कोरोना काल में कर्मचारियों की छंटनी से आहत हैं रतन टाटा, कही ये बात…

रतन टाटा ने कहा कि कोरोना महामारी के इस दौर में आप अपने कर्मचारियों के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, क्या यही आपकी नैतिकता है. उन्होंने अपनी कारोबारी सोच के बारे में बताया कि बिजनेस का अर्थ केवल मुनाफा कमाना ही नहीं है. यह बहुत जरूरी है कि जो शेयरधारक, ग्राहक और कर्मचारी आपसे जुड़े हैं, आपको उनके हितों को ध्यान में रखना होगा.

By Prabhat Khabar Print Desk | July 24, 2020 7:53 PM

नयी दिल्ली : कोरोना काल के दौरान देश की कंपनियों में कर्मचारियों की छंटनी से टाटा ग्रुप के संरक्षक रतन टाटा काफी आहत है. उन्होंने एक साक्षात्कार के दौरान कोविड-19 महामारी की वजह से भारत की कंपनियों में होने वाली छंटनी को लेकर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण महामारी का मुश्किल दौर कंपनियों को लोगों के प्रति जिम्मेदार बनाती है. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कंपनियों के शीर्ष नेतृत्वकर्ता में सहानुभूति की कमी हो गयी है.

एक न्यूज वेबसाइट को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि ये वे लोग हैं, जिन्होंने कंपनी के लिए काम किया है. उन्होंने अपना पूरा जीवन कंपनी के लिए समर्पित कर दिया. ऐसी संकट की घड़ी में आप उन्हें सपोर्ट देने की बजाए बेरोजगार कर रहे हैं. देश के प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा ने कहा कि उद्यमियों और कंपनियों के लिए लंबे समय तक काम करने और बेहतरीन प्रदर्शन के लिए कर्मचारियों के प्रति संवेदनशीलता प्रमुख है.

नाराज रतन टाटा ने कहा कि कोरोना महामारी के इस दौर में आप अपने कर्मचारियों के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, क्या यही आपकी नैतिकता है. उन्होंने अपनी कारोबारी सोच के बारे में बताया कि बिजनेस का अर्थ केवल मुनाफा कमाना ही नहीं है. यह बहुत जरूरी है कि जो शेयरधारक, ग्राहक और कर्मचारी आपसे जुड़े हैं, आपको उनके हितों को ध्यान में रखना होगा.

रतन टाटा ने कहा कि कंपनियों का मुनाफा कमाना गलत नहीं है, लेकिन यह काम भी नैतिकता से करना जरूरी है. यह सवाल बहुत जरूरी है कि आप मुनाफा कमाने के लिए क्या-क्या कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि कंपनियों के लिए यह भी जरूरी है कि वह मुनाफा कमाने के दौरान इस बात का खयाल रखें कि ग्राहक और शेयरधारक के लिए क्या मानक तय किये जा रहे हैं. इस प्रकार के तमाम पहलू बेहद महत्वपूर्ण हैं. फिलहाल, प्रबंधकों को यह सवाल खुद से लगातार पूछते रहना चाहिए कि वे जो फैसला कर रहे हैं, क्या वह सही है?

रटन टाटा ने कहा कि जब देश में कोरोना महामारी का प्रकोप शुरू ही हुआ था, तभी हजारों लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया. क्या इससे आपकी समस्या हल हो सकती है? उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि ऐसा हो सकता है, क्योंकि आपको कारोबार में नुकसान हुआ है. ऐसे में, लोगों को नौकरी से निकाल देना सही नहीं है, बल्कि उन लोगों के प्रति आपकी जिम्मेदारी बनती है. उन्होंने कहा कि वह कंपनी ज्यादा दिनों के लिए टिकी नहीं रह सकती है, जो अपने लोगों को लेकर संवेदनशील नहीं है.

गौरतलब है कि टाटा ग्रुप ने इस संकट की घड़ी में अपने वरिष्ठ प्रबंधकों के वेतन में 20 फीसदी तक की कटौती का फैसला किया है, लेकिन विमानन क्षेत्र से लेकर ऑटो कारोबार तक की कंपनियों में किसी भी कर्मचारी को नौकरी से हटाने का फैसला नहीं किया है. इसके साथ ही, टाटा ग्रुप ने कोरोना संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार की ओर से तैयार पीएम केयर्स फंड में 1,500 करोड़ रुपये का योगदान भी दिया है.

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Posted By : Vishwat Sen

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