Nano Banana का कमाल, देखिए कैसे इस शख्स ने बनाया मिनटों में फर्जी पैन और आधार कार्ड
AI misuse: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की रफ्तार अब सिर्फ मदद तक सीमित नहीं रही, बल्कि खतरे का संकेत भी बन चुकी है. बेंगलुरु के एक टेक प्रोफेशनल ने गूगल के AI टूल की मदद से ऐसे नकली PAN और Aadhaar कार्ड बनाया है, जिन्हें असली से अलग कर पाना लगभग नामुमकिन है. इस पोस्ट के बाद सवाल उठने लगे हैं कि कैसे हमारा पुराना सिक्युरिटी सिस्टम इस नई तकनीक का सामना कर पाएगा? होटल और एयरपोर्ट जैसे जगहों पर जहां इन डॉक्युमेंट्स की पहचान करने के लिए वही पुराने सिक्युरिटी सिस्टम इस्तेमाल किये जा रहे है तो ऐसे फर्जी दस्तावेज कैसे पकड़े जायेगे ? क्या डिजिटल भारत वाकई में सुरक्षित है?
AI misuse: बेंगलुरु के एक टेक प्रोफेशनल ने हाल ही में अपने एक एक्स पोस्ट के जरिए लोगों के बीच यह साबित कर दिया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का गलत इस्तेमाल कितनी तेजी से बढ़ सकता है. हरवीन सिंह चड्ढा नाम के इस टेक एक्सपर्ट ने गूगल के AI टूल ‘Nano Banana’ का इस्तेमाल करके नकली PAN और Aadhaar कार्ड तैयार किया है. दिलचस्प बात ये है कि यह कार्ड इतने असली दिख रहे है कि पहली नजर में कोई भी उन्हें नकली नहीं बता सकता है. उन्होंने यह फर्जी कार्ड Twitterpreet Singh के नाम से बनाया है. इस पोस्ट के बाद लोगों में चिंता और बहस शुरू हो गई है.
क्या AI हमारी सिक्युरिटी सिस्टम को पछाड़ रहा है?
हरवीन ने अपने पोस्ट में साफ कहा कि Nano Banana जैसी तकनीक इतनी उन्नत हो चुकी है कि देश के पुराने इमेज वेरिफिकेशन सिस्टम इस तरह के फर्जी डॉक्युमेंट्स की पहचान भी नहीं कर पाएंगे. भारत में जहां हर सरकारी और निजी काम में डिजिटल आइडेंटिटी सबसे महत्वपूर्ण चीज बन चुकी है, वहां इस तरह के फर्जी दस्तावेज किसी भी सिक्युरिटी सिस्टम के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं. अगर तकनीक आगे बढ़ती रही और सुरक्षा उपाय वहीं के वहीं पुराने और पिछड़े रहे, तो पहचान से जुड़ी धोखाधड़ी और अपराध बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है.
जब कोई स्कैन ही नहीं होता तब कैसे पहचान होगी?
इस एक्स पोस्ट पर कई लोगों ने इस मुद्दे पर अपने विचार भी रखे हैं. कुछ यूजर्स का कहना है कि गूगल की Gemini AI से बनी तस्वीरों में छिपा हुआ डिजिटल वॉटरमार्क डालती है, जिसे ऐप की मदद से स्कैन करके पहचाना जा सकता है. इसके जवाब में हरवीन ने यह सवाल उठाया कि जब कोई होटल या एयरपोर्ट पर Aadhaar दिखाता है, तो क्या अधिकारी उसे स्कैन करके चेक करते हैं? उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ कार्ड को देखकर पहचान की पुष्टि करना सुरक्षा के लिहाज से बिल्कुल सुरक्षित तरीका नहीं है.
इस खबर से जुड़ी हरवीन सिंह चड्डा की एक्स पोस्ट को भी जरूर देखें:
nanobanana is good but that is also a problem. it can create fake identity cards with extremely high precision
— Harveen Singh Chadha (@HarveenChadha) November 24, 2025
the legacy image verification systems are doomed to fail
sharing examples of pan and aadhar card of an imaginary person pic.twitter.com/Yx5vISfweK
क्या डिजिटल भारत आइडेंटिटी सिक्युरिटी के लिए तैयार है?
इस पूरी मामले ने एक बार फिर लोगों को याद दिला दिया है कि जितनी तेजी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आगे बढ़ रही है, उतनी तेजी से सुरक्षा और नियमों को अपडेट नहीं किया जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे डिजिटल होते देश में पहचान की सुरक्षा अब सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है. सुरक्षित भविष्य के लिए जरूरी है कि सरकार, टेक कंपनियां और आम लोग मिलकर जिम्मेदारी से AI का इस्तेमाल करें और डिजिटल वेरिफिकेशन सिस्टम को मजबूत बनाएं, ताकि किसी भी फर्जी दस्तावेज का दुरुपयोग न हो सके.
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