फेसबुक पर टीका विरोधी अधिकांश विज्ञापनों के लिए धन महज दो संगठनों ने दिया

वाशिंगटन: फेसबुक पर टीकों (वैक्सीन) के बारे में गलत सूचनाएं फैलाने वाले ज्यादातर विज्ञापनों के लिए भुगतान महज दो संगठनों ने किया. टीका विरोधी अवैज्ञानिक संदेशों के प्रसार के लिए सोशल मीडिया की भूमिका को बताने वाले एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है. अमेरिका के मेरीलैंड विश्वविद्यालय तथा अन्य संस्थानों के अध्ययनकर्ताओं ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 18, 2019 10:41 PM

वाशिंगटन: फेसबुक पर टीकों (वैक्सीन) के बारे में गलत सूचनाएं फैलाने वाले ज्यादातर विज्ञापनों के लिए भुगतान महज दो संगठनों ने किया. टीका विरोधी अवैज्ञानिक संदेशों के प्रसार के लिए सोशल मीडिया की भूमिका को बताने वाले एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है.

अमेरिका के मेरीलैंड विश्वविद्यालय तथा अन्य संस्थानों के अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि टीका विरोधी विज्ञापन खरीददारों के एक छोटे से समूह ने लक्षित उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने के लिए फेसबुक का फायदा उठाया.

जर्नल ‘वैक्सीन’ में प्रकाशित अध्ययन में यह भी पाया गया कि पारदर्शिता बढ़ाने के सोशल मीडिया मंचों के प्रयास असल में, टीकाकरण को बढ़ावा देने और वैज्ञानिक खोजों की जानकारी देने वाले विज्ञापनों को हटाने की वजह बन गए.

शोधकर्ताओं ने कहा कि इस शोध में सोशल मीडिया पर मिलने वाली गलत सूचनाओं के खतरे के प्रति सचेत रहने की अपील की गई है क्योंकि यह ‘टीका लगाने की हिचकिचाहट’ को बढ़ा सकता है जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक इस साल वैश्विक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में शामिल है.

उन्होंने कहा कि टीका लगाने से इनकार की दर बढ़ने से उन बीमारियों को रोकने में हुई प्रगति बाधित होगी जो मात्र टीके की मदद से रोकी जा सकती हैं जैसे कि खसरा. दुनिया भर में इस बीमारी के मामलों में 30 फीसदी इजाफा हुआ है.

शोधकर्ताओं ने इन परिणामों तक पहुंचने के लिए फेसबुक उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाए गए 500 से ज्यादा टीका संबंधित विज्ञापनों और फेसबुक की विज्ञापन लाइब्रेरी में आर्काइव कर रखे गए विज्ञापनों का अध्ययन किया.

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