नाबालिग पीड़िताओं के पुनर्वास का सराहनीय प्रयास

इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि लड़कियों को अपराधी से लड़ने की शक्ति मिलेगी. गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद जो पौष्टिक खानपान चाहिए, पर्याप्त देखभाल चाहिए, पीड़िता को वह सब मिलेगा.

By अनुजा कपूर | July 7, 2023 8:00 AM

अनुजा कपूर (क्रिमिनल साइकोलॉजिस्ट, वकील और बीजेपी प्रवक्ता) : केंद्र सरकार ने हाल ही में एक योजना का एलान किया है, जिससे उन नाबालिग लड़कियों को आवास, भोजन और कानूनी सहायता मुहैया करायी जायेगी, जिनका बलात्कार के बाद गर्भ ठहर गया हो, और इस कारण परिवार वालों ने भी उनका साथ छोड़ दिया हो. यानी इस मुश्किल की घड़ी में वो नितांत अकेली हो गयी हों. इस योजना की जानकारी हाल ही में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री, स्मृति ईरानी ने दी है. यह नयी योजना निर्भया योजना के तहत लायी गयी है. इस योजना में नाबालिगों के पुनर्वास पर ध्यान दिया गया है, जो बहुत बड़ी बात है. हमारे समाज में बलात्कार को बहुत अपमानजनक (टैबू) माना जाता है, पर आज लड़कियां आगे आकर एफआइआर दर्ज करा रही हैं, उनके माता-पिता हिम्मत करके उनके साथ खड़े हो रहे हैं. पर क्या हमेशा ऐसा होता है, यह एक बहुत बड़ा मुद्दा है.

यह बात भी महत्वपूर्ण है कि जब नाबालिग के साथ बलात्कार होता है, और वह गर्भवती हो जाती है, तो सर्वोच्च न्यायालय प्रत्येक मामले में गर्भ गिराने की अनुमति नहीं देता है. अब जब सर्वोच्च न्यायालय हर एक मामले में गर्भ गिराने की अनुमति नहीं देगा, तो इससे एक नाबालिग को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ेगा. कई मामलों में तो माता-पिता भी पीड़िता के विरुद्ध हो जाते हैं, उसका साथ छोड़ जाते हैं, क्योंकि उन्हें चिंता होती है कि वे गर्भवती व उसके बच्चे की देखभाल कैसे करेंगे. इतना ही नहीं, बलात्कार का एक नाबालिग के मन पर बहुत गहरा असर पड़ता है और वह लोगों पर, पुरुषों पर विश्वास नहीं कर पाती है.

अगर हम कानून के नजरिये से भी देखें, तो राज्य और केंद्र का यह कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों का ध्यान रखे. यहां केवल आदेश देने से काम नहीं चलेगा, आगे की कार्रवाई करनी भी जरूरी है. इसीलिए निर्भया फाउंडेशन का गठन हुआ था. इस फाउंडेशन का पूरी तरह उपयोग हो सके, इसी के लिए नयी योजना लायी गयी है. तो वात्सल्य योजना के तहत जो दिशा-निर्देश दिये गये हैं, यहां उसका उपयोग उससे भी आगे जाकर होता है. हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए पहले से ही वन स्टॉप सेंटर बनाये गये हैं. वन स्टॉप सेंटर का अर्थ है वह स्थान, यहां पीड़िता आये तो एक ही छत के नीचे उसे सारी सुविधा मिल जाए. उसे दर-दर भटकना न पड़े. कई बार ऐसा भी होता है जब बलात्कार के बाद परिवार का साथ न मिलने से पीड़िता अपन घर छोड़ देती है. इसके बाद वह गर्भ गिराने की अनुमति के लिए न्यायालय जाती है, क्योंकि बच्चे को जन्म देने के बाद उसे किसी को गोद देने की प्रक्रिया काफी जटिल है. ऐसे में वन स्टॉप सेंटर पीड़िता को सभी जरूरी सहायता मुहैया कराता है. इस योजना का उद्देश्य ही यही है कि अगर नाबालिग के साथ कुछ अनहोनी हो जाए, तो वह उस दौरान अपने आपको अकेला महसूस न करे.

इस नयी योजना के तहत 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के रहने, खाने-पीने की व्यवस्था के साथ ही उन्हें कानूनी समेत न्यायालय जाने के लिए सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था भी की जायेगी. पहले 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के लिए यह सुविधा नहीं थी. पर अब यह सुविधा 23 वर्ष तक की महिलाओं को भी उपलब्ध करायी जायेगी. इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि लड़कियों को अपराधियों से लड़ने की शक्ति मिलेगी. गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद जो पौष्टिक खान-पान चाहिए, पर्याप्त देखभाल चाहिए, महिलाओं को वह सब मिलेगा. योजना के तहत दिशा-निर्देश में कहा गया है कि केंद्र, राज्य की सहायता के साथ इस योजना को आगे बढ़ायेगा. इस योजना के लाभार्थी को चिल्ड्रन होम के साथ, शेल्टर भी मिलेगा. दूसरे शब्दों में कहें, तो इसमें पीड़िता को एक घर मिलता है जिसका पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती है. इस लिहाज से यह एक बहुत अच्छी पहल है.

यहां लोगों के मनोविज्ञान की बात करनी भी जरूरी है. हमारे देश में लोगों को थाने जाने तक से डर लगता है, वे वहां खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते है. तो इस मानसिकता में बदलाव लाने के लिए लोगों को बदलना होगा, खुद में हिम्मत लानी होगी. देखने में आता है कि कई बार लड़कियां बलात्कारी से ही शादी कर लेती हैं. तो ऐसी घटनाओं क रोकने के लिए ही वन स्टॉप सेंटर आया है. आप अपनी लड़ाई लड़िए, यदि आपके माता-पिता आपके साथ नहीं खड़े हैं, तो सरकार आपकी देखभाल करेगी. यहां प्रश्न खड़ा होता है कि एक महिला, जो पीड़िता है, उसका आप समाज में पुनर्वास कैसे करेंगे? आप एक अपराधी के पुनर्वास की तो पूरी कोशिश करते हैं, तो क्या पीड़िता को इसकी जरूरत नहीं है? क्या पीड़िता का पुनर्वास नहीं होना चाहिए. हमारा केवल एक ही उद्देश्य है कि जो माता-पिता अपने बच्चों को छोड़ देते हैं, उस बच्चे को माता-पिता दोनों का प्यार सरकार की इस योजना के जरिये मिले. इस दिशा-निर्देश के अंतर्गत एक महिला पूरी गरिमा के साथ अपना जीवन जी पायेगी, वह भी उस समय जब उसको अपनों के साथ की सबसे अधिक जरूरत होगी. निर्भया फंड के साथ, एक उचित दिशा-निर्देश के संग यह योजना महिलाओं को संभालने का काम करेगी.

(बातचीत पर आधारित)

(ये लेखिका के निजी विचार हैं.)

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