अक्टूबर में होगी भारत-आसियान व्यापार समझौते की समीक्षा बैठक, 10वें दौर की वार्ता संपन्न
Trade Agreement: भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की 11वें दौर की समीक्षा बैठक अक्टूबर 2025 में जकार्ता में होगी, जिसकी मेजबानी मलेशिया करेगा. 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार 123 अरब डॉलर तक पहुंचा, जो मजबूत आर्थिक संबंधों को दर्शाता है. भारत-सिंगापुर संयुक्त कार्य समूह की बैठक में सेमीकंडक्टर, व्यापार डिजिटलीकरण, लॉजिस्टिक सुधार और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया, ताकि व्यापार सुगमता और निवेश अवसरों को मजबूत किया जा सके.
Trade Agreement: भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की समीक्षा प्रक्रिया अब अगले चरण में प्रवेश कर रही है. वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, 11वें दौर की समीक्षा बैठक 6-7 अक्टूबर 2025 को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आयोजित की जाएगी. यह बैठक आसियान सचिवालय में होगी और इसकी मेजबानी मलेशिया करेगा. इस चरण का उद्देश्य समझौते को और अधिक प्रभावी, सरल और व्यापार सुविधा के अनुकूल बनाना है.
10वां दौर अगस्त में संपन्न
इससे पहले 10वें दौर की वार्ता 10 से 14 अगस्त 2025 के बीच आयोजित की गई थी. वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि इस वार्ता में आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता (एआईटीआईजीए) की समीक्षा को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया. लक्ष्य है कि इस समझौते को ऐसा बनाया जाए जिससे दोनों पक्षों के बीच व्यापार और निवेश के अवसर बढ़ें और व्यापारिक प्रक्रियाएं और अधिक पारदर्शी और आसान हों.
आसियान-भारत का प्रमुख व्यापार भागीदार
आसियान भारत के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारों में से एक है. इसकी हिस्सेदारी भारत के वैश्विक व्यापार में लगभग 11% है. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और आसियान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 123 अरब डॉलर तक पहुंच गया. यह आंकड़ा न केवल मौजूदा मजबूत आर्थिक संबंधों को दर्शाता है, बल्कि भविष्य में और गहरे सहयोग की संभावनाओं को भी उजागर करता है.
समीक्षा का क्या है महत्व
एआईटीआईजीए की समीक्षा के कई उद्देश्य हैं. इनमें व्यापार समझौते की प्रभावशीलता बढ़ाना, प्रक्रियाओं को सरल और सुगम बनाना और व्यापार सुविधा क्षमताओं में सुधार करना शामिल है. इससे दोनों पक्षों के लिए बाजार तक पहुंच आसान होगी और निर्यात-आयात में लगने वाला समय और लागत कम हो सकेगी.
भारत-सिंगापुर संयुक्त कार्य समूह की बैठक
भारत-आसियान समीक्षाओं के साथ ही, वाणिज्य मंत्रालय ने 14 अगस्त 2025 को भारत-सिंगापुर संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी-टीआई) की चौथी बैठक भी आयोजित की. इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. इनमें प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान, बेहतर समन्वय और लॉजिस्टिक में सुधार, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना, नियामक ढांचे को सुव्यवस्थित करना और सीमा पार व्यापार को सुविधाजनक बनाना शामिल हैं.
तकनीकी और कौशल विकास में सहयोग
भारत-सिंगापुर बैठक में सेमीकंडक्टर सेक्टर और व्यापार के डिजिटलीकरण जैसे क्षेत्रों में चल रहे सहयोग की समीक्षा की गई. साथ ही, कौशल विकास और क्षमता निर्माण के संभावित साझेदारी अवसरों पर भी विचार किया गया. इसका उद्देश्य है कि दोनों देशों की उद्योगिक और तकनीकी क्षमता को बढ़ाया जाए और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा को मजबूत किया जाए.
आसियान में भारत का सबसे बड़ा साझेदार सिंगापुर
सिंगापुर आसियान देशों में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. वर्ष 2024-25 में भारत-सिंगापुर का द्विपक्षीय व्यापार 34.26 अरब डॉलर रहा. यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) स्रोत भी है, जो भारत की आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन में अहम योगदान देता है.
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एआईटीआईजीए से मिलेगी ठोस दिशा
अक्टूबर में होने वाली जकार्ता बैठक से उम्मीद है कि एआईटीआईजीए की समीक्षा प्रक्रिया एक ठोस दिशा लेगी. विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर समीक्षा में व्यापारिक बाधाओं को कम करने और नियमों को सरल बनाने पर सहमति बनती है, तो भारत और आसियान के बीच व्यापार अगले कुछ वर्षों में 150 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंच सकता है. भारत की रणनीति अब इस पर केंद्रित है कि वह आसियान देशों के साथ संतुलित, पारदर्शी और दीर्घकालिक साझेदारी बनाए, जिससे न केवल व्यापारिक बल्कि भू-राजनीतिक संबंध भी मजबूत हों.
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