Vedanta Demerger: वेदांता के कारोबार का होगा विभाजन, एनसीएलटी से मिली मंजूरी
Vedanta Demerger: वेदांता डिमर्जर पर बड़ा अपडेट सामने आया है. एनसीएलटी ने वेदांता समूह की कारोबार विभाजन योजना को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद एल्युमिनियम, तेल एवं गैस, बिजली और लौह एवं इस्पात के लिए अलग कंपनियां बनाई जाएंगी. इस फैसले से वेदांता को स्पष्ट रणनीतिक दिशा, बेहतर पूंजी संरचना और क्षेत्र-विशेष फोकस मिलेगा. कंपनी ने कहा है कि अब डिमर्जर योजना को लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिससे निवेशकों को भी पारदर्शिता और मूल्यांकन में आसानी होगी.
Vedanta Demerger: वेदांता ग्रुप के लिए एक बड़ा कॉरपोरेट घटनाक्रम सामने आया है. राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने मंगलवार को कंपनी की बहुप्रतीक्षित कारोबार विभाजन (डिमर्जर) योजना को मंजूरी दे दी। एनसीएलटी की मुंबई पीठ में न्यायाधीश चरणजीत सिंह गुलाटी और नीलेश शर्मा शामिल हैं. उन्होंने अपने आदेश में कहा कि कंपनी द्वारा प्रस्तुत योजना को स्वीकृति दी जाती है. इससे वेदांता के विभिन्न कारोबार अब अलग-अलग कंपनियों के रूप में काम कर सकेंगे.
किन कारोबारों का होगा अलगाव
एनसीएलटी की मंजूरी के बाद वेदांता ग्रुप के एल्युमिनियम, तेल एवं गैस, बिजली और लौह एवं इस्पात जैसे प्रमुख क्षेत्रों के लिए अलग-अलग कंपनियों का गठन किया जाएगा. इस कदम का उद्देश्य प्रत्येक व्यवसाय को स्वतंत्र रणनीतिक दिशा, अलग पूंजी संरचना और बेहतर प्रबंधन फोकस प्रदान करना है, ताकि वे अपने-अपने सेक्टर में अधिक कुशलता से काम कर सकें.
नवंबर में पूरी हुई थी सुनवाई
इस मामले में एनसीएलटी ने नवंबर में सुनवाई पूरी कर ली थी, जिसके बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था. लंबे इंतजार के बाद आए इस आदेश को वेदांता ग्रुप के लिए एक अहम उपलब्धि माना जा रहा है. कंपनी लंबे समय से अपने कारोबार को सरल और पारदर्शी ढांचे में लाने की दिशा में काम कर रही थी.
क्या कहती है वेदांता
एनसीएलटी के फैसले का स्वागत करते हुए वेदांता ने कहा कि यह कदम ग्रुप को क्षेत्र-विशेष की कंपनियों में बदलने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा कि अब वेदांता इस योजना को लागू करने के लिए आवश्यक सभी औपचारिक और प्रक्रियात्मक कदम उठाएगी. इससे निवेशकों को भी प्रत्येक कारोबार का स्वतंत्र मूल्यांकन करने में आसानी होगी.
सरकार की आपत्तियां और वेदांता का पक्ष
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इस विभाजन योजना का विरोध किया था. मंत्रालय ने वित्तीय जोखिम, हाइड्रोकार्बन संपत्तियों में कथित गलत प्रस्तुति और देनदारियों के अपर्याप्त खुलासे को लेकर चिंता जताई थी. खासतौर पर राजस्थान के आरजे तेल एवं गैस ब्लॉक से जुड़े लंबित विवादों का हवाला दिया गया था. हालांकि, वेदांता ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि उसने सभी नियामकीय शर्तों का पालन किया है और सेबी से आवश्यक मंजूरी पहले ही प्राप्त कर ली गई है.
2023 में हुई थी योजना की घोषणा
अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाले वेदांता ग्रुप ने वर्ष 2023 में इस कारोबार विभाजन योजना की घोषणा की थी. इसके तहत भारतीय परिचालन को पांच अलग-अलग सूचीबद्ध कंपनियों में बांटा जाएगा. इनमें वेदांता एल्युमिनियम, वेदांता ऑयल एंड गैस, वेदांता पावर, वेदांता आयरन एंड स्टील और एक पुनर्गठित वेदांता शामिल हैं.
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हिंदुस्तान जिंक की भूमिका
मूल कंपनी हिंदुस्तान जिंक के जरिए जिंक और चांदी का कारोबार पहले की तरह जारी रहेगा. साथ ही, पुनर्गठित वेदांता को नई परियोजनाओं के लिए एक इनक्यूबेटर के रूप में विकसित किया जाएगा. इस तरह, यह विभाजन वेदांता समूह के भविष्य की विकास रणनीति का अहम आधार बनता दिख रहा है.
भाषा इनपुट के साथ
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