Mayawati B’day: सीएम नहीं बल्कि कलेक्टर बनना चाहती थी मायावती, राजनीति में आने से पहले ऐसी थी उनकी कहानी

Mayawati Birthday : मायावती की दिल्ली से पढ़ाई लिखाई हुई,सपना कलेक्टर बनने का था. राजनीति में उनका प्रवेश कांशीराम की विचारधारा से प्रभावित होकर हुआ.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2022 7:09 AM

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) का आज अपना 66वां जन्मदिन है. कोरोना काल में मायावती ने अपने जन्मदिन (Mayawati Birthday) को सेलिब्रेट ना करने को सभी कार्यकर्ताओं से अपील किया है. उन्होंने अपील की है कि इस महामारी के काल में कार्यकर्ता उनका जन्मदिवस सादगी और जनकल्याणकारी दिवस के रूप में मनाए. वहीं बसपा सुप्रीमो अपने जन्म दिन के मौके पर ब्लू बुक मेरे संघर्षमय जीवन व बसपा मूवमेंट का सफरनामा का विमोचन करेंगी. यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि जन्मदिन के मौके पर बसपा उम्मीदवारों की सूची भी जारी की जा सकती है.

बसपा सुप्रीमो मायावती देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रही हैं. वे एक सख्त प्रशासक के रूप में भी जानी जाती है, लेकिन मौजूदा राजनीतिक परिवेश में उनके सामने चुनौती अपने वोट बैंक के साथ ही पुराने नेताओं को अपने साथ रखने की भी है. 2012 विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद आज 9 साल का समय बीत चुका है, लेकिन किसी भी चुनावों में पार्टी को जीत हासिल नहीं हुई है. वहीं इस साल हो रहे विधानसभा चुनाव में बसपा एकला चलो मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है. 2019 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली मायावती इस बार अकेले ही मैदान में उतरी हैं.

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कलेक्टर बनने का था सपना 

मायावती की दिल्ली से पढ़ाई लिखाई हुई,सपना कलेक्टर बनने का था. राजनीति में उनका प्रवेश कांशीराम की विचारधारा से प्रभावित होकर हुआ. राजनीति में आने से पहले मायावती शिक्षिका थीं. मायावती 1989 में पहली बार सांसद बनी थीं. 1995 में वह अनुसूचित जाति की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. 2001 में बसपा प्रमुख एवं पार्टी संस्थापक कांशीराम ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया. 2002-2003 के दौरान भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में मायावती मुख्यमंत्री बनीं. 2007 के विधानसभा चुनाव जीतकर फिर से सत्ता में लौटी और यूपी की कमान संभाली. 2012 के विधानसभा चुनाव में मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी चुनाव हार गई. तब से लेकर आज तक मायावती को कोई जीत हासिल नहीं हुई है.

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