सैलरी में टैक्स बेनीफिट से अनजान हैं 25 प्रतिशत कर्मचारी, कहीं आप भी तो नहीं…!

मुंबई :हर चार में से एक वेतनभोगी पेशेवर को उनके वेतन में मिलने वाले कर लाभ की जानकारी नहीं होती. उन्हें यह नहीं पता होता कि उनके अलग-अलग मद में दिये जा रहे उनके वेतन में ऐसे कौन से कर फायदे हैं जिनसे वे कर बचा सकते हैं. नील्सन इंडिया द्वारा कराये गये ‘जेटा एम्पलाई […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 25, 2018 3:26 PM

मुंबई :हर चार में से एक वेतनभोगी पेशेवर को उनके वेतन में मिलने वाले कर लाभ की जानकारी नहीं होती. उन्हें यह नहीं पता होता कि उनके अलग-अलग मद में दिये जा रहे उनके वेतन में ऐसे कौन से कर फायदे हैं जिनसे वे कर बचा सकते हैं.

नील्सन इंडिया द्वारा कराये गये ‘जेटा एम्पलाई बेनिफिट्स’ सर्वे के अनुसार रिइम्बर्समेंट का विकल्प चुनने वाले 56 प्रतिशत कर्मचारी ऐसा अपने हाथ में अधिक वेतन पाने के लिए करते हैं और वे कर बचत के पूरे हिस्से का फायदा नहीं ले पाते.

कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को कर लाभ की पेशकश की जाती है. इसके लिए उनके वेतन में ईंधन, टेलीफोन बिल, एलटीए, गिफ्ट वाउचर्स आदि को शामिल किया जाता है. यह उनके कुल वेतन का हिस्सा होता है.

यह सर्वे सात शहरों में 194 कंपनियों के 1233 कर्मचारियों के बीच किया गया. सर्वे में यह तथ्य सामने आया कि टेलीफोन बिल का भुगतान कंपनियों द्वारा कर्मचारियों किया जाने वाला सबसे लोकप्रिय कर लाभ है. उसके बाद ईंधन, एलटीए और गैजेट्स का नंबर आता है.

लगभग 62 प्रतिशत कर्मचारियों का कहना था कि किसी सुविधा के इस्तेमाल पर बिल देने की प्रक्रिया काफी समय लेने वाली होती है. सिर्फ एक बिल दावे के लिए औसतन 23 मिनट का समय लगता है. सर्वे में कहा गया है कि 94 प्रतिशत कंपनियां अभी भी काफी जटिल और कागजी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल कर रही हैं.

करीब 71 प्रतिशत कंपनियां प्रत्येक दावे की प्रक्रिया को पूरा करने मे आठ दिन का समय लेती हैं. वहीं, कुछ कंपनियां तो इसके लिए दो सप्ताह से अधिक का समय लेती हैं. केवल छह प्रतिशत फर्में ही हैं जो कि कर्मचारियों के विभिन्न खर्चों की प्रतिपूर्ति के लिए पूरी तरह से डिजिटल प्रक्रिया को अपनातीं हैं.

प्रत्येक तीन में से दो कंपनियों को मानना है कि कर लाभों को व्यवस्थित करने में जो समय और लागत आती है वह कर्मचारियों को मिलने वाले वास्तविक लाभ से ज्यादा होती है. कर लाभ की जटिल और तमाम दस्तावेज जुटाने की प्रक्रिया को चलते कई कर्मचारी तो इनसे मिलने वाले कर लाभ को छोड़ना ही बेहतर समझते हैं.

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