आंधी-तूफान में उड़ गया ”रसीला” आम, ”बागवानों” की टूटी कमर और बढ़ गया दाम

लखनऊ : हाल ही में उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में आया आंधी-तूफान इस साल आम की बंपर पैदावार होने की उम्मीदों को भी अपने साथ उड़ाकर ले गया. अंधड़ की वजह से ‘फलों का राजा’ आम ना सिर्फ महंगा हुआ है, बल्कि उसका स्वाद भी फीका हो गया. इस साल फसली मौसम की शुरुआत […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 4, 2018 5:58 PM

लखनऊ : हाल ही में उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में आया आंधी-तूफान इस साल आम की बंपर पैदावार होने की उम्मीदों को भी अपने साथ उड़ाकर ले गया. अंधड़ की वजह से ‘फलों का राजा’ आम ना सिर्फ महंगा हुआ है, बल्कि उसका स्वाद भी फीका हो गया. इस साल फसली मौसम की शुरुआत में पेड़ों पर जबरदस्त बौर ने बागवानों के चेहरे खिला दिये थे, लेकिन साजगार मौसम ना होने की वजह से बौर में रोग लग गया. उसके बाद हाल ही में प्रदेश में आये आंधी-तूफान ने रही-सही कसर पूरी कर दी.

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मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष इंसराम अली ने बताया कि इस साल 100 फीसदी बौर होने की वजह से आम की बंपर फसल की उम्मीद थी, लेकिन उन दिनों दिन में गर्मी और रात में ठंडा मौसम होने की वजह से आम में ‘झुमका’ रोग लग गया, जिससे नुकसान हुआ है. इसके अलावा, हाल में आये आंधी-तूफान ने तो बागवानों की कमर ही तोड़ दी. अब हालात यह हैं कि 20-25 टन आम पैदा हो जाए, तो बड़ी बात होगी.

उन्होंने बताया कि आंधी-तूफान की वजह से भारी मात्रा में कच्चा आम टूटकर गिर गया. नतीजतन, उसे आनन-फानन में बाजार लाकर बेचना पड़ा. यह पहले से ही मार झेल रहे बागवानों के लिए जले पर नमक जैसा था. अब इतना तय है कि आम का स्वाद लेने के लिए लोगों को अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी. इसके अलावा प्रतिकूल मौसम की वजह से आम की गुणवत्ता पर भी फर्क पड़ सकता है.

अली ने यह भी कहा कि मौसम में अप्रत्याशित बदलावों के कारण आम की फसल में नये-नये रोग लग रहे हैं, जिनका इलाज फिलहाल वैज्ञानिकों के पास नहीं है. पहले बहुत सी दवाएं थीं, जो अब बेअसर हो रही हैं. आम के पेड़ों को रोग से बचाने के लिए छिड़की जाने वाली दवाओं के नकली होने से बागवानों को काफी नुकसान हो रहा है और सरकार को ऐसी दवाओं की बिक्री रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए.

उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह आम पट्टी क्षेत्रों में पर्यटन स्थल बनायें. इन क्षेत्रों में फैक्ट्री लगवाये, ताकि किसान अपनी उपज को सीधे उस तक पहुंचा सकें. इसके अलावा, सरकार नकली कीटनाशक दवाओं पर रोक लगाये और आम निर्यात के लिए दी जाने वाली सब्सिडी की रकम बढ़ाये.

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश की आम पट्टी राजधानी लखनऊ के मलीहाबाद, उन्नाव के हसनगंज, हरदोई के शाहाबाद, बाराबंकी, प्रतापगढ़, सहारनपुर के बेहट, बुलंदशहर, अमरोहा समेत करीब 14 इलाकों तक फैली है और लाखों लोगों की रोजी-रोटी इस फसल पर टिकी है.

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