ब्रिटेन ने किया टीसीएस इंटर्नशिप कार्यक्रम का स्वागत

लंदन : टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में वैतनिक प्रशिक्षण के जरिए 1000 ब्रितानी स्नातकों के डिजीटल कौशल को बढावा देने वाली योजना की शुरुआत का ब्रिटेन ने स्वागत किया है और इसे भारत के साथ व्यापक सहयोग के लिए पूरी तरह फिट बताया है. ब्रितानी रोजगार मंत्री और प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के भारतीय समुदाय की प्रतिनिधि […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 10, 2016 12:10 PM

लंदन : टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में वैतनिक प्रशिक्षण के जरिए 1000 ब्रितानी स्नातकों के डिजीटल कौशल को बढावा देने वाली योजना की शुरुआत का ब्रिटेन ने स्वागत किया है और इसे भारत के साथ व्यापक सहयोग के लिए पूरी तरह फिट बताया है. ब्रितानी रोजगार मंत्री और प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के भारतीय समुदाय की प्रतिनिधि प्रीति पटेल ने कल लंदन में आयोजित एक समारोह में व्यापक पहल जनरेशन यूके-इंडिया के तहत लाये गये इन प्रशिक्षणों को ‘बेहद महत्वपूर्ण कार्यक्रम’ बताते हुए उनका स्वागत किया है. पटेल ने कहा, ‘यह बेहद रोमांचक अवसर है. अगले चार साल में टीसीएस प्रशिक्षण 1000 ब्रितानी स्नातकों के डिजीटल कौशल को विकसित करने में एक अहम भूमिका निभाएगा.’

इस कार्यक्रम की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा की पृष्ठभूमि में बीते साल नवंबर में की गयी थी. इस कार्यक्रम के तहत 1000 स्नातक भारत भर में 17 स्थानों पर फैले टीसीएस के दफ्तरों में 12 माह का प्रशिक्षण लेंगे. छात्रों का पहला समूह इस साल के अंत में भारत जाएगा. इस कार्यक्रम के वर्ष 2020 तक जारी रहने की उम्मीद है. पटेल ने कहा, ‘टीसीएस का नया प्रशिक्षण कार्यक्रम भारत के साथ हमारे व्यापक सहयोग में पूरी तरह फिट है. पिछले 10 साल में, ब्रिटेन और भारत के संबंधों में शैक्षणिक शोध और नवोन्मेष को बढावा मिला है.

यूके-इंडिया एजुकेशन एंड रिसर्च इनीशिएटिव और न्यूटन-भाभा फंड में यह बात परिलक्षित होती है.’ उन्होंने कहा, ‘इसीलिए, बीते नवंबर में प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान वह और प्रधानमंत्री कैमरन इस बात पर सहमत हुए थे कि वर्ष 2016 भारत और ब्रिटेन की शिक्षा, शोध एवं नवोन्मेष का वर्ष होना चाहिए.’ जनरेशन-यूके इंडिया पहल का उद्घाटन नवंबर 2014 में ब्रिटिश काउंसिल द्वारा किया गया था. इसका उद्देश्य वर्ष 2020 तक 25 हजार ब्रितानी छात्रों को पढाई और काम करने, शिक्षण सहयोग और सांस्कृतिक अध्ययन के लिए भारत भेजना है. इस कार्यक्रम के लिए 7000 से ज्यादा पंजीकरण हो चुके हैं और योजना के पहले चरण के तहत शुरुआती 500 लोगों के लिए 2600 से ज्यादा आवेदन पूरे हो चुके हैं. इसके लिए आवेदन वर्ष 2015 में मंगवाए गये थे.

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