चतरा : अफीम की खेती रोकेने में सफल हो रहा है प्रशासन, आंकड़े दे रहे हैं गवाही

झारखंड में अफीम की खेती को लेकर कई जिलों में लंबे समय से अभियान चलाया जा रहा है. झारखंड के कई जिलों में अफीम की खेती नष्ट की गयी है. प्रशासन इसे लेकर जागरुक भी कर रहा है और कड़ी कार्रवाई भी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2022 5:03 PM

झारखंड में अफीम की खेती को लेकर कई जिलों में लंबे समय से अभियान चलाया जा रहा है. झारखंड के कई जिलों में अफीम की खेती नष्ट की गयी है. प्रशासन इसे लेकर जागरुक भी कर रहा है और कड़ी कार्रवाई भी. अफीम की खेती को लेकर लातेहार, खूंटी, चतरा जैसे जिले हमेशा चर्चा में रहे. चतरा में अफीम की खेती को लेकर आंकड़े जारी किये गये हैं.

इन आंकड़ो में साल 2020 में एनडीपीएस एक्ट के तहत 170 गिरफ्तारियां हुईं और 2021 में यह आंकड़ा 300 का था वहीँ 2022 (31 जून तक) में यह आंकड़ा मात्र 76 तक पहुंचा. अफीम की बरामदगी 2020 में 316 किलो से घट कर 2021 में 204 किलो और 2022 (31 जून तक) में मात्र 34 किलो तक पहुंची. जहाँ पिछले दो वर्षों में 30 से भी अधिक वाहन प्रतिवर्ष जब्त हुए वहीँ 2022 में 31 जून तक मात्र 2 वाहन जब्त हुए हैं. आंकड़े संकेत देते हैं कि चतरा में अफीम की खेती के मामले कम हो रहे हैं.

झारखण्ड के सीएम हेमंत सोरेन ने पिछले साल 1 अक्टूबर को चतरा के चोरकारी में नवनिर्मित पावर ग्रिड सब स्टेशन का उद्घाटन किया था उसी वक्त चतरा जिला प्रशासन द्वारा संचालित एक अनूठे कैंपेन का भी अनावरण किया था. कैंपेन था अफीम मुक्त चतरा.

अभियान के संचालक और मात्रा कंसल्टेंट्स प्रणव प्रताप सिंह ने इन आंकड़ों के माध्यम से बताया कि इस कैंपेन के द्वारा न सिर्फ अफीम के सेवन से होने वाले नुकसान की जानकारी दी गयी है बल्कि शारीरिक और मानसिक दुष्प्रभावों के बारे में भी ग्रामीणों को अवगत कराया गया. साथ ही ड्रोन कैमरा जैसे आधुनिक उपकरणों से प्रशासन की बढ़ती मुस्तैदी के बारे में जागरूक किया गया.

क्यों होती है चतरा में अफीम की खेती

चतरा में इस समस्या के पनपने के मुख्य कारण हैं. पहला, यहां पूरे प्रदेश में सर्वाधिक 50 फीसदी जंगल क्षेत्र होने की वजह से लोगों को अफीम उगाने के लिए ऐसी ज़मीन आसानी से उपलब्ध है. जो न तो निजी संपत्ति है न ही आसानी से पहुंची जा सकती है.

चतरा में अफीम का नशा नहीं करते लोग 

ऐसे में प्रशासन को इन ठिकानों का पता लगाने में समय तो लगता ही है साथ पता लगने पर भी गिरफ़्तारी लगभग असंभव है. दूसरा मुख्य कारण है, एक मुख्य राज्यमार्ग से नज़दीकी और तीसरा सहायक बिंदु है राज्य सीमा से निकटता. स्थानीय लोग ना ही इसके सेवन करते हैं और ना ही नशे के लिए इस जिले में इसका चलन है, यह सारा खेल राज्य के बहार से चल रहा है, जो पूर्णतः स्थानीय जनता के शोषण पर आधारित है. इसलिए यह लड़ाई स्थानीय जनता के साथ से लड़ी जानी है, उनके खिलाफ नहीं.

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