भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में निवेश का नया दौर

2025 की पहली छमाही में भारतीय स्टार्टअप्स को $4. 8 अरब की फंडिंग मिली है, जिससे भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा निवेश पाने वाला देश बन गया है. यह वृद्धि विभिन्न क्षेत्रों में नए विचारों और उद्यमों के प्रति निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाती है.

By Rajeev Kumar | August 6, 2025 3:20 PM

भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में निवेश का एक नया और बड़ा दौर शुरू हो गया है, जिससे देश के युवा उद्यमियों और नई कंपनियों में उत्साह की लहर दौड़ गई है। लंबे समय से मंदी का सामना कर रहे इस क्षेत्र को यह नई पूंजी मिलने से ज़बरदस्त गति मिलेगी। दुनियाभर के निवेशक भारतीय नवाचार और विकास की क्षमता पर अपना विश्वास दिखा रहे हैं, खासकर तकनीक-आधारित और डिजिटल सेवाओं से जुड़ी कंपनियों में। इन ताज़ा निवेशों से लाखों नए रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जो न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर एक बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित करेगा।

भारत में स्टार्टअप निवेश में नया उछाल: संभावनाएं और चुनौतियां

भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम, जो अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इकोसिस्टम है, में हाल के दिनों में निवेश का एक नया दौर देखा जा रहा है। 2025 की पहली छमाही में भारतीय स्टार्टअप्स को $4. 8 अरब की फंडिंग मिली है, जिससे भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा निवेश पाने वाला देश बन गया है। यह वृद्धि विभिन्न क्षेत्रों में नए विचारों और उद्यमों के प्रति निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाती है। हालांकि, इस सकारात्मक रुख के साथ कुछ चुनौतियां भी हैं, खासकर एंजेल निवेश के क्षेत्र में।

वर्तमान निवेश रुझान

भारत में स्टार्टअप्स ने 2024 के शुरुआती 9 महीनों में $7. 6 अरब जुटाए हैं, जिसमें यूनिकॉर्न की संख्या में पांच गुना बढ़ोतरी देखी गई है। वित्त वर्ष 2025 में भारतीय स्टार्टअप्स ने सार्वजनिक बाजारों (IPO, FPO और QIP के माध्यम से) से ₹44,000 करोड़ (लगभग $5. 3 बिलियन) से अधिक जुटाए हैं, जो धन जुटाने के तरीके में एक बड़ा बदलाव दिखाता है। यह दर्शाता है कि अब स्टार्टअप्स निजी पूंजी के बजाय सार्वजनिक बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं। 2025 की पहली तिमाही में भारतीय स्टार्टअप्स को कुल $2. 5 बिलियन की फंडिंग मिली, जो पिछली तिमाही से 13. 64% अधिक थी। बेंगलुरु और दिल्ली जैसे बड़े शहर निवेश के मुख्य केंद्र बने हुए हैं। बेंगलुरु ने सबसे अधिक 26% फंडिंग जुटाई, जबकि दिल्ली 25% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर रहा। फरवरी 2025 में भारतीय स्टार्टअप्स ने लगभग ₹13,800 करोड़ ($1. 65 अरब) का फंड जुटाया, जबकि जनवरी में यह आंकड़ा ₹11,460 करोड़ ($1. 38 अरब) था। निवेशकों की दिलचस्पी परिवहन, रिटेल और एंटरप्राइज टेक जैसे क्षेत्रों में अधिक रही है, जो भारत की बड़ी समस्याओं को हल करने की क्षमता को दर्शाता है। इसके अलावा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग, फिनटेक, ई-कॉमर्स, ग्रीन टेक और हेल्थटेक जैसे क्षेत्रों में भी भारी निवेश देखा जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप्स को मार्च 2025 तक कुल $43 करोड़ का निवेश प्राप्त हुआ है।

प्रमुख निवेशक और फंडिंग स्रोत

भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में कई तरह के निवेशक सक्रिय हैं:

  • वेंचर कैपिटल (VC) फर्म: ये फर्म उच्च-विकास वाले स्टार्टअप्स में निवेश करती हैं और उन्हें बढ़ने के लिए पूंजी और रणनीतिक सलाह देती हैं। नोर्वेस्ट वेंचर पार्टनर्स, भारत इनोवेशन फंड, प्राइम वेंचर पार्टनर्स, इन्वेंटस कैपिटल पार्टनर्स जैसी कई प्रमुख VC फर्म भारत में सक्रिय रूप से निवेश कर रही हैं। SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) भारत में वेंचर कैपिटल फर्मों की निगरानी करता है।
  • एंजेल निवेशक: ये धनी व्यक्ति होते हैं जो शुरुआती चरण के छोटे व्यवसायों को इक्विटी के बदले में पैसा देते हैं। ये निवेशक आमतौर पर ₹5 लाख से ₹2 करोड़ के बीच निवेश करते हैं और कंपनी में 10% से 20% तक स्वामित्व चाहते हैं। परिवार के सदस्य, दोस्त, या एंजेल समूहों के माध्यम से भी फंडिंग मिल सकती है।
  • सरकारी योजनाएं: भारत सरकार ने स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए कई पहलें शुरू की हैं। ‘स्टार्टअप इंडिया’ इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जिसका उद्देश्य देश में नवाचार और रोजगार के अवसर पैदा करना है। इसके तहत ₹10,000 करोड़ का ‘फंड ऑफ फंड्स’ और ‘स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना’ (SISFS) जैसी योजनाएं शामिल हैं, जो शुरुआती चरण के स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। अटल इनोवेशन मिशन (AIM) भी स्टार्टअप्स को भौतिक सुविधाएं और सहायता देता है।

चुनौतियां और आगे की राह

निवेश में इस उछाल के बावजूद, भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम कुछ चुनौतियों का सामना कर रहा है:

  • पूंजी तक पहुंच: अभी भी कुछ ऐसे स्टार्टअप्स हैं, खासकर डीप-टेक क्षेत्र में, जिन्हें लंबी अवधि के वित्तपोषण तक पहुंच नहीं मिल पाती है। टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्टार्टअप्स को कम फंडिंग मिलती है।
  • नियामक बाधाएं: जटिल नियमों और सरकारी हस्तक्षेप के कारण स्टार्टअप्स को दिक्कतें आती हैं। हाल ही में, एंजेल निवेश पर सख्त नियमों और डेटा साझाकरण की चिंताओं ने निवेशकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है, जिससे भारत में ₹10,000 करोड़ की एंजेल निवेश इंडस्ट्री खतरे में है। SEBI चाहती है कि एंजेल फंड्स में निवेश करने वाले व्यक्ति “मान्यता प्राप्त निवेशक” बनें, जिसके लिए उनकी सालाना आय ₹2 करोड़ या नेटवर्थ ₹7 करोड़ से अधिक होनी चाहिए। हालांकि, हजारों लोग इन शर्तों को पूरा करते हैं, लेकिन वे टैक्स संबंधी चिंताओं के कारण अपनी वित्तीय जानकारी साझा करने से हिचकते हैं।
  • प्रतिभा की कमी: स्टार्टअप्स को स्थापित कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय अवसरों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है, जिससे प्रतिभा पलायन होता है।
  • बाजार संतृप्ति: एडटेक और ई-कॉमर्स जैसे कुछ क्षेत्र अत्यधिक भीड़भाड़ वाले हो गए हैं, जिससे लाभ मार्जिन कम हो रहा है।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार और उद्योग के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता है। सरकारी नीतियों को और अधिक सरल और स्टार्टअप-अनुकूल बनाने की जरूरत है। साथ ही, निवेशकों को विश्वास दिलाना महत्वपूर्ण है ताकि एंजेल निवेश जैसे महत्वपूर्ण फंडिंग स्रोत को बढ़ावा मिल सके। भारत के पास अपनी बड़ी युवा आबादी और बढ़ती डिजिटल पहुंच के साथ स्टार्टअप क्रांति को और आगे बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं।

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