कोलकाता मेट्रो ट्रेन : 33 वर्षों में 157 लोगों ने की खुदकुशी, 314 बार हुआ आत्महत्या का प्रयास

314 बार हुआ आत्महत्या का प्रयास 157 लोगों को सुरक्षाकर्मियों ने बचाया आत्महत्या का प्रयास करनेवालों में 224 पुरुष व 86 महिलाएं मेट्रो के सभी 24 स्टेशनों पर 600 सौ से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों से निगरानी श्रीकांत शर्मा कोलकाता : कोलकाता में 24 अक्तूबर 1984 को सबसे पहले एस्पलानेड से भवानीपुर (नेताजी भवन स्टेशन) तक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 22, 2017 8:50 AM
314 बार हुआ आत्महत्या का प्रयास
157 लोगों को सुरक्षाकर्मियों ने बचाया
आत्महत्या का प्रयास करनेवालों में 224 पुरुष व 86 महिलाएं
मेट्रो के सभी 24 स्टेशनों पर 600 सौ से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों से निगरानी
श्रीकांत शर्मा
कोलकाता : कोलकाता में 24 अक्तूबर 1984 को सबसे पहले एस्पलानेड से भवानीपुर (नेताजी भवन स्टेशन) तक देश की पहली भूमिगत मेट्रो रेल चली थी. देश की पहली मेट्रो रेल पाकर कोलकाता की जनता गर्व से फूली नहीं समायी थी. आरामदायक सफर, कम खर्चीला और बेहद कम समय में अपनी मंजिल तक पहुंचना, सब कुछ था मेट्रो के सफर में. पर, किसी को नहीं पता था कि कुछ लोग इस बेहद अरामदायक सफर को अपनी जीवन लीला समाप्त करने का साधन भी बना लेंगे.
मेट्रो में 15 दिनों के अंदर ही आत्महत्या और आत्महत्या की कोशिश के कई मामले सामने आये हैं. 12 फरवरी को महात्मागांधी मेट्रो स्टेशन पर एक महिला ने आत्महत्या की कोशिश की. 18 फरवरी को नेताजी भवन मेट्रो स्टेशन पर एक महिला ने अपने बच्चे के साथ मेट्रो के सामने कूद कर आत्महत्या कर ली. हालांकि उसका चार वर्षीय पुत्र बच गया, लेकिन वह गंभीर रूप से घायल हो गया. इसके दूसरे दिन खबर आयी की गिरीश पार्क मेट्रो स्टेशन पर एक और व्यक्ति ने मेट्रो रेल के सामने छलांग लगा कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली.
मेट्रो में हो रही लगातार आत्महत्या की घटनाओं से हर कोई हैरान-परेशान है. मेट्रो रेलवे के पिछले 33 वर्षों के इतिहास को खंगाले, तो जो आंकड़े मिलते हैं, उस पर एक बारगी विश्वास ही नहीं होता. 33 वर्षों में 157 लोगों ने मेट्रो के सामने कूद कर अपनी जान दे दी. यह आंकड़ा और ज्यादा हो सकता था, यदि सुरक्षाकर्मियों ने तत्परता दिखा कर 157 लोंगो को बचाया नहीं होता या तुरंत अस्पताल नहीं पहुंचाया होता. इन 33 वर्षों में 314 लोगों ने आत्महत्या की कोशिश की, जिनमें से 157 लोंगो को सुरक्षाकर्मियों ने बचा लिया. सबसे ज्यादा पुरुषों ने आत्महत्या करने का प्रयास किया. ऐसे पुरुषों की संख्या 224 है, जबकि महिलाओं की संख्या 86.
मेट्रो रेलवे की जनसंपर्क अधिकारी इंद्राणी बनर्जी बताती हैं कि हमारा प्रयास होता है कि इस प्रकार की घटनाएं मेट्रो में नहीं हों. इसमें व्यक्ति की जान जाने के साथ मेट्रो का परिचालन बाधित होने से आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए समय-समय पर मेट्रो प्रशासन द्वारा जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. ऐसे प्रयासों को रोकने के लिए प्रत्येक स्टेशन पर तीन से चार आरपीएफकर्मियों को तैनात किया जाता है. इसके साथ ही कोलकाता मेट्रो के सभी 24 स्टेशनों पर 600 सीसीटीवी कैमरों से 24 घंटे निगरानी होती है. किसी भी संदेहास्पद व्यक्ति या महिला को प्लेटफॉर्म पर टहलते देखते ही हमारे सुरक्षाकर्मी उसे समझा-बुझा कर स्टेशन से बाहर ले जाने का प्रयास करते हैं. इस प्रकार की घटनाएं रोकने के लिए हमारी कई एजेंसियों से भी बात चल रही है.
हालांकि नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि नोवापाड़ा से कवि सुभाष स्टेशन तक कुल 24 मेट्रो स्टेशन हैं. मेट्रो रेलवे प्रत्येक दिन लगभग 300 से ज्यादा मेट्रो रैकों का परिचालन करती है, जिनमें लाखों की संख्या में यात्री यात्रा करते हैं. ऐसे में हर किसी के ऊपर नजर रख पाना संभव नहीं है. आत्महत्या करनेवालों को हम बचाने का प्रयास करते हैं, लेकिन इसे रोक पाना शायद संभव नहीं.

Next Article

Exit mobile version