Azadi Ka Amrit Mahotsav: राइटर्स बिल्डिंग में हमला करने की योजना में निकुंज सेन की थी महत्वपूर्ण भूमिका

Azadi Ka Amrit Mahotsav: निकुंज सेन केवल इनके सहयोगी ही नहीं थे, बल्कि समूचे अभियान की पूरी परिकल्पना व तैयारी में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. अभियान के वक्त वह पकड़े नहीं गये. वह अंडरग्राउंड हो गये सोशलिस्ट रिपब्लिक दल में शामिल हुए निकुंज सेन थे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 8, 2022 2:40 PM

Azadi Ka Amrit Mahotsav: स्वाधीनता की लड़ाई में कई ऐसे नाम हैं, जिन्हें आज की युवा कम ही जानती है. लेकिन उन क्रांतिकारियों ने भी आजादी की लड़ाई की मशाल को प्रज्ज्वलित रखा था. ऐसे ही क्रांतिकारी रहे निकुंज सेन. एक अक्तूबर 1906 में वर्तमान के बांग्लादेश के ढाका के कामारखाड़ा में जन्मे निकुंज सेन ने ढाका विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और उसके बाद कोलकाता में एमए पढ़ने के लिए आ गये.

शिक्षण के जरिये संगठन को किया मजबूत

विद्यार्थी जीवन से ही वह स्वाधीनता आंदोलन के साथ जुड़ गये थे. निकुंज सेन क्रांतिकारियों के दल ‘मुक्ति संघ’ और बाद में सुभाष चंद्र बसु के ‘बंगाल वॉलंटियर्स’ के सदस्य बने. निकुंज सेन शिक्षण के जरिये दल व संगठन को मजबूत करने के उद्देश्य से ढाका के विक्रमपुर के बानारिपाड़ा स्कूल में पढ़ाने लगे.

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बादल गुप्त को किया प्रेरित

वहां अपने विद्यार्थी बादल गुप्त को देशप्रेम के लिए उन्होंने प्रेरित किया. बादल भी बंगाल वॉलटियर्स में शामिल हुए. 1930 में 8 दिसंबर को विनय बसु, बादल गुप्त और दिनेश गुप्त ने राइटर्स बिल्डिंग पर हमला बोला था और कर्नल एनएन सिंपसन की हत्या कर दी थी.

अंडरग्राउंड हो गये निकुंज सेन

निकुंज सेन केवल इनके सहयोगी ही नहीं थे, बल्कि समूचे अभियान की पूरी परिकल्पना व तैयारी में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. अभियान के वक्त वह पकड़े नहीं गये. वह अंडरग्राउंड हो गये सोशलिस्ट रिपब्लिक दल में शामिल हुए निकुंज सेन थे. बाद में 1931 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और सात वर्ष के कारावास में भेज दिया गया.

सोशलिस्ट रिपब्लिक दल में शामिल हुए निकुंज सेन

द्वितीय विश्वयुद्ध के वक्त 1940 में एक बार फिर उन्हें गिरफ्तार किया गया और 1946 में उन्हें छोड़ा गया. निकुंज सेन, शरतचंद्र बसु द्वारा स्थापित सोशलिस्ट रिपब्लिक दल में भी शामिल हुए. पार्टी के मुखपत्र ‘महाजाति’ के वह संपादक बने. स्वाधीनता के बाद लंबे अरसे तक उत्तर 24 परगना जिले में एक हाई स्कूल में वह बतौर प्रधान शिक्षक थे.

अच्छे वक्ता और लेखक भी थे क्रांतिकारी निकुंज सेन

निकुंज सेन क्रांतिकारी के अलावा एक सुवक्ता तथा लेखक भी थे. उनके द्वारा लिखित कुछ पुस्तकों में ‘जेलखाना कारागार’, ‘बक्सार पॉर देउलिया’, ‘इतिहासे अर्थनैतिक बैख्या’ तथा ‘नेताजी और मार्क्सवाद’ हैं. उनके नाम पर उत्तर 24 परगना के राजारहाट-विष्णुपुर में एक इलाके का नामकरण ‘विप्लवी निकुंज सेन पल्ली’ रखा गया. उनका निधन 1986 में 2 जुलाई को हुआ.

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