FMCG कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर के सीएमडी ने की कॉरपोरेट टैक्स घटाने की मांग

नयी दिल्ली : देश में एक फरवरी, 2019 को अंतरिम बजट पेश होने के करीब डेढ़ महीने पहले रोजमर्रा के उपभोग की चीजें बनाने वाली कंपनी (एफएमसीजी) हिंदुस्तान यूनिलीवर के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) संजीव मेहता ने कॉरपोरेट टैक्स की दर में कटौती की वकालत की है. इसके साथ ही, कंपनी ने कहा है […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 13, 2018 4:13 PM

नयी दिल्ली : देश में एक फरवरी, 2019 को अंतरिम बजट पेश होने के करीब डेढ़ महीने पहले रोजमर्रा के उपभोग की चीजें बनाने वाली कंपनी (एफएमसीजी) हिंदुस्तान यूनिलीवर के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) संजीव मेहता ने कॉरपोरेट टैक्स की दर में कटौती की वकालत की है. इसके साथ ही, कंपनी ने कहा है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रक्रिया से जुड़ी दिक्कतों और तकनीकी खामियों को दूर किया जाना चाहिए.

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मेहता ने कहा कि देश में कॉरपोरेट टैक्स की दरों को पड़ोसी देशों के बराबर करके बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) के कर बोझ को कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जीएसटी बड़े बदलाव के रूप में साबित हुआ है और कराधान गतिविधियों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. हालांकि, तकनीकी खामियों और प्रक्रिया से जुड़ी दिक्कतों को तेजी से सुलझाने की जरूरत है. मेहता ने ‘एमएनसी और भारत: परस्पर मूल्यवान बनाना’ विषय पर आयोजित सीआईआई के राष्ट्रीय सम्मेलन में यह बात कही.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल फरवरी में 250 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेटे टैक्स की दर को घटाकर 25 फीसदी कर दिया गया. हालांकि, 250 करोड़ रुपये से ऊपर का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए यह दर 30 फीसदी पर बरकरार रखी गयी है. जेटली अगले साल एक फरवरी को 2019-20 के लिए अंतरिम बजट पेश करेंगे.

मेहता ने कहा कि भारतीय अनुषंगी कंपनियों की ओर से अपनी मूल कंपनी को दी जाने वाली रॉयल्टी पर रोक बहु-राष्ट्रीय कंपनियों के लिए प्रमुख चिंता का विषय है. मेहता सीआईआई की बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर गठित राष्ट्रीय समिति के भी अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय अनुषंगी कंपनियों द्वारा अपनी मूल कंपनी को दी जाने वाली रॉयल्टी पर प्रतिबंध बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए प्रमुख चिंता का विषय है. सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों पर रॉयल्टी भुगतान दर को घटाकर दो फीसदी कर दिया है. इससे भारतीय अनुषंगी कंपनियों की धारणा प्रभावित हो रही है.

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