सात मंत्रालयों ने बजट में एससी-एसटी के कल्याणार्थ धन का नहीं किया आवंटन

नयी दिल्ली : सात केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों ने 2019-20 के बजट में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के लिए धन आवंटित नहीं किया तथा 12 ने नीति आयोग द्वारा प्रस्तावित रकम से कम प्रावधान किया. खाद्य एवं जन वितरण प्रणाली मंत्रालय और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय उन मंत्रालयों एवं विभागों में शामिल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 26, 2019 4:29 PM

नयी दिल्ली : सात केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों ने 2019-20 के बजट में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के लिए धन आवंटित नहीं किया तथा 12 ने नीति आयोग द्वारा प्रस्तावित रकम से कम प्रावधान किया. खाद्य एवं जन वितरण प्रणाली मंत्रालय और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय उन मंत्रालयों एवं विभागों में शामिल हैं, जिन्होंने एससी/एसटी के कल्याण वाली योजनाओं के लिए धन आवंटित नहीं किया. नीति आयोग के सुझाये स्तर से कम प्रावधान करने वालों में पर्यावरण, ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल विकास और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय शामिल हैं.

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गौरतलब है कि 2017 में नीति आयोग ने एक नया दिशानिर्देश तैयार कर 41 मंत्रालयों एवं विभागों को अनुसूचति जनजाति के विकास कार्य योजना और अनुसूचित जाति के विकास कार्य योजना के लिए धन आवंटित करने का दायित्व दिया था. एक अधिकारी ने बताया कि जनवरी, 2019 में दिशानिर्देशों को अंतिम रूप दिया गया, जिसका मतलब है कि इसका पूर्ण रूप से अनुपालन इस वित्तीय वर्ष में सुनिश्चित नहीं हो सकता.

अधिकारी ने कहा कि चूंकि मंत्रालय नवंबर-दिसंबर तक विभिन्न योजनाओं के लिए अपने आवंटन पर फैसला कर सकते हैं और दिशानिर्देशों को (अगले साल) जनवरी में अंतिम रूप दिया जा सकता है. ऐसे में कोई भी सुधारात्मक कार्य सिर्फ अगले साल ही संभव है. दिशानिर्देश में कहा गया है कि पहचान किये गये 41 मंत्रालयों और विभागों को कोष का कम से कम 4.3 फीसदी एसटी के विकास योजनाओं और कम से कम 8.3 फीसदी एससी के विकास योजनाओं के लिए आवंटित करना होगा.

अधिकारी के मुताबिक, जनवरी में आर्थिक मामलों के विभाग (वित्त मंत्रालय) ने आदिवासी मामलों के मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को पत्र लिख कर कहा था कि सात मंत्रालयों/ विभागों ने इन योजनाओं के लिए कोष आवंटित नहीं किया है तथा 12 ने नीति आयोग द्वारा सुझाये गये स्तर से कम प्रावधान किया है. विभाग ने संबद्ध मंत्रालयों और विभागों को इसे दुरुस्त करने को कहा है.

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