हवाईअड्डों के निजीकरण को लेकर आईएटीए को ऐतराज

नयी दिल्ली: वैश्विक विमानन कंपनियों (आईएटीए) के निकाय ने हवाईअड्डों के निजीकरण को लेकर आपत्ति जतायी है. एआईटीए ने कहा कि सरकार को इस तरह की कवायद से राजस्व कमाने के लालच से बचना चाहिए और सभी भागीदारों के लिए ऐसी नीतियां तैयार करनी चाहिए जिससे विमानन क्षेत्र में तेजी को प्रोत्साहन मिले. आईएटीए के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 21, 2014 2:52 PM
नयी दिल्ली: वैश्विक विमानन कंपनियों (आईएटीए) के निकाय ने हवाईअड्डों के निजीकरण को लेकर आपत्ति जतायी है. एआईटीए ने कहा कि सरकार को इस तरह की कवायद से राजस्व कमाने के लालच से बचना चाहिए और सभी भागीदारों के लिए ऐसी नीतियां तैयार करनी चाहिए जिससे विमानन क्षेत्र में तेजी को प्रोत्साहन मिले.
आईएटीए के महानिदेशक व मुख्य कार्यकारी टोनी टेलर ने हाल ही में एक बातचीत में कहा ‘एक निवेशक अपने निवेश पर उचित रिटर्न चाहता है. लेकिन यदि उपर से नीचे तक सभी लाभ सरकार लेते हैं तो आपरेटर पैसा बनाने के लिए अधिक शुल्क वसूलेगा जिसका बोझ अंतत: यात्रियों की जेब पर पडेगा. इसलिए सरकार को इस बारे में लालची नहीं होना चाहिए’.
उन्होंने कहा कि निजीकरण कोई ‘रामबाण’ नहीं है और इससे सभी समस्याएं हल नहीं होतीं. टेलर ने कहा कि सरकारें जब हवाईअड्डों का निजीकरण करती हैं तो एक ‘खास लालसा’ होती है.
उन्होंने सरकार द्वारा दिल्ली और मुंबई हवाईअड्डों के निजीकरण के मॉडल की आलोचना करते हुए कहा कि इनमें सरकार द्वारा हिस्सेदारी घटाकर 26 प्रतिशत किए जाने के बावजूद उसे आय में क्रमश: 45.99 प्रतिशत व 38.7 प्रतिशत हिस्सेदारी मिल रही है.’

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