Beldaur Vidhansabha: बेलदौर विधानसभा के मतदाताओं को है विकास की आस,नहीं टूटा है उनका सरकार पर विश्वास

Beldaur Vidhansabha: हर चुनाव में उम्मीदें लगाई जाती हैं विकास की, लेकिन बेलदौर की किस्मत अब भी बाढ़, कटाव और बदहाल सड़कों से बंधी है.

By Pratyush Prashant | August 20, 2025 10:24 AM

Beldaur Vidhansabha: खगड़िया जिले की बेलदौर विधानसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई थी. लंबे संघर्ष और विकास की आस के साथ इस क्षेत्र ने नई पहचान पाई, लेकिन वर्षों बाद भी यहां की तस्वीर नहीं बदली. बाढ़, कटाव, जर्जर सड़कें और आवागमन की समस्या आज भी जस की तस है. बावजूद इसके, यहां के मतदाता चुनावी प्रक्रिया में लगातार सक्रिय रहे हैं.

बेलदौर का इतिहास बिल्कुल इसके भूगोल की तरह समतल माना जाता है. लेकिन समस्याएं गहरी हैं—कोसी की हर साल आने वाली बाढ़ यहां किए गए विकास कार्यों को भी बहा ले जाती है.

टूटा पुल के मरम्मत की आस

बीपी मंडल सेतु के टूटने के बाद बेलदौर के लोगों के लिए जिला मुख्यालय तक पहुंचना मानो पहाड़ चढ़ने जैसा कठिन हो गया है. कभी जिस पुल ने पूरे इलाके को राजधानी पटना और खगड़िया मुख्यालय से जोड़ा था.

फरवरी 1988 में जब इस सेतु का उद्घाटन हुआ था, उस समय इलाके की प्रसन्नता देखते ही बनती थी. गांव-गांव खुशियां मनाई गईं, क्योंकि इस पुल के जरिए पहली बार कोसी का इलाका सीधे पटना से जुड़ा था.बेलदौर प्रखंड की 16 पंचायतों को जैसे नई जिंदगी मिल गई थी. तभी इसे “कोसी का लाइफलाइन” कहा जाने लगा.

महज 22 साल बाद, 19 अगस्त 2010 को पुल ने दम तोड़ दिया. वाहनों का परिचालन पूरी तरह बंद हो गया. नीतीश कुमार ने बीपी मंडल सेतु का पुर्ननिमार्ण करवाया और बेलदौर के ढाई लाख से ज्यादा लोग नारकीय जीवन जीने मुक्ति मिली. परंतु, मरम्मत के अभाव में बीपी मंडल पुल में कई जगहों पर गड्ढे हो गए है और पुल पर जाम की समस्या बनी रहती है.

बेलदौर के मतदाताओं की सबसे बड़ी आस है “विकास पुरुष” कहे जाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ‘लाइफलाइन’ कहे जाने वाले बीपी मंडल पुल का जीर्णोद्वार और रख-रखाव बेहतर तरीके से हो.

लगातार विकास के अभाव के बावजूद यहां के मतदाता पीछे नहीं हटे

2010 में मतदान प्रतिशत: 56.61%

2015 में बढ़कर: 59.29%

2020 में घटकर: 57.76%

मतदान में कमी का बड़ा कारण व्यापक गरीबी और 40% से भी कम साक्षरता दर को माना जा सकता है

धमाराघाट का कत्यानी मंदिर

बेलदौर क्षेत्र के चौथम प्रखंड के धमाराघाट स्टेशन के पास 52 शक्तिपीठों में से एक कत्यानी मंदिर लोक आस्था का केंद्र है. यह मंदिर वर्षों से उपेक्षित रहा है, हालांकि हाल ही में इसके विकास के लिए सरकार ने 10 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है. उम्मीद है कि जल्द ही मंदिर परिसर का कायाकल्प होगा.

बेलदौर विधानसभा का जन्म विकास की उम्मीद के साथ हुआ था, लेकिन हकीकत आज भी संघर्ष और बदहाली की कहानी कहती है. यहां का मतदाता हर बार वोट डालकर बदलाव की आस जगाता है, मगर चुनाव बाद तस्वीर वही रहती है.

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