Union Budget 2018 : इन शब्दों काे जान लेंगे, तो आसानी से समझ जायेंगे बजट को…!

अब बस थोड़ी ही देर में वित्त मंत्री अरुण जेटली 2018 का आम बजट पेश करेंगे. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार का अंतिम पूर्ण बजट होगा. अपने बजट अभिभाषण में वित्त मंत्री कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, जो आम आदमी की समझ से परे होते हैं. हम आपको ऐसे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 1, 2018 11:26 AM

अब बस थोड़ी ही देर में वित्त मंत्री अरुण जेटली 2018 का आम बजट पेश करेंगे. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार का अंतिम पूर्ण बजट होगा.

अपने बजट अभिभाषण में वित्त मंत्री कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, जो आम आदमी की समझ से परे होते हैं. हम आपको ऐसे ही कुछ शब्दों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में अगर आप जानकारी रखेंगे, तो बजट को आसानी से समझ पायेंगे.

डायरेक्ट टैक्स
किसी भी व्यक्ति और संस्थान की आय, संस्थानों की आय और उसके स्रोत पर जो टैक्स लगता है, उसे डायरेक्ट टैक्स कहते हैं. इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स इस श्रेणी में आते हैं.
इनडायरेक्ट टैक्स
उत्पादित वस्तुओं पर लगने वाला टैक्स इनडायरेक्ट टैक्स कहलाता है. इसके साथ ही, यह आयात-निर्यात वाले सामान पर उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और सेवा शुल्‍क के जरिये भी लगाया जाता है.
जीडीपी
सकल घरेलू उत्पाद, यानी जीडीपी एक वित्त वर्ष के दौरान देश के भीतर कुल वस्तुओं के उत्पादन और देश में दी जाने वाली सेवाओं का कुल जोड़ होता है.
राजकोषीय घाटा
राजकोषीय घाटा सरकार के कुल खर्च और राजस्व प्राप्तियों एवं गैर ऋण पूंजी प्राप्तियों का योग के बीच का अंतर है.
पूंजीगत खर्च
यह फंड्स का आउटफ्लो (खर्च) होता है. सड़कों का निर्माण या लोन चुकाने को कैपिटल एक्सपेंडिचर में डाला जाता है.
राजस्व खर्च
पूंजीगत खर्चों में वर्गीकृत किये गये खर्चों को छोड़कर सभी खर्चे राजस्व खर्चों में आते हैं. इससे एसेट्स या लाइबिलिटीज (दायित्वों) में कोई फर्क नहीं पड़ता. तनख्वाह, ब्याज भुगतान और अन्य प्रशासनिक खर्चे राजस्व खर्चों में में आते हैं.
कॉर्पोरेट टैक्स
इस तरह का टैक्स कार्पोरेट संस्थानों का फर्मों पर लगाया जाता है, जिसके जरिये आमदनी होती है. इस बार करदाताओं को इसके 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसद किये जाने की उम्मीद है.
सीमा शुल्क
इसे कस्टम ड्यूटी कहा जाता है. इस तरह का शुल्क उन वस्तुओं पर लगाया जाता है जो या तो देश में आयातित की जाती है और या फिर देश के बाहर उनका कहीं निर्यात किया जाता है. आयातक और निर्यातक इस शुल्क को अदा करते हैं.
चालू खाता घाटा
इसे करेंट अकाउंट डेफिसिट कहते हैं. इस तरह का घाटा राष्ट्रीय आयात और निर्यात के बीच के अंतर को दर्शाता है.
आयकर
बजट में आम आदमी की सबसे ज्यादा नजर इसी पर टिकी होती हैं. यह आपकी और हमारी आय और उसके अलग स्रोत पर लगता है. आय के स्रोत में आपकी आमदनी, निवेश और उस पर मिलने वाल ब्याज भी इसमें शामिल होता है.
विनिवेश
जब सरकार अपने संचालन की किसी कंपनी या संस्थान में अपनी हिस्सेदारी बेचती है, तो उसे विन‍िवेश कहा जाता है. इसका मतलब ये है कि सरकार अपने अध‍िकार वाली कंपनी में से हिस्सेदारी निजी कंपनियों या व्यक्त‍ि को बेच देती है.
बॉन्ड
पैसा जुटाने के लिए सरकार अक्सर बॉन्ड जारी करती है. यह कर्ज का एक सर्टिफिकेट होता है.
बैलेंस बजट
जब सरकार का राजस्व मौजूदा खर्च के बराबर होता है, तो उसे बैलेंस बजट का नाम दिया जाता है.
बैलेंस ऑफ पेमेंट
देश और दुनिया के अन्य देशों के साथ सरकार का जो भी वित्तीय लेनदेन होता है, उसे ही बैलेंस ऑफ पेमेंट कहा जाता है.

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