी थिएटर पहली पसंद था और आगे भी रहेगा. हां कुछ फिल्में मार्केट के दबाव में नहीं बनती हैं विषय के साथ न्याय करना ज़रूरी होता है. उसके लिए ओटीटी रहेगा.

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