”IPO में निवेश के लिए चेक जारी करने की जरुरत नहीं, कंपनियों की सूचीबद्धता मात्र छह दिन में”

मुंबई : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कंपनियों के सार्वजनिक शेयर निर्गम (आइपीओ) के निमयों को और सहज करते हुए निवेशकों के लिए आने वाले समय में चेक से भुगतान की अनिवार्यता खत्म कर रहा है ताकि छोटे निवेशकों की भागीदारी बढायी जा सके. नियामक ने इसके साथ ही कंपनियों के सार्वजनिक शेयरों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 23, 2015 9:16 PM

मुंबई : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कंपनियों के सार्वजनिक शेयर निर्गम (आइपीओ) के निमयों को और सहज करते हुए निवेशकों के लिए आने वाले समय में चेक से भुगतान की अनिवार्यता खत्म कर रहा है ताकि छोटे निवेशकों की भागीदारी बढायी जा सके. नियामक ने इसके साथ ही कंपनियों के सार्वजनिक शेयरों को शेयरबाजार में सूचीबद्ध करने में लगने वाले न्यूनतम समय को आधा कर छह दिन कर दिया है.

सेबी ने अपेक्षाकृत अधिक संख्या में कंपनियों को अब कोष जुटाने के लिये ‘त्वरित मार्ग’ का उपयोग करने की छूट दी है. हालांकि निवेशकों को आइपीओ में शेयरों के लिए आवेदन आन-लाइन करने की सुविधा के लिए थोडा इंतजार करना होगा. फिलहाल कंपनियों को आइपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) प्रक्रिया की अंतिम तारीख से 12 दिन के भीतर अपने शेयरों को सूचीबद्ध कराने की जरुरत होती है. इससे निवेशकों का कोष लंबे समय तक फंसा रहता है.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल की बैठक के बाद नियामक के चेयरमैन यूके सिन्हा ने कहा कि अल्प अवधि में सूचीबद्धता से सार्वजनिक पेशकश से संबद्ध लागत कम करने में मदद मिलेगी. नयी व्यवस्था एक जनवरी 2016 से अमल में आयेगी. सेबी ने बाजार के पंजीकृत मध्यस्थों के टर्मिनल से बोली आनलाइन जमा कराने की छूट दे दी है हालांकि निवेशकों को आइपीओ में शेयरों के लिए आवेदन आन-लाइन करने की सुविधा के लिए थोडा इंतजार करना होगा.

निवेशकों को किसी भी कंप्यूटर या मोबाइल से आन लाइन बोली लगाने के की सुविधा दिये जाने में कुछ समय लगेगा. सेबी के निदेशक मंडल ने बडी संख्या में कंपनियों को त्वरित मार्ग से कोष जुटाने की अनुमति देने का फैसला किया है. अब कम से कम 1,000 करोड रुपये की सार्वजनिक शेयरधारिता वाली कंपनी ‘त्वरित मार्ग’ के तहत एफपीओ के जरिये कोष जुटा सकती है. पहले यह सुविधा कम से कम 3,000 करोड रुपये की सार्वजनिक शेयरधारित वाली कंपनियों के लिए थी.

राइट इश्यू के मामले में न्यूनतम 250 रुपये तक की सार्वजनिक शेयरधारिता वाली कपंनियों को त्वरित मार्ग अपनाने की छूट दी जा सकती है. सेबी ने कहा है कि एएसबीए (ब्लाक्ड धन पर आधारित आवेदन) की सुविधा हर वर्ग और हर आइपीओ के मामले में लागू होगी. यह आइपीओ के लिए आवेदन की ऐसी व्यवस्था है जिसमें आवेदक का धन उसके बैंक खाते से निकालने की बजाया उसमें ही बना रहता है.

नियामक ने कहा है कि नियमों में नये सुधार से, ‘चेक जारी करने की जरुरत खत्म हो जाएगी’ जिससे आइपीओ में निवेशकों की भागीदारी का रास्ता और आसान होगा तथा आइपीओ का खर्च कम होगा. इससे निर्गमकर्ता कंपनी जहां तेजी से धन जुटा सकेगी वहीं निवेशकों के लिए निवेश के नकदीकरण का शीघ्र अवसर मिलेगा.

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