देवउठनी एकादशी कब है? जानें इस दिन क्यों नहीं खाते हैं चावल, एकादशी के दिन इन नियमों का करें पालन

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहते हैं. इसे देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जानते हैं. काशी में इस दिन देव दीपावली भी मनाई जाती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2021 1:10 PM

ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को चार माह की चिर निद्रा के बाद भगवान विष्णु जागते हैं और सृष्टि का संचालन करते हैं. इस दिन से ही सभी तरह के मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इस साल देवउठनी एकादशी 14 नवंबर को है.

एकादशी के दिन इस वजह से नहीं खाते हैं चावल

पौराणिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति को रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म मिलता है. वहीं द्वादशी को चावल खाने से इस योनि से मुक्ति मिलती है. पौराणिक कथा के अनुसार, माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर त्याग कर दिया था और उनका अंश पृथ्वी में समा गया था. इसके बाद चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए, इसलिए चावल और जौ को जीव माना गया है. जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया था, उस दिन एकादशी तिथि थी. इसलिए इस दिन चावल खाने से परहेज करने की परंपरा है.

एकादशी व्रत नियम

: शास्त्रों के अनुसार सभी 24 एकादशियों में चावल खाने को वर्जित माना गया है. ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से इंसान को रेंगने वाले जीव योनि में जन्म मिलता है. इसलिए इस दिन भूलकर भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.

: एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने के साथ ही खान-पान, व्यवहार और सात्विकता का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है.

: एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना शुभ माना जाता है और इस दिन शाम के समय नहीं सोना चाहिए.

: ऐसा कहा जाता है कि एकादशी के दिन पति-पत्नी को ब्रह्नाचार्य का पालन करना चाहिए.

: मान्यता है कि एकादशी का लाभ पाने के लिए व्यक्ति को इस दिन कठोर शब्दों के प्रयोग नहीं करना चाहिए. इस दिन लड़ाई-झगड़े से भी बचना चाहिए.

Also Read: Tulsi Vivah 2021: तुलसी विवाह कराने से मिलता है सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद, जानें पूजा विधि और पौराणिक कथा

एकादशी के दिन ये कार्य जरूर करें

: विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए एकादशी के दिन केसर, केला या हल्दी का दान करें.

: एकादशी तिथि का उपवास रखने से धन, मान-सम्मान और संतान सुख के साथ मनोवांछित फल मिलता है.

: एकादशी के दिन दान करना अयंत शुभ फलदायी होता है.

: एकादशी के दिन संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए ऐसा करने से पाप कट जाते हैं.

: एकादशी का व्रत रखने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.