UP Election 2022: चुनावी साल में अखिलेश यादव के इस फैसले से BSP की बढ़ सकती है टेंशन, जानें

Akhilesh Yadav latest news: पार्टी ने शनिवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, 'समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज समाजवादी बाबा साहेब आंबेडकर वाहिनी के गठन की घोषणा कर दी

By Agency | October 17, 2021 8:35 AM

उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) ने दलित वोटों का समीकरण साधते हुए समाजवादी बाबा साहब वाहिनी का गठन किया है और इसकी कमान पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से आने वाले बसपा के पूर्व दलित नेता मिठाई लाल भारती को सौंपी है. भारती बसपा छोड़ सपा में शामिल हुए थे और वे बसपा के पूर्वांचल जोन के कॉर्डिनेटर थे.

पार्टी ने शनिवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, ‘समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज समाजवादी बाबा साहेब आंबेडकर वाहिनी के गठन की घोषणा कर दी.’ इसके पहले सपा मुख्यालय से जारी एक बयान में द्वारा जारी नियुक्ति पत्र मीडिया से साझा किया गया जिसमें उन्होंने सपा की बाबा साहब वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर भारती को मनोनीत किया है.

सपा प्रमुख ने उनसे अपेक्षा की है कि वह जल्द बाबा साहब वाहिनी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन कर अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करें. यादव ने 14 अप्रैल को डॉक्टर आंबेडकर की जयंती पर बाबा साहब वाहिनी के गठन की घोषणा की थी, लेकिन उसका क्रियान्वयन नहीं हुआ था. भारती पहले बहुजन समाज पार्टी से जुड़े थे और जोनल कोऑर्डिनेटर समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर अपना दायित्व निर्वहन कर चुके थे लेकिन करीब दो वर्ष पहले उन्होंने सपा की सदस्यता ग्रहण की थी.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में 20-22 प्रतिशत दलित वोटों को साधने के लिए सपा बसपा में कार्य कर चुके अनुभवी नेताओं के सहयोग और बाबा साहब आंबेडकर के नाम का सहारा लेकर एक नया समीरण बनाने की कोशिश कर रही है. गौरतलब है कि करीब 24 वर्षों की रार के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ा जिसमें सपा के बैनर, पोस्टर पर भी बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की भी तस्‍वीरें नजर आई थीं.

हालांकि लोकसभा चुनाव परिणाम आने के कुछ ही दिनों बाद बसपा प्रमुख मायावती ने सपा से गठबंधन तोड़ने का एलान कर दिया था. इसके पहले वर्ष 1993 में सपा और बसपा ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा और उत्‍तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में साझा सरकार बनाई. पर, जून 1995 में राज्य अतिथि गृह में मायावती के साथ सपा कार्यकर्ताओं के कथित दुर्व्यवहार के बाद यह गठबंधन टूट गया और तब भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं.

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