हड़ताल पर सरकार का फरमान असंवैधानिक : सूर्यकांत

कोलकाता. केंद्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा बुधवार को आहूत हड़ताल पर तृणमूल सरकार के फरमान की निंदा करते हुए हुए माकपा के राज्य सचिव डॉ सूर्यकांत मिश्रा ने इसे असंवैधानिक करार दिया है. मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री मिश्रा ने कहा कि हड़ताल केंद्रीय सरकार की श्रमिक व किसान विरोधी नीतियों के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 2, 2015 6:23 AM
कोलकाता. केंद्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा बुधवार को आहूत हड़ताल पर तृणमूल सरकार के फरमान की निंदा करते हुए हुए माकपा के राज्य सचिव डॉ सूर्यकांत मिश्रा ने इसे असंवैधानिक करार दिया है. मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री मिश्रा ने कहा कि हड़ताल केंद्रीय सरकार की श्रमिक व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ है.

हड़ताल में करीब 12 सूत्री मांगें श्रमिक संगठनों ने की है, जबकि राज्य में फैली विषमता को लेकर बंगाल मेें 17 वामपंथी दलों की ओर से तीन अतिरिक्त मांगें जोड़ी गयी हैं. मांगो में श्रमिकों और किसानों के हितों के अलावा आम लोगों की समस्याओं को भी सामने रखा गया है. यदि लोगों को लगता है कि यह हड़ताल उनके हितों की रक्षा के लिए बुलायी गयी है, तो वे इसका समर्थन करें और सफल बनायें. हड़ताल के दौरान पूरे राज्य में शांतिपूर्ण तरीके से रैली निकाली जायेगी व श्रमिक वर्ग के हितों से जुड़ी मांगों को रखी जायेंगी.

हड़ताल का विरोध कर रही तृणमूल सरकार की आलोचना करते हुए श्री मिश्रा ने कहा कि जो इस हड़ताल का विरोध कर रहे हैं, उनके रवैये को आम लोगों ने अच्छी तरह से जान लिया है. यह हड़ताल लोगों के हित को पूरा करने के लिए है. अत: इसका विरोध करना लोगों के हितों का विरोध करना है. हड़ताल केंद्र सरकार की श्रमिक और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ भी बुलायी गयी है. कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस द्वारा इसका विरोध किये जाने से यह साफ हो गया है कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच सांठगांठ की संभावना तो है. 27 अगस्त को महानगर में होने वाले नवान्न अभियान के दौरान वामपंथी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प और लाठीचार्ज की घटना की निंदा करते हुए विपक्ष के नेता ने कहा कि हड़ताल को लेकर राजनीति करना उचित नहीं है. कथित तौर पर सरकारी कर्मचारियों के लिए राज्य सरकार द्वारा सुनाया गया फरमान गलत है. लोगों को विरोध करने का अधिकार है. जनविरोधी नीतियों के खिलाफ प्रचार करने का अधिकार है. आंदोलन को रोकना व इसे प्रभावित करने की कोशिश करना लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करना है.
सरकार का रवैया निंदनीय : भाकपा (माले)
देशव्यापी हड़ताल को लेकर तृणमूल कांग्रेस का रवैया काफी निंदनीय है. इसकी वजह यह है कि हड़ताल केंद्रीय सरकार के श्रमिक, किसान और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ है. ऐसे में हड़ताल का विरोध करना तृणमूल कांग्रेस के असली रूप को दर्शाता है. यह आरोप भाकपा (माले) के राज्य सचिव पार्थ घोष ने मंगलवार को लगाया. पार्टी के आला नेता कार्तिक पाल ने आरोप लगाया कि हड़ताल के समर्थन में प्रचार करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं पर तृणमूल समर्थकों की ओर से हमले किये गये हैं. उन्होंने हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया है.

Next Article

Exit mobile version