Jharkhand : अप्रैल अंत में भंग हो जायेंगे 35 नगर निकाय, बढ़ेगी आम लोगों की पेरशानी

रांची नगर निगम समेत राज्य के 35 नगर निकायों का बोर्ड अप्रैल महीने के अंत तक भंग हो जायेगा.

By Raj Lakshmi | March 20, 2023 4:18 PM

रांची नगर निगम समेत राज्य के 35 नगर निकायों का बोर्ड अप्रैल महीने के अंत तक भंग हो जायेगा. लेकिन ओबीसी अराक्षण के आस में 13 नगर निकायों के चुनाव वर्ष 2020 से ही लंबित हैं. ऐसे में मई महीने से पूरे राज्य के नगर निकाय जनप्रतिनिधियों के हाथ से निकल जायेंगे. राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी कर ओबीसी आरक्षण तय करने के बाद ही नगर निकायों का चुनाव कराया जायेगा. जिससे यही समझ आता है कि अगले एक वर्ष तक राज्य में निकाय चुनाव संभव नहीं है.

ऐसे में अगर हम बात करें तो न सिर्फ नगर निकाय चुनाव नहीं होने से सरकार को वित्तिय नुकसान है बल्कि आम लोग भी इससे काफी प्रभावित होंगे. नगर निकायों का बोर्ड भंग हो जाने की स्थिति में झारखंड में गर्मी में होने वाली पानी की किल्लत से आम लोगों को प्रति दिन दो-चार होना होगा.आगामी मई महीने से राज्य भर के शहरों में सरकारी बाबुओं का राज होगा. अब हर छोटी-बड़ी समस्या के लिए आम लोगों को नगर निगम के चक्कर काटने होगें. चाहे फिर काम साफ-सफाई का हो या स्ट्रीट लाइट का, नाली से लेकर सड़क की मरम्मत और वृद्धा पेंशन तक के लिए लिए पार्षद को फोन करने की जगह नगर निगम के चक्कर लगाने पड़ेंगे.

नगर निकायों का कार्यकाल खत्म होने के बाद आम लोगों को साफ-सफाई, स्ट्रीट लाइट व नाली, सड़क की मरम्मत, वृद्धा पेंशन जैसे कार्यों के लिए पार्षद को फोन करने की जगह नगर निगम के चक्कर लगाने पड़ेंगे. शहरों में पानी दिक्कत संभावित है. मोहल्लों में पानी की किल्लत दूर करने के लिए सबसे ज्यादा मेहनत करने वाले पार्षदों की जनप्रतिनिधि के रूप में कमी खलेगी. वर्तमान में पार्षदों के माध्यम से लोगों को टैंकर से पेयजल सुलभ कराया जाता है. पार्षदों के नहीं होने से लोगों को निगम कार्यालय से संपर्क कर पेयजल उपलब्ध कराने की मिन्नत करनी पड़ेगी.

राज्य में नगर निकायों का चुनाव नहीं होने से राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. शहरी निकायों के विकास के लिए 15वें वित्त आयोग से लगभग 1600 करोड़ रुपये पर राज्य का दावा है. संविधान के 74वें संशोधन पर स्पष्ट किया गया है कि नियमित चुनाव कराने में विफलता और लंबे समय तक शक्तियों व कार्यों के अपर्याप्त हस्तांतरण होने की स्थिति में राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर मिलने वाली वित्तीय सहायता से वंचित हो सकते हैं.

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