CCI के ढांचे में किया जा सकता है बड़ा बदलाव, उच्चस्तरीय समिति ने दी सिफारिश

नयी दिल्ली : प्रतिस्पर्धा कानून की समीक्षा के लिए सरकार की ओर से गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने प्रतिस्पर्धा आयोग के ढांचे में अहम बदलाव के सुझाव दिये हैं. समिति की सिफारिश है कि दिवाला कानून के दायरे में आने वाले सौदों समेत कुछ निश्चित सौदों को प्रतिस्पर्धा आयोग से स्वत: मंजूरी प्रदान कर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 14, 2019 8:02 PM

नयी दिल्ली : प्रतिस्पर्धा कानून की समीक्षा के लिए सरकार की ओर से गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने प्रतिस्पर्धा आयोग के ढांचे में अहम बदलाव के सुझाव दिये हैं. समिति की सिफारिश है कि दिवाला कानून के दायरे में आने वाले सौदों समेत कुछ निश्चित सौदों को प्रतिस्पर्धा आयोग से स्वत: मंजूरी प्रदान कर दी जाये. प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत वर्तमान में एक निश्चित सीमा से अधिक के विलय और अधिग्रहण के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग से अनुमति लेनी होती है.

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कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास की अध्यक्षता वाली प्रतिस्पर्धा कानून समीक्षा समिति ने कानून में कुछ बदलाव करने की सिफारिश की है. समिति ने कुछ विशेष विलय और अधिग्रहणों के लिए ‘एक स्वत: मंजूरी मार्ग’ विकसित करने की सिफारिश की है. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर डाली गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस विशिष्ट सीमा वाले मामलों में विलय करने वाली कंपनियां स्व-आकलन कर सकती हैं और प्रतिस्पर्धा आयोग के पास पहले से दस्तावेज जमा कर परामर्श ले सकती है. यदि वह इस संबंध में योग्यता रखती हैं, तो उन्हें स्वत: मंजूरी मिल जायेगी.

उन्होंने कहा कि स्वत: मंजूरी का रास्ता सही मायने में विलय अधिसूचना और अधिकतर मामलों में अनूमति देने वाला होना चाहिए. सरकार इसके लिए प्रतिस्पर्धा आयोग के साथ सलाह-मशविरा कर विस्तृत योग्यता दायरा तैयार कर सकती है. रिपोर्ट के अनुसार, दिवाला एवं ऋण शोधन संहिता के तहत निपटान प्रक्रिया का सामना कर रही कंपनियों के विलय एवं अधिग्रहण को स्वत: मंजूरी मार्ग के योग्य बनाना चाहिए. विलय मामलों की समीक्षा के पहले चरण को पूरा करने के लिए 30 दिन की समयसीमा को कानून का ही अभिन्न हिस्सा बना देना चाहिए.

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