पीएम मोदी के बाद अब संजय मल्होत्रा की राहत देने की बारी, क्या रेपो रेट घटाएगा आरबीआई?

RBI Repo Rate: द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा के लिए सोमवार 29 सितंबर 2025 से आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) तीन दिवसीय बैठक मुंबई में शुरू हो गई है. बैठक का मुख्य फोकस अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति का आकलन करना और महंगाई को नियंत्रित करते हुए विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख नीतिगत दरों में किसी बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, यह तय करना होगा. एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर में दर में कटौती करने का तर्क और कारण दोनों हैं, क्योंकि महंगाई नियंत्रण में है और अनुमान है कि यह और कम होगी.

By KumarVishwat Sen | September 29, 2025 2:47 PM

RBI Repo Rate: महंगाई से त्रस्त देशवासियों को राहत देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई पहली की वजह से जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) दरों में कटौती की गई. इसके बाद अब लोन ईएमआई को सस्ता करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर संजय मल्होत्रा की बारी है. द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा के लिए सोमवार 29 सितंबर 2025 से आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) तीन दिवसीय बैठक मुंबई में शुरू हो गई है, जिसमें नीतिगत दरों पर फैसला किया जाएगा. इन तीनों तक समिति के सदस्य रेपो रेट में कटौती करने पर चर्चा और विचार-विमर्श करने और निर्णय लेने से पहले मौजूदा आर्थिक स्थितियों की समीक्षा करने के लिए एक साथ बैठेंगे. बैठक तीन दिन तक चलने वाली है, जिसके बाद बुधवार 1 अक्टूबर 2025 को मौद्रिक नीति के नतीजों की घोषणा की जाएगी.

1 अक्टूबर को रेपो रेट का ऐलान करेंगे गवर्नर

बैठक का मुख्य फोकस अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति का आकलन करना और महंगाई को नियंत्रित करते हुए विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख नीतिगत दरों में किसी बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, यह तय करना होगा. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​बुधवार सुबह 10 बजे बैठक के बाद रेपो रेट की घोषणा करेंगे. इस घोषणा से रेपो रेट और अन्य संबंधित नीतिगत उपायों के संबंध में समिति के निर्णय के बारे में स्पष्टता मिलेगी. मौद्रिक नीति के परिणामों पर बाजार, व्यवसाय और नीति-निर्माता ध्यान देते हैं, क्योंकि इसका प्रभाव उधार की लागत और समग्र आर्थिक गतिविधियों पर पड़ता है.

रेपो रेट में 25 बीपीएस कटौती कर सकता है आरबीआई

पिछले अगस्त महीने की नीतिगत बैठक में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को 5.5% पर अपरिवर्तित रखा था. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबाअई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) इस नीतिगत बैठक में 25 बेसिस पॉइंट (बीपीएस) की कटौती की घोषणा कर सकती है, क्योंकि इस समय यह सबसे अच्छा विकल्प है.

रेपो रेट में कटौती का बेहतर माहौल

एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर में दर में कटौती करने का तर्क और कारण दोनों हैं, क्योंकि महंगाई नियंत्रण में है और अनुमान है कि यह और कम होगी. रिपोर्ट में कहा गया है, “सभी गड़बड़ियों के बीच केंद्रीय बैंकों का स्पष्ट और सुस्पष्ट संचार अपने आप में एक नीतिगत उपकरण है. सितंबर में भी टाइप 2 गलती (न्यूट्रल रुख के साथ दर में कोई कटौती नहीं) करने का कोई मतलब नहीं है. सितंबर में 25 बीपीएस की दर में कटौती आरबीआई के लिए सबसे अच्छा विकल्प है.”

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महंगाई कंट्रोल में

एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि जून के बाद रेपो रेट में कटौती के लिए मानक और सख्त हो गया है. इस तरह का कोई भी निर्णय केंद्रीय बैंक द्वारा सावधानीपूर्वक संचार की आवश्यकता होगी. हालांकि, इसमें जोर दिया गया कि वित्त वर्ष 2026-27 में भी महंगाई कम रहने की उम्मीद है. बिना किसी वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) कटौती के सितंबर और अक्टूबर में महंगाई पहले से ही 2% से नीचे है. वित्त वर्ष 2026-27 के लिए सीपीआई आंकड़े अब 4% या उससे कम रहने का अनुमान है. जीएसटी में सुधार के बाद अक्टूबर में सीपीआई 1.1% के आसपास रह सकता है, जो 2004 के बाद सबसे कम होगा.

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