Darauli Assembly constituency: दलित चेतना से सियासी करवटों तक की कहानी सियासी बदलावों का गवाह

Darauli Assembly constituency: दरौली विधानसभा सीट सिवान जिले की एक आरक्षित (SC) सीट है, जो दलित राजनीति और सामाजिक न्याय की राजनीति का केंद्र रही है. कभी कांग्रेस का गढ़ रही यह सीट समय के साथ RJD और LJP जैसे दलों के प्रभाव में आई. हाल के वर्षों में यहां सत्ता विरोधी रुझान और स्थानीय मुद्दे निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

By Nishant Kumar | July 11, 2025 5:35 PM

Darauli Assembly constituency: बिहार के सिवान जिले में स्थित दरौली विधानसभा सीट सिर्फ एक चुनावी भूगोल नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और सत्ता के समीकरणों की जीवंत कहानी है. अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित यह सीट दशकों से दलित राजनीति, सामाजिक न्याय और बदलाव की धुरी रही है. यहां की राजनीति में बार-बार करवटें आईं, जिन्होंने राज्य की सियासी धारा को भी प्रभावित किया।

क्या है राजनीतिक इतिहास ? 

1950 और 60 के दशक में जब कांग्रेस का पूरे राज्य पर प्रभाव था, तब दरौली भी उसी लहर में बहा लेकिन 90 के दशक में सामाजिक न्याय की राजनीति के उदय के साथ यहां के राजनीतिक तेवर बदलने लगे. लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने दलित वोट बैंक को साधकर सत्ता की ओर कूच किया. दरौली ने इस दौर में उन नेताओं को सराहा, जो हाशिए पर खड़े वर्गों की बात करते थे.

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क्या है मौजूदा हालात ? 

बीजेपी और जदयू ने हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में मजबूत पैठ बनाने की कोशिश की, लेकिन यहां का मतदाता अब पहले जैसा स्थायी नहीं रहा. सत्ता विरोधी रुझान, स्थानीय मुद्दे और उम्मीदवार की छवि अब निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यही कारण है कि हर चुनाव में दरौली की जनता एक नया संदेश देती है — कभी बदलाव का, तो कभी संतुलन का. दरौली आज सिर्फ एक सीट नहीं, बल्कि यह बिहार की उस सामाजिक-सियासी यात्रा का प्रतीक बन चुकी है, जहां दलित चेतना ने न केवल राजनीति को नई दिशा दी, बल्कि नेतृत्व को भी नया आयाम दिया.