Tariff On India: भारत को दोहरा झटका, अमेरिका के बाद अब मेक्सिको ने भी बढ़ाए टैरिफ, कीमतों में उछाल तय
Tariff On India: मेक्सिको ने अमेरिका के बाद भारत के लिए बड़ा झटका देते हुए 1,400 से ज्यादा उत्पादों पर 50% तक टैरिफ बढ़ा दिया है. नई नीति से टेक्सटाइल, ऑटो-पार्ट्स, स्टील और प्लास्टिक जैसे सामान महंगे हो सकते हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों की लागत बढ़ेगी.
Tariff On India: मेक्सिको (Maxico) ने अपनी पुरानी फ्री-ट्रेड वाली नीति से हटकर एशियाई देशों से आने वाले सामान पर भारी टैक्स लगाने का बड़ा कदम उठाया है. इस फैसले का सबसे ज्यादा असर चीन, भारत, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों पर पड़ेगा, जो मेक्सिको को अपना अहम निर्यात बाज़ार मानते आए हैं.
नई टैरिफ पॉलिसी क्या है?
मेक्सिको की संसद ने एक नए टैरिफ सिस्टम को मंजूरी दी है, जिसके तहत 1,400 से ज्यादा प्रोडक्ट्स पर आयात शुल्क बढ़ाया जाएगा. जिन देशों के साथ मेक्सिको का कोई औपचारिक व्यापार समझौता नहीं है, उन्हें इस लिस्ट में शामिल किया गया है. इस नई व्यवस्था के तहत कई चीज़ों पर 35% तक और कुछ खास कैटेगरी वाले सामानों पर सीधा 50% तक का टैक्स लगाया जाएगा. यह नया नियम अगले साल से लागू होगा और 2026 तक धीरे-धीरे और कठोर होता जाएगा. इससे ऑटो, टेक्सटाइल, कपड़े, प्लास्टिक, धातु और जूते-चप्पल जैसी इंडस्ट्रीज़ पर सीधा असर पड़ेगा.
भारत के लिए यह बदलाव क्यों चिंता की बात है?
भारत के लिए मेक्सिको सिर्फ एक बाजार नहीं बल्कि उत्तरी और लैटिन अमेरिका में पहुंचने का एक बड़ा दरवाज़ा है. मेक्सिको की अर्थव्यवस्था क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी है और भारतीय कपड़ा, लेदर, ऑटो-पार्ट्स और स्टील सेक्टर का बड़ा ग्राहक भी है.लेकिन बढ़े हुए टैक्स के बाद भारतीय कंपनियों के लिए मेक्सिको में सामान भेजना महंगा पड़ जाएगा.
इससे भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है और कई कंपनियों को अपनी व्यापार रणनीति पर फिर से सोचना पड़ सकता है. जो भारतीय कंपनियां मेक्सिको की सप्लाई चेन के जरिए अमेरिका को सामान भेजती थीं, उनकी लागत भी अब बढ़ जाएगी. मेक्सिको के घरेलू उद्योग संगठनों ने भी यह चेतावनी दी है कि इस फैसले से महंगाई बढ़ सकती है.
क्या अमेरिका का दबाव है इस फैसले के पीछे?
कई विशेषज्ञों का मानना है कि मेक्सिको का यह फैसला अचानक नहीं है, बल्कि अमेरिका की सख्त होती व्यापार नीति से जुड़ा हुआ है. अगले साल USMCA की समीक्षा होनी है, जिसमें अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको की व्यापारिक साझेदारी की फिर से जांच होगी.
अमेरिका पहले से ही चीनी सामानों पर भारी टैरिफ लगा रहा है और चाहता है कि उसके पड़ोसी भी इसी लाइन पर चलें. हालांकि मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाउम कहती हैं कि यह फैसला अमेरिका के दबाव में नहीं लिया गया, लेकिन नए टैरिफ की स्ट्रक्चर काफी हद तक अमेरिकी व्यापार मॉडल जैसा ही है, जो काफी कुछ बता देता है.
मेक्सिको के अंदर कैसी प्रतिक्रिया मिली?
इस फैसले पर मेक्सिको में मिली-जुली राय देखने को मिली. विपक्षी पार्टियां कह रही हैं कि इससे आम लोगों पर बोझ बढ़ेगा और चीजे महंगी होंगी. वहीं सरकार के समर्थक इसे घरेलू उद्योग और रोजगार बचाने का कदम बता रहे हैं. खासकर ऑटो सेक्टर इस फैसले के समर्थन में ज़्यादा सामने आया है, क्योंकि पिछले कुछ साल में चीन की कार कंपनियों की हिस्सेदारी 20% तक पहुंच गई है. अब नई नीति के तहत चीनी कारों पर 50% तक का भारी टैक्स लगाया जाएगा.
आगे और भी बदलाव हो सकते हैं
नए कानून में मेक्सिको की सरकार को यह ताकत दी गई है कि वह बिना लंबी प्रक्रिया के गैर-FTA देशों पर टैरिफ में बदलाव कर सके. इसका मतलब है कि आने वाले महीनों में भी नियमों में तेजी से बदलाव देखने को मिल सकते हैं, खासकर USMCA समीक्षा के पहले. भारत समेत बाकी एशियाई देशों को इस बात की तैयारी करनी पड़ेगी कि टैरिफ आगे भी ऊपर-नीचे होते रह सकते हैं.
अमेरिका और कनाडा पहले से ही चीनी सप्लाई चेन की जांच और नियंत्रण को कड़ा कर रहे हैं. अब मेक्सिको का यह कदम साफ दिखाता है कि पूरा उत्तर अमेरिकी क्षेत्र धीरे-धीरे अधिक ‘प्रोटेक्शनिस्ट’ यानी घरेलू उद्योगों को बचाने वाली नीतियों की तरफ बढ़ रहा है. ऐसे माहौल में भारतीय निर्यातकों को अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है, बढ़ी लागत को मैनेज करने के नए तरीके ढूंढने होंगे और जरूरत पड़े तो वैकल्पिक बाजारों या सप्लाई चेन विकल्पों पर भी विचार करना होगा.
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