फेरा उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट से विजय माल्या को बड़ा झटका

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कानूनी प्रक्रिया से बचने और इसका दुरुपयोग करने के लिये शराब के कारोबारी विजय माल्या को आज आडे हाथ लिया और विदेशी मुद्रा विनियमन कानून के उल्लंघन से संबंधी मामले में आपराधिक कार्यवाही निरस्त करने की उनकी याचिका आज ठुकरा दी और उनके उपर दस लाख रुपये का अर्थदंड […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 14, 2015 12:11 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कानूनी प्रक्रिया से बचने और इसका दुरुपयोग करने के लिये शराब के कारोबारी विजय माल्या को आज आडे हाथ लिया और विदेशी मुद्रा विनियमन कानून के उल्लंघन से संबंधी मामले में आपराधिक कार्यवाही निरस्त करने की उनकी याचिका आज ठुकरा दी और उनके उपर दस लाख रुपये का अर्थदंड लगाया.

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि माल्या की अकूत दौलत ने उन्हें यह अहसास करा दिया है कि शासन को उनकी सुविधा से मामलों में समायोजन करना चाहिए. न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘हमारी राय में यह अपील एक से अधिक कारणों से खारिज की जानी चाहिए. इस तथ्य के मद्देनजर कि इसका निर्धारण करने वाले अधिकारी द्वारा अपीलकर्ता के खिलाफ कार्यवाही खत्म करने का फैसला उन्हें फेरा कानून की धारा 40 और 56 के क्रियान्वयन के कारण आपराधिक जिम्मेदारी से मुक्त नहीं करता है.’

न्यायाधीशों ने कहा, ‘ऐसे अभियुक्त को निर्दोष ठहराना, जो सफलतापूर्वक कानूनी प्रक्रिया से बचता रहा है और इस तरह से पुख्ता अपराध के लिये दोषी नहीं पाये जाने के आधार पर एक अलग अपराध किया, कानून के लिये नुकसानदेह होगा.’ न्यायालय ने कहा, ‘अपील दस लाख रुपये के अर्थदंड के साथ खारिज की जाती है. अर्थदंड की यह राशि उच्चतम न्यायालय विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करानी होगी.’

प्रवर्तन निदेशालय ने फेरा के प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप में माल्या को बार-बार समन भेजा और जब वह इसके बावजूद पेश नहीं हुये तो 8 मार्च, 2000 को उनके खिलाफ शिकायत दायर की थी. न्यायालय ने माल्या की इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया कि चूंकि फेरा एक जून, 2000 को समाप्त हो गया है, इसलिए इस कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय की लंबित शिकायत पर कार्यवाही रद्द की जानी चाहिए.

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