कलकत्ता हाइकोर्ट के जज ने पूछा- ममता बनर्जी को दूसरी पार्टी के वकीलों पर भरोसा, तो जज पर क्यों नहीं

कलकत्ता हाइकोर्ट के जज ने पूछा- ममता बनर्जी को दूसरी पार्टी के वकीलों पर भरोसा, तो जज पर क्यों नहीं

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 24, 2021 6:28 PM

कोलकाता (अमर शक्ति प्रसाद): तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की मौजूदगी में कलकत्ता हाइकोर्ट में गुरुवार को गर्मागर्म बहस हुई. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पैरवी कर रहे वकीलों की दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस कौशिक चंद ने पूछा कि ममता बननर्जी को दूसरी पार्टी के बैकग्राउंड वाले वकीलों पर भरोसा है, तो जज पर क्यों नहीं?

मामले की सुनवाई करने के बाद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उस याचिका पर जस्टिस कौशिक चंद ने आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें टीएमसी सुप्रीमो ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ उनकी चुनाव याचिका की सुनवाई कर रहे जज से आग्रह किया है कि वे खुद को इस केस से अलग कर लें. हालांकि, ममता बनर्जी के वकील संजय बसु को उम्मीद है कि उनकी मांग मानी जायेगी और जज बदलेंगे. साथ ही कहा कि वे फैसले का इंतजार करेंगे.

ममता बनर्जी के वकील की दलील है कि चूंकि जस्टिस कौशिक चंद भाजपा के “सक्रिय सदस्य” रह चुके हैं, उन्हें नैतिक आधार पर इस केस से खुद को अलग कर लेना चाहिए. साथ ही अपील की कि ममता बनर्जी की इस चुनावी याचिका को किसी और जज की बेंच में भेज दिया जाये. गुरुवार को जस्टिस कौशिक चंद की कोर्ट से 18 जून को जारी आदेश के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी 24 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट में पेश हुईं.

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जस्टिस कौशिक चंद, जिनके खिलाफ मामले से अलग होने संबंधी याचिका दायर की गयी है, ने मामले को सुना और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. न्यायाधीश ने फैसला सुनाने की तारीख का जिक्र नहीं किया. ममता बनर्जी के वकील ने कहा है कि उनकी मुवक्किल को संदेह है कि उन्हें जस्टिस कौशिक चंद की कोर्ट से न्याय मिलेगा, क्योंकि अतीत में उनके भाजपा से संबंध रहे हैं.

ममता बनर्जी के वकील ने इससे पहले कलकत्ता हाइकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को पत्र लिखकर ममता बनर्जी की चुनाव याचिका को किसी और न्यायाधीश के पास सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा कि मामला निर्वाचन याचिका पर निर्णय लेने से संबंधित है. इसमें भाजपा प्रत्याशी के निर्वाचन को चुनौती दी गयी है. इसलिए इसके राजनीतिक प्रभाव हो सकते हैं.

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इसलिए, उन्होंने आग्रह किया कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, जो कि रोस्टर के मास्टर हैं, वह मामला अन्य पीठ को सौंप दें. ममता की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कौशिक चंद ने कहा कि याचिकाकर्ता को किसी भी जज को बदलने की मांग करने का पूरा अधिकार है, इस पर न्यायिक व्यवस्था के तहत फैसला किया जायेगा.

वकीलों के भी हैं राजनीतिक जुड़ाव- जस्टिस कौशिक चंद

इस पर ममता बनर्जी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि न्यायाधीश को अपने पद से हटना चाहिए, क्योंकि हितों का टकराव था. सुनवाई के दौरान जस्टिस कौशिक ने कहा कि आपके वकीलों का भी राजनीतिक जुड़ाव है. अभिषेक मनु सिंघवी कांग्रेस से हैं और एसएन मुखर्जी का भाजपा बैकग्राउंड है. लेकिन, यहां तृणमूल प्रमुख का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. अगर अन्य राजनीतिक बैकग्राउंड के वकीलों पर भरोसा किया जा सकता है, तो आप जज पर भरोसा क्यों नहीं कर सकते?


नंदीग्राम में अपनी हार को ममता ने दी है चुनौती

ममता बनर्जी ने अपने पूर्व सहयोगी से बदलकर उनके चुनावी प्रतिद्वंद्वी बने शुभेंदु अधिकारी पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 का उल्लंघन करते हुए भ्रष्ट आचरण का आरोप लगाया है. उन्होंने मतगणना में गड़बड़ी के आरोप भी लगाये हैं. निर्वाचन आयोग द्वारा 2 मई को घोषित परिणामों के मुताबिक, शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को 1957 मतों से हरा दिया था.

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Posted By: Mithilesh Jha

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