कोलकाता की गलियों में अभी भी चल रही नोटबंदी के नफा-नुकसान पर बहस

कोलकाता: नोटबंदी के चार माह बाद फेरीवाले, छोटे व्यापारी और सडक पर मांगकर गुजर- बसर करने वाले लोगों के बीच इसको लेकर बहस जारी है. यही लोग नोटबंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. केंद्र सरकार ने कहा था कि नोटबंदी का फायदा आर्थिक रुप से कमजोर लोगों को मिलेगा लेकिन इस बात से बुर्राबाजार क्षेत्र […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 22, 2017 11:03 AM

कोलकाता: नोटबंदी के चार माह बाद फेरीवाले, छोटे व्यापारी और सडक पर मांगकर गुजर- बसर करने वाले लोगों के बीच इसको लेकर बहस जारी है. यही लोग नोटबंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. केंद्र सरकार ने कहा था कि नोटबंदी का फायदा आर्थिक रुप से कमजोर लोगों को मिलेगा लेकिन इस बात से बुर्राबाजार क्षेत्र के दिहाडी के मजदूर सहमत नहीं है.

पोस्ता इलाके में दिहाडी का काम करने वाले 62 वर्षीय मोहम्मद इरफान ने कहा, ‘बडे सेठ आज भी बडी गाडियां खरीद रहे हैं. सारी दिक्कत तो निचले वर्ग को उठानी पड रही है.’ इरफान ने बताया कि नोटबंदी से पहले वह प्रतिदिन 250 से 300 रुपये कमाया करते थे लेकिन उनकी आमदनी अब घटकर 100 रुपये रह गई है.

भीख मांग कर जीवन गुजारने वाली 90 वर्षीया कमला ने बताया कि उन्होंने डर के मारे अपने 500 रुपये के आठ नोट गटर में फेंक दिए.

नोटबंदी के समर्थक इसके फायदे भी बताते हैं. सडक किनारे खाने-पीने का ठेला लगाने वाले राम भौमिक ने कहा कि नोटबंदी से गरीब और अमीर के बीच की खाई कम हुई है.

टैक्सी चालक सुदीप दत्ता ने कहा कि नोटबंदी का फायदा यह रहा कि अब बाजार में कोई भी नकली नोट नहीं बचा है.

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