चेक बाउंस करने पर पीड़ित पक्ष को अब अदालतें दिला सकेंगी मुआवजा, सरकार करेगी कानून में संशोधन

नयी दिल्ली : वित्तीय लेन-देन के माध्यम के रूप में चेक की विश्वसनीयता बढ़ाने और चेक-बाउंस मामलों से प्रभावित छोटी और मझोली इकाइयों की मदद के लिए सरकार संभवत: नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट -1881 में संशोधन के प्रस्ताव पर विचार कर रही है, ताकि देश की अदालतें पीड़ित पक्ष को अंतरिम मुआवजा दिला सकें. सूत्रों के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 15, 2017 8:56 PM

नयी दिल्ली : वित्तीय लेन-देन के माध्यम के रूप में चेक की विश्वसनीयता बढ़ाने और चेक-बाउंस मामलों से प्रभावित छोटी और मझोली इकाइयों की मदद के लिए सरकार संभवत: नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट -1881 में संशोधन के प्रस्ताव पर विचार कर रही है, ताकि देश की अदालतें पीड़ित पक्ष को अंतरिम मुआवजा दिला सकें. सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिमंडल की शुक्रवार की बैठक में भी इस बारे मसले पर चर्चा की गयी.

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माना जाता है कि सरकार इस कानून में संशोधन के जरिये ऐसा प्रावधान करना चाहती है कि ऐसे मामलों में सुनवाई के दौरान आदलतें चाहें, तो चेक लिखने वालों के खिलाफ पीड़ित पक्ष को अंतरिम मुआवजे का भुगतान करने के आदेश जारी कर सकें. सूत्रों के अनुसार, सरकार अपीलीय स्तर पर भी ऐसा प्रावधान करना चाहती है कि अपीलीय अदालत चेक लिखने वाले अपीलकर्ता को सुनवाई अदालत द्वारा तय मुआवजे का एक हिस्सा अपील दाखिल करने के समय ही जमा करने का आदेश कर सके.

सूत्रों के अनुसार, सरकार मानती है कि चेक लिखने वाले के खाते में पर्याप्त पैसा न होने या अन्य कारणों से चेक बिना भुगतान के लौट जाने से छोटी और मझोली इकाइयों को लंबित अवधि में बहुत परेशानी और कारोबार का बड़ा नुकसान होता है. समझा जाता है कि सरकार इस बारे में सर्व साधारण और व्यावसायिक समुदाय से मिले सुझावों के आधार पर नेगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट्स अधिनियम 1881 में संशोधन करा कर पीड़ित पक्ष के लिए मुकदमे और अपील दोनों चरण में अंतरिम क्षतिपूर्ति का प्रावधान करना चाहती है.

सरकार के समक्ष एक सामान्य शिकायत यह भी है कि बेइमान किस्म के लोग भुगतान में विलंब करने के लिए चेक बाउंस के हथकंडे अपनाते हैं. चेक बाउंस होने पर पीड़ित पक्ष को अपना पैसा हासिल करने के लिए अदालतों में बहुत अधिक धन और समय जाया करना पड़ता है. सूत्रों के अनुसार, सरकार संबंधित कानून में ऐसा संशोधन करना चाहती है कि अदालतें चाहें, तो सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष को अंतरिम भुगतान का आदेश कर सकें. यदि चेक लिखने वाला मुकदमे से बरी हो जाता है, तो दूसरे पक्ष को अंतरिम मुआवजे की राशि वापस करनी होगी.

इसी तरह, अपीलीय अदालत भी मामले को दाखिला लेते समय निचली अदालत द्वारा तय मुआवजे का एक हिस्सा जमा कराने का आदेश कर सकेगी. सूत्रों ने कहा कि इससे भुगतान के माध्यम के रूप में चेक की विश्वसनीयता बढ़ेगी तथा यह कदम भुगतान के लिए नकदी के चलन में कमी लाने की सरकार की योजनाओं को भी बल मिलेगा.

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