Fertilizer Subsidy Pilot Scheme: अब खेती के रकबे के हिसाब से मिलेगा खाद! सब्सिडी पर सरकार का नया फार्मूला क्या है?
Fertilizer Subsidy Pilot Scheme: सरकार उर्वरक सब्सिडी में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है. नए पायलट स्कीम के तहत किसानों को अब उनके खेती के रकबे के हिसाब से ही सब्सिडी वाला खाद मिलेगा. इसका मकसद जरूरत से ज्यादा खरीद, ब्लैक मार्केटिंग और उर्वरक की कृत्रिम कमी पर रोक लगाना है.
Fertilizer Subsidy Pilot Scheme: सरकार किसानों को मिलने वाले सब्सिडी वाले उर्वरकों की मांग को अब उनकी जमीन के आकार से जोड़ने की तैयारी कर रही है. इसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर होने वाली डायवर्जन, ब्लैक मार्केटिंग और अनावश्यक खरीद पर रोक लगाना है. यह जानकारी केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में दी.
किसानों की जमीन और उर्वरक की मांग में सीधा संबंध
नड्डा ने बताया कि कई किसान अपनी जरूरत से कहीं ज्यादा उर्वरक उठा लेते हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “अगर किसान के पास केवल 10 बैग उपयोग करने की क्षमता है, लेकिन वह 50 बैग ले रहा है, तो इसे रोका जाना जरूरी है.” फिलहाल किसान जितने चाहे उतने सब्सिडी वाले उर्वरक खरीद सकते हैं. लेकिन पायलट प्रोजेक्ट के तहत किसान को मिलने वाली उर्वरक की मात्रा उसकी जमीन के रकबे से निर्धारित की जाएगी.
ब्लैक मार्केटिंग और होर्डिंग पर सरकार का सख्ती
मंत्री जे.पी. नड्डा ने राज्यसभा में बताया कि कुछ लोगों द्वारा उर्वरकों की कृत्रिम कमी का माहौल बनाया जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार राज्यों को समय पर पर्याप्त उर्वरक भेज रही है. उन्होंने कहा कि ब्लैक मार्केटिंग और होर्डिंग रोकने के लिए सरकार सख्त कार्रवाई कर रही है. इसी दौरान पिछले सात महीनों में 5,371 उर्वरक कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए गए और 649 एफआईआर दर्ज की गई हैं. कई डीलरों के खिलाफ जबरन स्टॉक जमा करने और घटिया गुणवत्ता वाले उत्पाद बेचने के मामले भी सामने आए हैं.
इस बीच, भारत में उर्वरकों की मांग तेज बढ़ने से आयात में भारी उछाल देखने को मिला है. फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FAI) के अनुसार, 2025–26 में यूरिया का आयात 41% बढ़कर 22.3 मिलियन टन तक पहुंच सकता है, जिसकी वजह अच्छी बारिश और बढ़ा हुआ खेती का रकबा बताया जा रहा है. अप्रैल–अक्टूबर के दौरान उर्वरक आयात 69% बढ़कर 14.4 एमटी हो गया, जबकि यूरिया आयात 136.6% बढ़ा क्योंकि घरेलू उत्पादन 4% घटा. DAP आयात भी 69.1% बढ़ा, जबकि उत्पादन 7.4% कम हो गया. यह स्थिति स्पष्ट करती है कि देश में उर्वरक की खपत तेजी से बढ़ रही है, पर उत्पादन उसके अनुपात में नहीं बढ़ पाने से आयात पर निर्भरता तेज हो गई है.
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