वित्त मंत्री की घोषणा से अर्थव्यवस्था ने लगाई छलांग, 66 पैसे मजबूत हुआ भारतीय रुपया

नयी दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के उपायों की शुक्रवार को की गयी घोषणा से शेयर बाजारों में सुबह के कारोबार में जोरदार तेजी आयी. बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 1300 अंक से अधिक उछला. तीस शेयरों वाला बीएसई सूचकांक दोपहप11बजकर20 मिनट पर 1326.65 अंक यानी 3.68 प्रतिशत […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 20, 2019 2:09 PM

नयी दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के उपायों की शुक्रवार को की गयी घोषणा से शेयर बाजारों में सुबह के कारोबार में जोरदार तेजी आयी. बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 1300 अंक से अधिक उछला. तीस शेयरों वाला बीएसई सूचकांक दोपहप11बजकर20 मिनट पर 1326.65 अंक यानी 3.68 प्रतिशत की छलांग लगा कर 37,420.12 अंक पर पहुंच गया.

इन कंपनियों को मिला फायदा

वहीं नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी 362.95 अंक यानी 0.39 प्रतिशत की तेजी के साथ 11,067.75 अंक पर पहुंच गया. लाभ में रहने वाले प्रमुख शेयरों में मारुति, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एचडीएफसी बेंक, टाटा मोटर्स, येस बैंक, टाटा स्टील, एल एंड टी, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज आटो और आरआईएल में 9 प्रतिशत तक की तेजी आयी.

डॉलर के मुकाबले पैसा मजबूत

दूसरी तरफ टीसीएस और एनटीपीसी नुकसान में रहे. डॉलर के मुकाबले रुपया भी 66 पैसे मजबूत होकर 70.68 पर पहुंच गया. सरकार ने आर्थिक वृद्धि दर को गति देने के लिये बड़ी घोषणा करते हुए शुक्रवार को कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर घटा दी. अब घरेलू कंपनियों के लिये सभी अधिशेषों और उपकर समेत कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर 25.17 प्रतिशत होगी.

वित्त वर्ष 1 अप्रैल से प्रभावी होगी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि नयी दर इस वित्त वर्ष के एक अप्रैल से प्रभावी होगी. उन्होंने कहा कि दर कम करने तथा अन्य घोषणाओं से राजस्व में सालाना 1.45 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान है. सीतारमण ने कहा कि निवेश और आर्थिक वृद्धि दर को गति देने के लिये ये कदम उठाये गये हैं. यदि कोई घरेलू कंपनी किसी भी प्रोत्साहन का लाभ नहीं लें तो उनके लिये कॉरपोरेट कर की दर 22 प्रतिशत होगी.

उन्होंने कहा कि आयकर अधिनियम तथा वित्त अधिनियम में किये गये बदलाव अध्यादेश के जरिये अमल में लाये जाएंगे. उन्होंने कहा कि 22 प्रतिशत की दर से आयकर भुगतान करने का विकल्प चुनने वाली कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर देने की जरूरत नहीं होगी.

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