ट्रंप टैरिफ से भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट, निवेशक चिंतित

US Tariff Impact: ट्रंप प्रशासन का मानना है कि भारत अमेरिकी कंपनियों को अपने बाजार में समान अवसर नहीं देता है. इसके अलावा, रूस से बड़ी मात्रा में तेल और सैन्य उपकरण खरीदने को लेकर भी अमेरिका ने नाराजगी जताई है, यह आरोप लगाते हुए कि यह रूस के यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष समर्थन देता है.

By Rajeev Kumar | August 2, 2025 9:10 AM

US Tariff Impact: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए नए व्यापार शुल्कों (टैरिफ) ने भारतीय शेयर बाजार को बुरी तरह प्रभावित किया है। आज बाजार में अचानक बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों में गहरी चिंता फैल गई है। यह कदम वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंकाओं को और बढ़ा रहा है, जिसका सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था और आम निवेशकों की बचत पर पड़ता दिख रहा है। करोड़ों रुपये के नुकसान की आशंका के साथ, बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है, जिससे आगे की राह मुश्किल नजर आ रही है।

अमेरिका के टैरिफ से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट, निवेशकों की चिंता बढ़ी

पृष्ठभूमि

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले सामानों पर 25% का अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिससे भारतीय शेयर बाजार में गिरावट आई है और निवेशकों की चिंता बढ़ गई है. यह फैसला 1 अगस्त से लागू होना था, लेकिन अब यह 7 अगस्त से प्रभावी होगा. यह कदम भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापारिक वार्ताओं में गतिरोध के बीच आया है.

ट्रंप प्रशासन का मानना है कि भारत अमेरिकी कंपनियों को अपने बाजार में समान अवसर नहीं देता है. इसके अलावा, रूस से बड़ी मात्रा में तेल और सैन्य उपकरण खरीदने को लेकर भी अमेरिका ने नाराजगी जताई है, यह आरोप लगाते हुए कि यह रूस के यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष समर्थन देता है. अमेरिका ने भारत पर कृषि और डेयरी उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाने का आरोप भी लगाया है, जिससे अमेरिकी उत्पादों को भारतीय बाजारों तक पहुंचने में मुश्किल होती है.

बाजार पर तत्काल प्रभाव

अमेरिकी टैरिफ की घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार में नकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली है. बेंचमार्क सेंसेक्स 586 अंक (0. 72%) गिरकर 80,600 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 203 अंक (0. 82%) टूटकर 24,565 पर टिका. यह निफ्टी का 3 जून के बाद का सबसे निचला स्तर है और दोनों सूचकांकों ने लगातार पांचवीं साप्ताहिक गिरावट दर्ज की है, जो अगस्त 2023 के बाद गिरावट का सबसे लंबा सिलसिला है.

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट वैश्विक व्यापार तनाव और निवेशकों के भरोसे में कमी के कारण हुई है. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की लगातार बिकवाली ने भी बाजार पर दबाव बनाया है. रुपये पर भी दबाव बढ़ा है, और यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 18 पैसे कमजोर होकर 86. 88 पर पहुंच गया.

सूचकांकगिरावट (अंक)प्रतिशत गिरावटबंद हुआ
सेंसेक्स5860. 72%80,600
निफ्टी 502030. 82%24,565

प्रभावित क्षेत्र और उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

अमेरिकी टैरिफ से कई भारतीय निर्यात क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं. इनमें कपड़ा, रत्न और आभूषण, चमड़ा, स्मार्टफोन, फार्मा, और ऑटो पार्ट्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं. एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय निर्यात पर 25% शुल्क लगाने से भारत की तुलना में अमेरिका पर कहीं ज्यादा असर पड़ेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भारत से ज्यादा झटका लग सकता है क्योंकि वहां सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में गिरावट, महंगाई में तेजी और डॉलर में कमजोरी के आसार दिख सकते हैं.

उद्योग जगत ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII), फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI), और एसोचैम जैसी शीर्ष उद्योग संस्थाओं ने इस निर्णय को अनुचित बताया है. भारतीय परिधान निर्यातकों ने चिंता जताते हुए कहा कि इस शुल्क के कारण विनिर्माण इकाइयों में बड़े पैमाने पर छंटनी हो सकती है और उन्होंने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है.

कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के अनुसार, यह निर्णय अनुचित है और भारतीय निजी उद्योग जगत में तीव्र असंतोष और चिंता पैदा करेगा.

भारत सरकार की रणनीति

भारत सरकार ने अमेरिकी टैरिफ पर सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन संकेत दिए हैं कि वह राष्ट्रीय हितों से समझौता किए बगैर अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखेगी. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा कि सरकार इन टैरिफ के प्रभावों की जांच कर रही है और किसानों, निर्यातकों, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) और उद्योग निकायों सहित सभी हितधारकों के साथ परामर्श कर रही है.

सरकारी सूत्रों ने बताया है कि भारत कोई जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा और बातचीत के जरिए ही इसका हल निकालने की कोशिश करेगा. भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह कृषि, डेयरी और आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जीएम) खाद्य उत्पादों पर कोई शुल्क रियायत नहीं देगा, क्योंकि इन क्षेत्रों में लाखों गरीब किसानों के हित जुड़े हुए हैं.

सरकारी सूत्रों ने दावा किया, “भारत से अमेरिका को होने वाले आधे से अधिक निर्यात पर टैरिफ में इजाफे का प्रभाव नहीं पड़ेगा. उनका कहना है कि अमेरिकी की नई शुल्क नीति से करीब 40 अरब डॉलर के निर्यात पर ही असर पड़ सकता है.”

व्यापक निहितार्थ और आगे की राह

यह टैरिफ न केवल भारत के निर्यातकों को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक व्यापार में भी अस्थिरता ला सकता है. खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका संरक्षणवादी नीतियों की ओर झुकाव दिखा रहा है, यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है.

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जारी रहेगी. छठे दौर की वार्ता 25 अगस्त से भारत में होनी है. भारत का लक्ष्य एक संतुलित व्यापार समझौता करना है जो उसके राष्ट्रीय हितों की रक्षा करे. एसबीआई रिसर्च के अनुसार, भारत अपने निर्यात गंतव्यों में विविधता ला चुका है, जिससे अमेरिका पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी.

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