हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में नहीं मिलेगा जीएसटी आईटीसी बेनिफिट, जानें क्या कहता है सीबीआईसी?

GST Exemption: जीएसटी परिषद के फैसले के बाद हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर प्रीमियम को टैक्स से छूट दी गई है, लेकिन कमीशन एजेंटों और ब्रोकरों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ नहीं मिलेगा. सीबीआईसी ने स्पष्ट किया है कि केवल पुनर्बीमा सेवाओं को छूट दी जाएगी, जबकि अन्य इनपुट पर आईटीसी वापस ले लिया जाएगा. होटल, ब्यूटी और हेल्थ सेवाओं पर भी 5% जीएसटी बिना आईटीसी लागू रहेगा. यह कदम ग्राहकों को राहत देने के साथ सेवा प्रदाताओं की लागत बढ़ा सकता है.

By KumarVishwat Sen | September 16, 2025 6:13 PM

GST Exemption: जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) परिषद ने हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस कराने वालों को पॉलिसी के प्रीमियम पर लगने वाले टैक्स से राहत तो दी है, लेकिन कमीशन एजेंटों और ब्रोकरों को इसका लाभ नहीं मिलेगा. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने मंगलवार को कहा कि बीमा कंपनियां 22 सितंबर से पर्सनल हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए कमीशन और ब्रोकरेज जैसे ‘इनपुट’ यानी कच्चे माल के लिए चुकाए गए जीएसटी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा नहीं कर पाएंगी.

सीबीआईसी ने जारी की एफएक्यू

सीबीआईसी ने 22 सितंबर 2025 से नए जीएसटी स्लैब लागू होने पर विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्सेशन के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) की सूची जारी की है. जीएसटी परिषद ने तीन सितंबर को अपनी बैठक में पर्सनल हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर चुकाए गए प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने का निर्णय लिया. फिलहाल, इस पर 18% की दर से जीएसटी लगता है. छूट 22 सितंबर से प्रभावी होगी.

कौन उठा रहा आईटीसी का लाभ

बीमा कंपनियों की कौन सी ‘इनपुट’ सेवाएं जीएसटी फ्री हैं? इसके जवाब में सीबीआईसी ने कहा कि फिलहाल, इंश्योरेंस कंपनियां कमीशन, ब्रोकरेज और पुनर्बीमा जैसे कई इनपुट और इनपुट सेवाओं पर आईटीसी का लाभ उठा रही हैं. सीबीआईसी ने कहा, ‘‘इन इनपुट सेवाओं में से, पुनर्बीमा सेवाओं को छूट दी जाएगी. दूसरे कच्चे माल के मामले में इनपुट टैक्स क्रेडिट वापस ले लिया जाएगा. इसका कारण अंतिम उत्पाद सेवाओं को जीएसटी छूट दी जा रही है.’’ इसका मतलब यह है कि पर्सनल इंश्योरेंस पॉलिसी के मामले में कमीशन और ब्रोकरेज जैसे ‘इनपुट’ पर चुकाए गए टैक्स इंश्योरेंस कंपनियों के लिए लागत होंगी, क्योंकि वे ऐसे टैक्स को एडजस्ट नहीं कर पाएंगी.

7,500 रुपये में कमरा दिलाने वाले होटल भी लाभ से वंचित

सीबीआईसी ने यह भी स्पष्ट किया कि 7,500 रुपये प्रति कमरा प्रतिदिन से कम या उसके बराबर मूल्य वाली हाउसिंग यूनिट्स प्रदान करने वाले होटल ऐसी इकाइयों पर आईटीसी का लाभ नहीं उठा पाएंगे. इसका कारण ऐसी आपूर्तियों पर आईटीसी के बिना पांच प्रतिशत जीएसटी दर लागू है. इसी प्रकार, सौंदर्य और शारीरिक स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बिना आईटीसी के 5% की दर है. सीबीआईसी ने कहा कि ऐसे सेवा प्रदाता जो बिना आईटीसी वाली 5% श्रेणी में आते हैं, उनके पास इन सेवाओं पर आईटीसी के साथ 18% शुल्क लेने का विकल्प नहीं है.

5% वाले स्लैब पर क्रेडिट का दावा नहीं

एफएक्यू के अनुसार, जो व्यवसाय बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के 5% स्लैब में हैं, वे ऐसी वस्तुओं और सेवाओं के कच्चे माल पर चुकाए गए करों पर क्रेडिट का दावा नहीं कर पाएंगे. उदाहरण के लिए, कोई होटल, जो कमरों के लिए पूरी तरह से प्रयुक्त प्रसाधन सामग्री या सुविधाएं खरीदता है, जिन पर पांच प्रतिशत की दर से आईटीसी नहीं ली जाती, तो वह उन खरीदों पर आईटीसी का लाभ नहीं उठा सकता. सीबीआईसी ने कहा, ‘‘ऐसी सेवाओं की आपूर्ति में विशेष रूप से उपयोग की जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं पर लगाए गए इनपुट टैक्स का क्रेडिट सेवा प्रदाता द्वारा नहीं लिया जाएगा.’’

किन सेवाओं पर क्रेडिट का होगा विभाजन

हालांकि, ऐसे मामलों में जहां वस्तुओं या सेवाओं का इस्तेमाल आंशिक रूप से बिना आईटीसी के पांच प्रतिशत कर योग्य आपूर्ति के लिए और आंशिक रूप से अन्य कर योग्य आपूर्ति (मान लीजिए, आईटीसी के साथ 18% कर योग्य) के लिए किया जाता है, क्रेडिट को विभाजित किया जाना चाहिए. सीबीआईसी ने कहा, ‘‘ऐसी सेवाओं की आपूर्ति के लिए आंशिक रूप से और आंशिक रूप से अन्य कर योग्य आपूर्ति के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं पर लगाए गए इनपुट टैक्स का क्रेडिट सेवा प्रदाता द्वारा उसी प्रकार ‘रिवर्स’ किया जाएगा जैसे कि बिना आईटीसी के पांच प्रतिशत कर योग्य आपूर्ति एक छूट प्राप्त आपूर्ति है. नतीजतन, सेवा प्रदाता द्वारा आनुपातिक आईटीसी को ‘रिवर्स’ करना आवश्यक होगा.’’

कौन सी इंश्योरेंस सेवाओं पर मिलेगी छूट

पर्सनल हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस को दी गई छूट के दायरे में कौन सी इंश्योरेंस सेवाएं शामिल हैं? इस सवाल के जवाब में सीबीआईसी ने कहा कि ग्रुप इंश्योरेंस को छोड़कर, बीमाकर्ताओं द्वारा बीमित व्यक्ति को प्रदान की जाने वाली व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा कारोबार की सेवाएं छूट के दायरे में शामिल हैं. इसमें कहा गया, ‘‘जब ये सेवाएं किसी व्यक्ति या उसके या फिर उसके परिवार को प्रदान की जाती हैं, तो उन्हें छूट दी जाएगी.’’

सैंड लाइम ईंटों पर 5% जीएसटी

जीएसटी के तहत ईंटों पर कराधान के संबंध में सीबीआईसी ने कहा कि तीन सितंबर, 2025 को हुई 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक में चूना पत्थर ईंटों को छोड़कर विशेष ‘कंपोजिशन’ योजना की दरों में किसी भी बदलाव की सिफारिश नहीं की गई थी, जिन पर कर 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है. इसलिए, चूना पत्थर (सैंड लाइम) ईंटों को छोड़कर, सभी प्रकार की ईंटों पर बिना आईटीसी के 6% और आईटीसी के साथ 12% जीएसटी बना रहेगा. इसकी रजिस्ट्रेशन लिमिट 20 लाख रुपये है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

नांगिया एंडरसन एलएलपी के भागीदार (अप्रत्यक्ष कर) राहुल शेखर ने कहा, ‘‘सरकार चाहती है कि अंतिम ग्राहक को इन बदलावों का अधिकतम लाभ मिले, इसलिए उसने इन उद्योगों के लिए दोहरी दर संरचना की अनुमति नहीं दी है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘एफएमसीजी (दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों) और खुदरा क्षेत्र की कंपनियों जैसे अन्य क्षेत्रों को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ेगा. सरकार को अन्य क्षेत्रों के लिए भी स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए कि उत्पादों के एमआरपी में बदलाव किए बिना खुदरा विक्रेताओं, डीलरों के पास पहले से मौजूद स्टॉक पर अंतिम ग्राहक तक कम कीमत कैसे पहुंचाई जा सकती है.’’

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एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि जब जीएसटी कानून आईटीसी के बिना 5% की रियायती दर निर्धारित करता है, तो यह प्रभावी रूप से इनपुट पर क्रेडिट से मना करता है. ऐसी आपूर्ति को छूट प्राप्त सेवाओं के बराबर मानता है. उन्होंने कहा, ‘‘इसका उद्देश्य अनुपालन को सरल बनाना और अंतिम उपभोक्ताओं के लिए कर भार को कम करना है, लेकिन इसके बदले में सेवा प्रदाताओं को आईटीसी से वंचित किया जाता है. इस प्रकार, जहां ग्राहकों को कम कर दरों का लाभ मिलता है, वहीं आपूर्तिकर्ताओं को अपनी इनपुट श्रृंखला में जीएसटी की अंतर्निहित लागत वहन करनी पड़ती है, जिसके लिए सावधानीपूर्वक विभाजन और ‘रिवर्सल’ की आवश्यकता होती है.’’

भाषा इनपुट

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