UP Election: पूर्वांचल के इस सीट से टूटेगा तिलिस्म? क्यों इस बार मुस्लिम उम्मीदवार की जीत के हैं आसार

UP Election 2022: जमानियां विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी अच्छी तादाद में है. इस विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से ऊपर मुस्लिम मतदाता हैं. इतनी मुस्लिम आबादी होने के बाद भी आज तक इस सीट पर कोई मुस्लिम उम्मीदवार जीत हासिल करने में कामयाब नहीं हुआ है.

By Prabhat Khabar | March 6, 2022 8:34 AM

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के मैदान में कई समीकरण बनते और बिगड़ते नजर आ रहे हैं. लेकिन, गाजीपुर जनपद के जमानियां विधानसभा सीट पर एक ऐसा समीकरण है, जो अब तक टूट नहीं पाया है. इस विधानसभा सीट पर सबसे बड़ी आबादी मुस्लिम समुदाय की है. इसके बाद भी यहां से कभी भी मुस्लिम समुदाय का विधायक चुनकर विधानसभा नहीं पहुंच पाया है. इस बार दावेदारी तो बहुत हो रही है, लेकिन आखिरी समय में पलटने के कारण कुख्यात यहां के मतदाता का क्या गुल खिलाते हैं, यह देखना दिलचस्प रहेगा.

जमानियां विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी अच्छी तादाद में है. इस विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से ऊपर मुस्लिम मतदाता हैं. इस सीट पर बहुत ही रोचक चुनाव परिणाम देखने को मिल सकता है. इतनी मुस्लिम आबादी होने के बाद भी आज तक इस सीट पर कोई मुस्लिम उम्मीदवार जीत हासिल करने में कामयाब नहीं हुआ है. इस सीट पर अब तक सैकड़ों मुस्लिम उम्मीदवार किस्मत आजमा चुके हैं. हालांकि, उन्हें जीत नहीं मिल पाई है.

वर्ष 1967 से 2012 तक दिलदारनगर विधानसभा सीट का अलग अस्तित्व था. बाद में इसका जमानियां विधानसभा में विलय कर दिया गया. इस सीट पर अब तक चुनाव लड़ने वालों की बात करें तो जमानियां विधानसभा से 1962 में महमूद अली खान ने चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी. इसके बाद 1967 विधानसभा चुनाव हुआ, जिसमें दिलदारनगर विधानसभा से निर्दल प्रत्याशी अलीयार खान ने भी चुनाव लड़ा. 1969 में दिलदारनगर विधानसभा से बीकेडी के प्रत्याशी मकसूद खान चुनावी मैदान में उतरे थे. 1977 के विधानसभा चुनाव में दिलदारनगर विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी अब्दुल्लाह खान और कामरेड इरशाद ने सियासी जंग में अपनी किस्मत आजमाई थी.

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1980 और 1984 भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डॉ इश्तियाक खान चुनावी मैदान में उतरे थे. दिलदारनगर विधानसभा से 1980 में जनता पार्टी (सेक्युलर- चौधरी चरन सिंह), 1984 में बीकेडी, 1989 में लोकदल (ब) और 2002 में बसपा के प्रत्याशी के तौर पर असलम खान ने दमदारी से चुनाव लड़ा था। दिलदारनगर विधानसभा से 1991 में बसपा के प्रत्याशी के तौर पर एजाज खान और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर मकसूद खान, शोषित समाज दल के प्रत्याशी डॉ. मसीहुज्जमा खान भी चुनाव लड़ चुके हैं.

वहीं जमानियां और इस से पहले दिलदारनगर सीट पर लोग सेक्युलर मिजाज से वोट देते आएं है. आज जमानियां के मुस्लिम वोटरों का मानना है कि हमें अपने मोबाइल में ग्रुप में ओवैसी मुख्तार अंसारी आजम खान जैसे लोगों की जरूरत नहीं है. जुकाम के नाम पर सौदेबाजी करें हमें जरूरत है ओम प्रकाश सिंह और जैक्सन साहू जैसे लोगों की. समाजवादी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ओम प्रकाश सिंह 6 बार विधायक नहीं चुनें गए . लोगो ने बताया की आज तक कभी भी हिन्दू-मुस्लिम दंगे नहीं हुए हैं.

इसकी वजह साफ है कि मुस्लिम समुदाय के लोग हिंदुओं को अपना मानते हैं, न कि गैर मजहबी. हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनावों में भी जमानियां विधानसभा सीट से दो मुस्लिम कैंडिडेट चुनावी मैदान में हैं. बीएसपी के युसुफ फरीद उर्फ परवेज खान और कांग्रेस से फरजाना शमशाद. अब देखना है कि इन दोनों को जिताने के लिए लोग पुरानी चली आ रही परिपाटी पर वोट करेंगे या फिर हर बार की तरह इस बार भी इलाके के वोटर अपने पुराने मिजाज से ही वोट करेंगे.

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