बैंक कर्मियों ने की ग्रेच्युटी व पेंशन की सीलिंग बढ़ाने की मांग

कोलकाता. केंद्र सरकार की उपेक्षा के खिलाफ बैंक कर्मी संगठनों द्वारा आहुत हड़ताल का असर पश्चिम बंगाल पर भी व्यापक रूप से पड़ा. बंद के दिन पश्चिम बंगाल के सभी सार्वजनिक क्षेत्र व निजी बैंक बंद रहे. बैंक हड़ताल को सफल करार देते हुए एनसीबीई के महासचिव गौतम बनर्जी ने मंगलवार को बताया कि यह […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 1, 2017 8:18 AM
कोलकाता. केंद्र सरकार की उपेक्षा के खिलाफ बैंक कर्मी संगठनों द्वारा आहुत हड़ताल का असर पश्चिम बंगाल पर भी व्यापक रूप से पड़ा. बंद के दिन पश्चिम बंगाल के सभी सार्वजनिक क्षेत्र व निजी बैंक बंद रहे. बैंक हड़ताल को सफल करार देते हुए एनसीबीई के महासचिव गौतम बनर्जी ने मंगलवार को बताया कि यह हड़ताल अपने अधिकारों की रक्षा के लिए थी.

केंद्र सरकार के सभी सरकारी कर्मचारियों के ग्रेच्युटी व पेंशन में समयानुसार वृद्धि की जाती है, लेकिन बैंक कर्मियों के पेंशन व ग्रेच्युटी के सीलिंग में वृद्धि नहीं की गयी. इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण, बैंकों के विलय, नोटबंदी के समय अधिक समय तक काम करने के बावजूद आेवर टाइम का रुपया नहीं मिलने सहित अन्य मांगों को लेकर बैंक एसोसिएशन ने यह हड़ताल बुलायी थी.

एनसीबीई के महासचिव गौतम बनर्जी ने कहा कि नोटबंदी के दौरान बैंक कर्मचारियों ने अधिक समय तक काम किया और देश के प्रधानमंत्री ने भी इसकी तारीफ की थी, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इस दौरान बैंक कर्मचारियों के ओवरटाइम का रुपया अब तक बैंक कर्मियों को नहीं मिला है. बैंकों को भी केंद्र सरकार ने ओवरटाइम के लिए कोई अतिरिक्त राशि नहीं दी है.

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की नीति अब देश के सार्वजनिक क्षेत्र की मुनाफा कमानेवाले बैंकों का निजीकरण करना है. इस ओर केंद्र तेजी से आगे बढ़ रहा है. इससे देश की अर्थ-व्यवस्था खतरे में पड़ सकती है. साथ ही केंद्र सरकार जिस प्रकार से विभिन्न बैंकों का आपस में विलय कर रही है, इससे बैंक की शाखाओं की संख्या कम होती जायेगी, जिसके फलस्वरूप लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. इस मौके पर पश्चिम बंगाल सर्किल के एनसीबीई के अध्यक्ष राजेश सिंह, ईसीबी के संयुक्त सचिव सिद्धार्थ खान सहित अन्य उपस्थित रहे.

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