Makar Sankranti 2022: इस दिन मनाई जाएगी मकर संक्रांति, बन रहा है ये खास संयोग, जानें इसका महत्व

Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का दिन 14 जनवरी, शुक्रवार के दिन मनाया जाता है. ज्योतिषियों के अनुसार इस बार मकर संक्रांति की शुरुआत रोहणी नक्षत्र में हो रही है, जो कि शाम 08 बजकर 18 मिनट तक होगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 5, 2022 5:39 AM

Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति का पर्व हिन्दू धर्म ​में ​विशेष महत्व रखता है. हर वर्ष जब सूर्य देव (Surya Dev) मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करते हैं, तो उसे सूर्य की मकर संक्रांति कहा जाता है. मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) हर साल जनवरी की 14 तारीख को मनाई जाती है. इसे उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है.

Makar Sankranti 2022 का शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक है. मकर संक्रांति के दिन दोपहर 01 बजकर 36 मिनट तक शुक्ल योग है, उसके बाद से ब्रह्म योग लग जाएगा.

Makar Sankranti 2022 के बन रहा है ये संयोग

मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का दिन 14 जनवरी, शुक्रवार के दिन मनाया जाता है. ज्योतिषियों के अनुसार इस बार मकर संक्रांति की शुरुआत रोहणी नक्षत्र में हो रही है, जो कि शाम 08 बजकर 18 मिनट तक होगा. बता दें कि इस नक्षत्र को शुभ नक्षत्र माना जाता है. कहते हैं कि इस नक्षत्र में स्नान दान और पूजन करना विशेष फलदायी होता है. साथ ही, इस दिन ब्रह्म योग और आनंदादि योग का भी निर्माण हो रहा है. ये संयोग भी अनंत फलदायी है.

Makar Sankranti 2022 का महत्व

ज्योतिष गणना के अनुसार साल में 12 संक्रांतियां पड़ती हैं, लेकिन इनमें से मकर संक्रांति का विशेष महत्व है. इस दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ उत्तरायण होना शुरू हो जाता है. मकर संक्रांति को लेकर कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है. इसलिए इस दिन दान, जप-तप का विशेष महत्व है.

ऐसी मान्यता है कि इस दिन को दिया गया दान विशेष फल देने वाला होता है. इस दिन व्यक्ति को किसी गृहस्थ ब्राह्मण को भोजन या भोजन सामग्रियों से युक्त तीन पात्र देने चाहिए.

मत्स्य पुराण के 98वें अध्याय के 17 वें भाग से लिया गया यह श्लोक पढ़ना चाहिए-

‘यथा भेदं न पश्यामि शिवविष्णवर्कपद्मजान्।

तथा ममास्तु विश्वात्मा शंकरः शंकरः सदा।।‘

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